अमृता विश्वविद्यापीठम प्रेजेंट्स दैनिक जागरण आईनेक्स्ट रीइमेजनिंग एजुकेशन दो दिवसीय वर्कशॉप का होटल प्रीस्टीन में हुआ शुभारंभ शहर के प्रमुख स्कूलों के टीचर्स ने वर्कशॉप में किया पार्टिसिपेट टीचिंग में टेक्नोलॉजी यूज करने का ट्रेनर्स ने दिए टिप्स


वाराणसी (ब्यूरो)एजुकेशन के क्षेत्र में नए बदलाव हो रहे हैं। इन्हीं बदलाव से वाराणसी के टीचर्स को अपडेट करने के लिए अमृता विश्वविद्यापीठम प्रेजेंट्स दैनिक जागरण आईनेक्स्ट 'रीइमेजनिंग एजुकेशनÓ दो दिवसीय वर्कशॉप का गुरुवार को होटल प्रेस्टीन में शुभारंभ हुआ। वर्कशॉप में पहले दिन अमृता विश्वविद्यापीठम के एकेडमिक मैनेजर और काउंसलर डॉ। शौर्य कुटप्पा और डॉयरेक्टर ऑफ कॉन्शियस एजुकेशन की फाउंडर शालिनी सिन्हा ने टीचर्स को स्टूडेंट्स को पढ़ाने के नए मैथड्स बताए। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के एडिटोरियल हïेड मनोज वाष्र्णेय ने एक्सपट्र्स और टीचर्स का स्वागत किया.

सब कुछ तेजी से बदल रहा है

डॉ। शौर्य कुट्टïपा ने टीचिंग में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) को लेकर एक सेशन लिया। एआई के यूज के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी के आने से सबकुछ तेजी से बदल रहा है। ऐसे में काम करने के तरीके से लेकर लाइफस्टाइल में बदलाव आ रहा है। सीखने व सिखाने का तरीका भी तेजी से बदल रहा है। ऐसे में टीचिंग में भी टेक्नोलॉजी का यूज करके लर्निंग को और हेल्पफुल बनाया जा सकता है। ऐसे में टीचर्स को भी टेक्नोलॉजी को अडॉप्ट करके खुद अपग्रेड करना चाहिए। इससे स्टूडेंट्स की लर्निंग भी काफी इंप्रेसिव होगी.

स्टूडेंट्स के सिर पर न डालें बोझ

डॉयरेक्टर ऑफ कॉन्शियस एजुकेशन की फाउंडर शालिनी सिन्हा ने कॉग्निटिव ओवरलोडिंग का सेशन लेते हुए कहा कि हमारे ब्रेन में एक छोटे से हिस्से में मिनियंस सेंसेंस होते हैं। हमारी आदत होती है कि एक साथ कई नए टॉपिक बताए जाएं तो सभी टॉपिक को ब्रेन कैच नहीं कर पाता है। ऐसा ही स्टूडेंट्स के साथ होता है। स्कूलों में कुछ नया करने के चक्कर में कई सारी चीजें एक साथ कराते हैं। बल्कि स्टूडेंट्स को एक बार में एक टॉपिक अच्छी तरह से बताना चाहिए, जिससे कि स्टूडेंट के ब्रेन में अच्छी तरह से टॉपिक बैठ जाए। उन्होंने कहा कि एक साथ स्टूडेंट्स के सिर पर ज्यादा बोझ नहीं डालना चाहिए.

स्टूडेंट को नहीं आता तो टीचर जिम्मेदार

शालिनी सिन्हा ने बताया कि कभी भी ऐसा न सोचें कि आपकी क्लास में कोई स्टूडेंट कमजोर है। यदि क्लास में ज्यादातर स्टूडेंट्स कमजोर होंगे तो इसमें टीचर ही जिम्मेदार है। ऐसा सोचिए कि पैरेंट्स अपनी सबसे प्रेस्टिजियस थिंग यानि अपने बच्चे को आपके पास भेजता है। उसको अच्छी तरह से पढ़ाना टीचर की जिम्मेदारी है। इसलिए क्लासरूम पढ़ाते वक्त खुद को एनर्जाइज करें.

टीचर्स ने पूछे सवाल

वर्कशाप के दौरान एक्सपर्ट ने टीचर्स से सवाल जवाब किए, जिस टीचर ने परफेक्ट आंसर दिया, उसे एक्सपर्ट ने प्रोत्साहित भी किया। वर्कशॉप के अंत में एक्सपर्ट ने न्यू एजुकेशन पॉलिसी पर डिस्कशन किया। टीचर्स को बताया कि ये पॉलिसी आखिर क्यों बनाई गई। एक्सपर्ट ने बताया कि स्टूडेंट्स को माक्र्स के लिए पीछे दौडऩे की शिक्षा नहीं बल्कि कुछ नया करने के टिप्स दिए जाने चाहिए.

Posted By: Inextlive