Varanasi news: बनारस में ट्रक मालिकों की हड़ताल से हलकान हुई पब्लिक
वाराणसी (ब्यूरो)। नए मोटर अधिनियम के विरोध में चालकों की हड़ताल के दूसरे दिन मंगलवार को भी बड़ी संख्या में रोडवेज बस और ट्रकों के पहिए थमे रहे, लेकिन दिल्ली, लखनऊ के बाद देर शाम वाराणसी में अफरा-तफरी की स्थिति उत्पन्न हो गई। सभी पेट्रोल पंपों पर वाहनों की कतारें लग गईं। कुछ ही देर में कई पंपों पर पेट्रोल खत्म हो गया। उधर, सुबह से ही दूध, किराने के सामान व ताजी सब्जियां नहीं पहुंचने से लोग परेशान दिखे। यही नहीं, हड़ताल के चलते घरेलू गैस सिलेंडर की डिलीवरी पर भी असर पड़ा। नए मोटर अधिनियम के विरोध में मोहन सराय पर ट्रक चालकों ने चक्काजाम किया। कैंटोमेंट स्थित स्वामी विवेकानंद की मूर्ति के पास चालक संगठन और वाराणसी टूरिज्म गिल्ड के पदाधिकारियों ने धरना दिया.
बस अड्डे पर स्थिति खराब
हड़ताल के चलते दूसरे दिन भी कैंट रोडवेज बस अड्डे पर स्थिति खराब थी। बसों के इंतजार में पैसेंजर इधर से उधर भटकते रहे। सिर्फ छोटे रूट जौनपुर, मिर्जापुर, राबट्र्सगंज, गाजीपुर, भदोही, इलाहाबाद के लिए करीब 80 से अधिक गाडिय़ां तो निकलीं, लेकिन करीब 30 बसें खड़ी रहीं। विरोध और चक्काजाम के चलते अनपरा, शक्तिनगर, आजमगढ़, मऊ, गोरखपुर समेत लंबे रूट के लिए बसें नहीं मिल रही थीं। पैसेंजर को बे्रक लेकर सफर तय करना पड़ा। बीएलडब्ल्यू, मोहनसराय, रामनगर में ट्रक चालकों के विरोध प्रदर्शन के चलते रोडवेज बसें पैसेंजर को लेकर वापस आ गईं। कैब वाले भी हड़ताल में शामिल हो गए हैं। सोमवार को आटो, टेंपो, मैजिक वाहन सहित अन्य यात्री वाहनों के चालक ने हड़ताल की, लेकिन कैब वालों ने कुछ सहारा दिया। दूसरे दिन उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए.
400 से ज्यादा पेट्रोल पंप हैं जनपद में
वाहन चालकों की हड़ताल का सबसे अधिक असर आपूर्ति व्यवस्था पड़ा है। दूध की आपूर्ति करने वाले लालचंद यादव ने बताया कि सामान्य दिनों में दूध की आपूर्ति के लिए बाहर से जनपद में 50 से ज्यादा बड़ी गाडिय़ां आती थीं जिनसे दूध लेकर 40 से ज्यादा गाडिय़ां अलग-अलग क्षेत्रों में निकलती थीं। मंगलवार को सिर्फ 20 गाडिय़ां आईं, ऐसे में दूध के लिए भी मारामारी मची रही। कई वाहन चालकों ने तो गाड़ी खड़ी कर दूध ले जाने से मना कर दिया। उनका कहना था कि जब तक सरकार नए मोटर अधिनियम को वापस नहीं लेगी तब तक हड़ताल जारी रहेगी.
हड़ताल की आड़ में बढ़ाए दाम
ट्रक चालकों की हड़ताल का अन्य लोग फायदा उठाने लगे हैं। इसकी आड़ में सब्जी और फल महंगे हो गए हैं। इसके कारण आमजन को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सोमवार को 40 रुपये प्रति किलो बिकने वाला प्याज मंगलवार को 50 रुपये किलो बिकने लगा क्योंकि इसकी भी आपूर्ति प्रभावित हुई। 12 रुपये किलो बिकने वाला आलू 17 रुपये किलो तक पहुंच गया। वहीं 30 रुपये प्रति किलो बैगन मिल रहा था जो 60 रुपये में हो गया। इसी तरह गोभी, मटर, गाजर, मिर्च, हरा धनिया, लेहसून, अदरक के दाम भी 10 से 20 रुपये तक बढ़ गए.
नोटबंदी की याद आ गई
हड़ताल का असर पहले दिन सोमवार को बहुत ज्यादा नहीं था, लेकिन मंगलवार को सुबह से शुरू हुई परेशानी शाम होने तक विकराल रूप ले ली। पेट्रोल पंप पर वाहनों की लाइन देखकर लोगों को नोटबंदी की याद आ गई। दबी जुबान लोगों ने कहा कि सरकार ऐसे फैसले लेती ही क्यों है, जिससे पब्लिक की फजीहत होती है।