बनारस में फाइलेरिया से बचाव के लिए सिटी में शुरू किया गया ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए कैंपेन फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करने के लिए प्रेरित भी किया


वाराणसी (ब्यूरो)फाइलेरिया लाइलाज बीमारी है। यह बीमारी किसी को न होने पाए इसके लिए बनारस में स्वास्थ्य विभाग की ओर से सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए कैंपेन चलाया जा रहा है। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, वाराणसी मंडल की अपर निदेशक डॉ मंजुला सिंह एवं सीएमओ डॉ। संदीप चौधरी ने इस कैंपेन की शुरुआत करते हुए लोगों को ट्रिपल ड्रग थेरेपी आइवर्मेक्टिन, डीईसी और एल्बेंडाजोल (आईडीए) दवा का सेवन भी कराया है। इसके साथ ही दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को छोड़कर घर के सभी सदस्यों को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करने के लिए प्रेरित भी किया। वहीं अपर निदेशक व मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने स्वास्थ्य विभाग समेत अन्य विभागों के अधिकारियों तथा स्वास्थ्य कर्मियों को फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन करने एवं अन्य लोगों को भी दवा सेवन कराने को लेकर शपथ दिलाई.

हाइट व उम्र के हिसाब से दी जाएगी दवा

अपर निदेशक ने कहा कि 28 फरवरी तक ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए कैंपेन चलाया जा रहा है। इसमें स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने फाइलेरिया रोधी दवा खिलाने का कार्य कर रहे हैं। अभियान में 'डीईसी एवं एल्बेंडाजोलÓ दवा आयु वर्ग के अनुसार तथा आइवरमेक्टिन दवा ऊंचाई व उम्र के अनुसार खिलाई जा रही है। यह दवा दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को नहीं खिलाना है। शेष सभी लोगों को यह दवा खिलाई जाएगी। दवा खाली पेट नहीं खानी है और दवा की सही खुराक सभी सेवन कर लें इसलिए इसे स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही खाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया लाइलाज बीमारी है, इससे बचाव का उपाय जागरूकता और दवा का सेवन करना है। इसकी दवाएं विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा प्रमाणित हैं। यह दवाएं सुरक्षित हैं व फाइलेरिया रोग से बचाव में कारगर हैं.

फाइलेरिया गंभीर संक्रामक बीमारी

सीएमओ ने कहा कि फाइलेरिया एक गंभीर संक्रामक बीमारी है। इस बीमारी में पैरों और हाथों में सूजन के अलावा पुरुषों के अंडकोष में व महिलाओं के स्तन में सूजन आ जाती है। यह सूजन मच्छर काटने के बाद 5 से 15 साल बाद आती है। एक बार सूजन आने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है। इससे बचने के लिए साल में एक बार फाइलेरिया रोधी दवाएं खिलाई जा रही है। यह दवाएं व्यक्ति के शरीर में मौजूद फाइलेरिया के सूक्ष्म परजीवियों को नष्ट कर देती हैं और लोग इस बीमारी से सुरक्षित हो जाते हैं।

फाइलेरिया एक गंभीर संक्रामक बीमारी है। इस बीमारी में पैरों और हाथों में सूजन के अलावा पुरुषों के अंडकोष में व महिलाओं के स्तन में सूजन आ जाती है। यह सूजन मच्छर काटने के बाद 5 से 15 साल बाद आती है। यह बीमारी किसी को न हो, इसके लिए ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए कैंपेन की शुरुआत की गई है.

डॉसंदीप चौधरी, सीएमओ

Posted By: Inextlive