दुनिया के पॉल्यूटेड शहरों की रैंकिंग में 43पायदान ऊपर आया बनारस दुनिया भर के 131 देशों के 7323 सिटीज में पॉल्यूशन के मामले में वाराणसी 65वें नंबर पर पिछले साल 22 पर था पिछले तीन सालों में एयर पॉल्यूशन पर कंट्रोल करने के लिए हो रहे प्रयासों का दिखा असर और सुधरेगी स्थिति

वाराणसी (ब्यूरो)पूरी दुनिया में अपनी पहचान रखने वाले बनारस 2018 में दुनिया का सबसे तीसरा प्रदूषित शहर था। 2021 में वायु गुणवत्ता सुधरी तो 22वें स्थान पर आ गया। अब स्विस ऑर्गनाइजेशन आईक्यू एयर की ओर से जारी दुनिया के पॉल्यूटेड सिटीज की रैकिंग में भले ही बनारस 65वें नंबर पर है, लेकिन बीते वर्षों की तुलना में स्थिति काफी बेहतर हुई है। पिछले साल के मुकाबले शहर 43 रैंक ऊपर आया है। यहां पॉल्यूशन से निपटने के लिए हर स्तर पर तेजी से प्रयास किए गए। जिसके नतीजे बेहतर रैंकिंग के रूप में मिल रहे हैं। 2022 में 2.5 का औसत स्तर 58.01 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहा, जबकि 2021 में 82.06 था.

एक्यूआई डेटा का एनालाइज

साल 2022 में स्विस संस्था आईक्यू एयर ने दुनिया के 117 देशों के 7323 सिटीज में स्थापित मॉनीटरिंग स्टेशंस के एयर क्वालिटी डेटा को एनालाइज किया। इसके बाद अब पॉल्यूटेड सिटीज की रैकिंग जारी की है। वाराणसी की स्थिति में सुधार जहां एक ओर थोड़ी राहत देती है, वहीं दूसरी ओर कानपुर में पॉल्यूशन को कम करने के लिए और प्रयास करने की गुंजाइश भी रखती है। वहीं यूपी में गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, मेरठ, कानपुर की स्थिति वाराणसी के मुकाबले खराब है.

जनवरी 22 में सबसे ज्यादा

एयर क्वालिटी डेटा की रिपोर्ट बताती है कि 2022 जनवरी में शहर की सबसे ज्यादा हवा खराब रही। इस महीने पीएम 2.5 का औसत स्तर 159.02 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक दर्ज किया गया। जिसकी वजह से जनवरी में सबसे ज्यादा दूषित हवा पाई गई है। फरवरी में 128.07 दर्ज किया गया। इसके बाद स्थिति सुधरती गई। सबसे कम जुलाई का महीना रहा है, इसमें पीएम-2.5 का औसत 16.2 दर्ज किया गया है।

कानपुर की यह रही स्थिति

कानपुर के लिए सुकून देने वाली बात यह है कि पिछले तीन सालों में किए गए प्रयासों से सिटी के पॉल्यूशन को कंट्रोल करने में काफी राहत मिली है। वर्ष 2020 में एक्यूआई रैकिंग में कानपुर दुनिया का छठा और फिर 2021 में खिसककर बीसवें स्थान पर पहुंच गया था, जो अब 28 रैंक खिसकर 48वें पर पहुंच गया है।

पॉल्यूशन से निपटने के लिए ये इंतजाम

- लोकल ट्रांसपोर्ट के लिए सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा

- डस्ट पॉल्यूशन को कम करने के लिए पक्के फुटपाथ बन रहे

- कूड़ा जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सख्ती और जुर्माना

-सड़कों पर लगातार पानी का छिड़काव, नियमित सफाई

-शहर के अंदर निर्माण और सड़कों की खुदाई में कमी

- गीला और सूखा कचरा अलग अलग देने को किया जा रहा अवेयर

यूपी के टॉप पॉल्यूटेड सिटी

रैंक--------सिटी

11--------गाजियाबाद

15-------- मुजफ्फरनगर

17-------- ग्रेटर नोएडा

21---------नोएडा

31---------मेरठ

36---------बुलंदशहर

40----------दादरी

44----------हापुड़

48----------कानपुर

(वल्र्ड रैंकिंग में मिला स्थान)

महीना------ पीएम-2

जनवरी------159.02

फरवरी------128.07

मार्च--------105.00

अप्रैल-------37.09

मई---------24.04

जून--------20.02

जुलाई-------16.02

अगस्त------20.09

सितंबर------24.07

अक्टूबर------52.03

नवंबर-------61.02

दिसंबर-------49.08

एवरेज-------58.01.

फैक्ट फाइल

- 131 देशों को किया शामिल

- 7323 सिटी की निकाली गई रैंक

एक्यूआई के मानक

0-50 अच्छा

51-100 संतोषजनक

101-200 माडरेट

201-300 खराब

301-400 बहुत खराब

401-500 गंभीर

दुनिया के टॉप-50 प्रदूषित शहरों में वाराणसी नहीं है, जबकि पिछली बार की सूची में शामिल था। नगर निगम की टीम के प्रयास से ही यह संभव हो पाया है। वीआईपी मूवमेंट के साथ समय-समय पर पूरे शहर में मशीन से पानी का छिड़काव कराया जाता है। साथ ही क'चे स्थानों को इंटरलाकिंग से पक्का किया गया है और प्रदूषण जांच केंद्रों पर सख्ती की गई है.

कौशल राज शर्मा, कमिश्नर

वाराणसी में कंस्ट्रक्शन वर्क बहुत कम हो गया है। सड़कों की खुदाई भी अब नहीं हो रही है। इसके चलते हवा में धूल की मात्रा बहुत कम हो गई है। वही वजह है कि दुनिया के टॉप-50 प्रदूषित शहरों में वाराणसी नहीं है।

भालेंद्र कुमार, क्षेत्रीय सहायक प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी

Posted By: Inextlive