इस बार बाढ़ से बच गया बनारस
वाराणसी (ब्यूरो)। इस बार बाढ़ से गंगा और वरुणा तट के किनारे रहने वाले लोगों को राहत मिल गयी है, लेकिन आगे आने वाली आफत के लिए तैयार हैं। क्योंकि बारिश कम होने से फसल प्रभावित हुई और इसके चलते धान से लेकर सब्जियों के दाम बढऩे की आशंका एग्रीकल्चरल के प्रोफेसर जता रहे हैं। मौसम विभाग ने भी हैरान करने वाली बात कही है। पूरे प्रदेश में अब तक 33 परसेंट ही वर्षा हुई है। इसलिए घाटवासी ज्यादा खुश न हों, क्योंकि आगे महंगाई की मार पडऩी तय है।
मेंटेन होता जलस्तर
देश के अन्य राज्यों में झमाझम बारिश हुई लेकिन उत्तर प्रदेश में जून से लेकर सितंबर तक 33 परसेंट ही बारिश हुई। यह चिंताजनक है। बारिश कम होने से भूगर्भ जलस्तर पर असर पड़ा है। गंगा किनारे रहने वाले लोग हरी सब्जियों की खेती करते है उस पर भी असर पडऩा तय है। क्योंकि बाढ़ आने से घाट किनारे की जितनी भी जमीनें है सभी का स्रोत मेेंटेन हो जाता है लेकिन इस बार बारिश भी कम हुूई और बाढ़ भी नहीं आया है.
दो वर्ष आई थी बाढ़
विभाग के अधिकारियों की मानें तो 2021-2022 में बाढ़ आया था। इसके पहले 2015 से 2020 तक बाढ़ कम आया था। इसके चलते लोगों को काफी कम क्षति हुई थी। नहीं तो बाढ़ को लेकर हाहाकार मच जाता था। चारों तरफ बाढ़ का पानी लग जाने से आम जनजीवन प्रभावित हो जाता था। इस बार बाढ़ न आने से बाढग़्रत एरिया के लोग काफी राहत महसूस कर रहे है.
फसल पर असर
मौसम विभाग के प्रोफेसर एस एन पाण्डेय का कहना है कि प्रदेश में बारिश कम होने से इसका असर आने वाले समय में दिखेगा। क्योंकि बारिश कम होने से धान की फसल पर सीधे असर पड़ेगा। चावल से लेकर हरी सब्जियों के दाम पर काफी असर पड़ेगा। फसल की पैदावार कमजोर होगी। इसका असर आम जनता को भुगतना पड़ेगा। आसपास के क्षेत्र में हरी सब्जियों की जो किसान खेती करते है उनके भी फसल पर असर पड़ेगा। बाढ़ के पानी से एक से दो किलोमीटर तक की जमीन लबालब हो जाती थी। इसके चलते भूगर्भ का जलस्तर मेंटेन हो जाता था लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है।
बाढ़ से लोगों को राहत मिली है लेकिन बारिश कम होने से इसका सीधा असर फसल पर पडऩा तय है। यह अभी नहीं दो महीने बाद असर देखने को मिलेगा.
प्रो। एसएन पाण्डेय, मौसम वैज्ञानिक, बीएचयू
धान की फसल कमजोर होगी। किसान काफी दिनों से बारिश की आस लगाए बैठे थे लेकिन उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हुई।
विरेन्द्र कमल वंशी, असि। प्रोफेसर, बीएचयू