Varanasi : वाराणसी के मंडलीय अस्‍पताल का बहुत बुरा हाल है। यहां लापरवाही का यह आलम है कि मरीज अभी बोलना भी शुरू नहीं करते कि डॉक्‍टर पर्चे पर दवा लिखकर मरीज को रफा-दफा कर देते हैं।

मंडलीय अस्पताल में चिकित्सक नौ मिनट के बजाए 30 सेकेंड में ही सुन रहे मरीजों का दर्द

डॉक्टरों की कमी के चलते गिर रहा मेडिकल जांच का स्तर

 

सीन-1

बेनियाबाग के रहने वाले सचिन पेट की दर्द से परेशान होकर इलाज के लिए मंडलीय हॉस्पिटल पहुंचे। घंटों की मशक्कत के बाद ओपीडी में डाक्टर के पास पहुंचने का मौका मिला। अभी अपनी बात डॉक्टर से बता भी नहीं सके थे कि दवाएं लिखी पर्ची उनके हाथ में आ गयी। उनमें कौन सी दवा और किसलिए है पता ही नहीं है।

सीन-2

मैदागिन के पुनित अपने बेटे के सिरदर्द से परेशान थे। इलाज के लिए उसे लेकर मंडलीय हॉस्पिटल पहुंचे। ओपीडी में डाक्टर से प्रॉब्लम बताना चाहा तो उसने बिना कुछ ठीक से सुने ढेर सारी दवाएं लिख दीं। इनमें विटामिन आदि की गोलियां थी। इन्हें कई दिनों तक खाने के बाद भी बेटे की हालत में सुधार नहीं हुआ।

ये दो सीन बताने के लिए काफी हैं कि मंडलीय हॉस्पिटल में मरीजों का इलाज राम भरोसे ही है। बेहतर इलाज की उम्मीद लिए एसएसपीजी हॉस्पिटल पहुंचने वाले मरीज तब ठगे महसूस करते हैं जब डॉक्टर उनकी परेशानी भी ठीक से नहीं सुनते और दवा लिख देते हैं। डॉक्टरों की कमी और ओपीडी में बढ़ती लाइन ने मरीजों के लिए डॉक्टर से अपनी परेशानी कह पाने का समय सेकेंड्स में समेट दिया है। यहां मरीजों को इलाज व दवाओं का प्रिस्क्रिप्शन पाने में सिर्फ 30 सेकेंड्स ही लग रहे हैं। अब इतने समय में मरीज क्या अपनी प्रॉब्लम बताएगा और डॉक्टर क्या इलाज करेगा समझा जा सकता है।

 

निर्धारित है नौ मिनट

 

इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड्स (आईपीएचएस) के मुताबिक ओपीडी में बैठे डॉक्टर्स को अपने हर मरीज को कम से कम नौ मिनट देने चाहिए। जिससे कि मरीज का ठीक से इलाज हो सके। डॉक्टर्स की कमी और मरीजों की बढ़ती तादाद सरकारी हॉस्पिटल्स की इलाज व्यवस्था को हासिये पर ढकेल रहा है। नेशनल स्टैंडर्ड्स को फॉलो न भी करें तो भी सरकारी नियमों के तहत ओपीडी में एक डॉक्टर को अपने हर मरीज को कम से कम सात मिनट देने चाहिए। लेकिन हकीकत सरकारी नियमों से बिल्कुल उलट है।

 

इनकी ओपीडी में मरीजों का आकड़ा हजार पार

मेडिसिन

स्किन

चेस्ट स्पेशलिस्ट

चाइल्ड स्पेशलिस्ट

मेडिसिन

चेस्ट स्पेशलिस्ट के पास

स्किन

 

 

नियम के मुताबिक

 

 

 

एक नजर

40 मरीज मैक्सिमम देखने का नियम है डॉक्टर्स को ओपीडी के दौरान

-8 बजे सुबह से दोपहर दो बजे तक चलती है एसएसपीजी की ओपीडी

-360 मिनट के दौरान 300 मरीजों को इलाज देना होता है।

2000 से ज्यादा रोजाना मरीज पहुंचते हैं यहां

1500 होती है नए मरीजों की संख्या 500 से ज्यादा होते है पुराने मरीज

3000 पार जाता है वायरल व सीजनी बीमारी के समय यह आंकड़ा।

900 से ज्यादा मरीज सिर्फ मेडिसिन ओपीडी में ही पहुंचते है।

5 मेडिसिन ओपीडी बने है यहां

150 से 300 मरीज देखते है डॉक्टर्स

60 में 22 डॉक्टर्स के पद खाली

 

 

 

डॉक्टर्स की कमी बड़ी परेशानी है। ओपीडी में डॉक्टर्स पर कम समय में सभी को इलाज देने का दबाव रहता है। शासन से कई बार डॉक्टर बढ़ाने की गुहार लगाई गई है। लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।

डॉ। अरविंद सिंह, एमएस, मंडलीय हॉस्पिटल

Posted By: Inextlive