सोशल मीडिया अकाउंट करें यूज, पासवर्ड न हो लूज
वाराणसी (ब्यूरो)। डिजिटल दौर में लोगों की जिंदगी में लगातार बदलाव आ रहे हैं। पढ़ाई के साथ अधिकतर वर्क ऑनलाइन होने की वजह से साइबर अपराध ने रफ्तार पकड़ ली है। साइबर अपराध से बचने के लिए अलर्ट और अवेयर जरूरी है। साथ ही सोशल मीडिया अकाउंट के पासवर्ड को मजबूत रखें। साइबर अटैक यानी डिजिटल चोरी या ऑनलाइन ठगी। साइबर अटैक को कंप्यूटर सिस्टम, नेटवर्क और टेक्नोलॉजी के जरिए अंजाम दिया जाता है। इनके शिकार बड़े ही नहीं अब बच्चे भी हो रहे हैं। साइबर अटैक करने वाले अपराधी फिशिंग स्कैम, मालवेयर और कई प्रकार की हैकिंग के तरीकों को अपना रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम अपने बच्चों को इन साइबर फ्रॉड से दूर रखे। इन सब पहलुओं को ध्यान में रखते हुए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट फेक फ्रेंड्स मुहिम चला रहा है। साइबर क्राइम सेल के एक्सपर्ट के साथ हमारी टीम डीपीएस वाराणसी पहुंची और बच्चों को साइबर क्राइम के बारे में अवेयर किया.
साइबर अटैक के नए-नए तरीके साइबर क्राइम सेल के एक्सपर्ट विराट सिंह ने बच्चों को अवेयर करते हुए बताया कि ऑनलाइन किए गए अपराधों में तेजी से इजाफा हुआ है। बदलते वक्त के साथ साइबर अटैक के नए-नए तरीके सामने आए हैं।मालवेयर अटैक : इस अटैक में एक संदिग्ध सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है। इसका मकसद कंप्यूटर सिस्टम को नुकसान पहुंचाना होता है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया होता है कि यह वायरस, वर्म्स, ट्रोजन और रैंसमवेयर का रूप ले सकता है.
फिशिंग अटैक : फिशिंग अटैक साइबर अटैक की दुनिया में सबसे आम तरीका है ठगी का। इसमें यूजर्स के पासवर्ड और क्रेडिट कार्ड नंबर जैसी संवेदनशील जानकारी चुराई या फिर धोखे से ले ली जाती है. पासवर्ड अटैक : पासवर्ड अटैक का मकसद पासवर्ड को क्रैक करना होता है या फिर संवेदनशील जानकारी तक पहुंच बनाना. स्मिशिंग : संदिग्ध ईमेल या फिर एसएमएस के जरिए ऑनलाइन फ्र ॉड को अंजाम देना स्मिशिंग कहलाता है। हाल के दिनों में ऐसे हमले तेजी से बढ़े हैं। लॉटरी ईमेल, बैंक अकाउंट में अपडेशन के बहाने बनाकर ऐसे मैसेज भेजे जाते हैं और फिर एक लिंक के जरिए यूजर्स की सारी जानकारियां चुरा ली जाती हैं. साइबर अटैक से कैसे बचें?साइबर अटैक से बचने के लिए सबसे बुनियादी बात है कि सतर्कता ही इसका बचाव है। किसी भी संदिग्ध ईमेल, मैसेज, फोन कॉल्स और वीडियो कॉल्स को रिस्पांस न करें। अपने सभी ऑनलाइन अकाउंट्स का मजबूत और यूनिक पासवर्ड बनाएं। इन पासवर्ड्स को समय-समय पर अपडेट करते रहें। अपने वेब ब्राउजर, ऑपरेटिंग सिस्टम और अन्य सॉफ्टवेयर को नियमित तौर पर अपडेट करें। अपने कंप्यूटर में एंटीवायरस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करें। इससे मालवेयर सॉफ्टवेयर से बचने में मदद मिलेगी.
डेटा का बैकअप बनाना जरूरी संदेह भरे ईमेल और लिंक्स से सावधान रहें। अनजान और गैर भरोसेमंद सोर्स के लिंक या अटैचमेंट डाउनलोड न करें। वीपीएन का यानी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क का प्रयोग करें। वीपीएन आपके इंटरनेट कनेक्शन को एन्क्रिप्ट करता है, जिससे साइबर अटैकर्स को आपका डेटा इंटरसेप्ट करने में मुश्किल होती है। टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन इनेबल करना भी समझदारी भरा फैसला है। इससे आपके अकाउंट की सिक्योरिटी और मजबूत होती है। इसके अलावा जरूरी डेटा का एक बैकअप जरूर बना लें। रैंसमवेयर हमलों में आपके डेटा में ही सेंध लगाई जाती है, ऐसे में आप अपने डेटा का बैकअप बनाकर ऐसी वारदातों से बच सकते हैं. इन बातों का भी रखें ख्यालसोशल मीडिया अकाउंट के साथ सुरक्षित नेटबैंकिंग के लिए कुछ और बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे अपना मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी को रजिस्टर या अपडेट कर लें जिससे बैंकिंग ट्रांजैक्शन के अलर्ट मिलते रहें। मैसेज में आए किसी ऐसे को नहीं फॉलो करें जिसके बारे में आपको पूरा भरोसा नहीं है। अगर आपको अपने मोबाइल को किसी दूसरे व्यक्ति के साथ शेयर करना है या रिपेयर/ मैनटेनेंस के लिए भेजना है, तो ब्राउजिंग हिस्ट्री को क्लियर कर दें। मेमोरी में स्टोर अस्थायी फाइलों को क्लियर कर दें क्योंकि उसमें आपके अकाउंट नंबर और दूसरी संवेदनशील जानकारी हो सकती है। अपने बैंक से संपर्क करके मोबाइल ऐप्लीकेशन्स को ब्लॉक कर दें। आप अपने मोबाइल के वापस मिलने पर उन्हें अनब्लॉक कर सकते हैं.