संतान के लिए 50 फीट गहरे कुंड में उतरे 4.50 लाख लोग
वाराणसी (ब्यूरो)। भाद्रपद शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि पर भदैनी के लोलार्क कुंड में बृहस्पतिवार को साढ़े चार लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने संतान प्राप्ति और वंश वृद्धि की कामना के लिए 50 फीट गहरे कुंड उतर कर आस्था की डुबकी लगाई। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच बुधवार आधी रात 12 बजे से ही कतारबद्ध आस्थावान कुंड में स्नान करने के लिए उतर गए। बृहस्पतिवार की रात तक लाखों दंपतियों ने मनोकामनापूर्ण डुबकी लगाई। कतार इतनी लंबी थी कि किसी को डुबकी लगाने के लिए 50 घंटा का समय लगा तो कोई दस घंटे में ही पुण्य की डुबकी लगाकर धन्य हो उठा.
दो किलोमीटर लंबी कतार
संकरी गली में सदियों से स्थापित गहरे कुंड तक पहुंचने के लिए स्नान करने वाले पुरुषों और महिलाओं की डेढ़ से दो किलोमीटर लंबी कतार लगी रही। संतान प्राप्ति की कामना और कामना के पूर्ण होने पर पहुंचे श्रद्धालुओं की लाइनें दो दिन पहले ही लगनी शुरू हो गई थी.
मध्यरात्रि 12 बजे कुंड की पूजा
मध्यरात्रि 12 बजे कुंड की पूजन-आरती हुई। इस दौरान पूरा परिवेश डमरुओं की डिम-डिम से गूंज उठा। पूजनोपरांत तिथि अनुरूप स्नान शुरू हुआ जो बृहस्पतिवार को रात तक चलता रहा। कमिश्रनेट पुलिस ने भीड़ को सटीक व्यवस्था के साथ लाखों की भीड़ को न सिर्फ बखूबी नियंत्रित किया, बल्कि तेजी से भीड़ छंटती रही। वहीं, आस्थावानों की सुरक्षा के लिए कुंड में एनडीआएफ, जल पुलिस के साथ सेवादार भी मुस्तैद थे.
50-50 के समूह में कराया स्नान
भले ही मुख्य पर्व बृहस्पतिवार को था लेकिन स्नान के लिए दूर-दराज के इलाकों से भीड़ की जुटान मंगलवार से ही होने लगी थी। लोलार्क कुंड के निकट मुख्य मार्ग के दोनों ओर दूर तक बैरिकेडिंग की गई थी। सुबह आठ बजे स्थिति यह थी कि एक तरफ भदैनी से जंगमबाड़ी के आगे तक तो दूसरी ओर लंका तक कतार पहुंच गई थी.
एक से प्रवेश, दूसरे से निकास
कुंड के आसपास स्थान की कमी के कारण 100-100 लोगों के समूह को बारी-बारी से स्नान के लिए छोड़ जा रहा था। एक समूह के दंपतियों द्वारा स्नान करके कुंड से निकलने के बाद ही दूसरे समूह को आगे जाने दिया जा रहा था। वहीं, कुंड में एक ओर स्नान के लिए प्रवेश तो दूसरे ओर निकास की व्यवस्था बनाई गई थी। स्नान करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से आए लोगों को अपनी बारी के लिए घंटों प्रतीक्षा करनी पड़ी। आलम यह था की दिन में भदैनी से उत्तर की तरफ सोनारपुरा चौराहा और दक्षिण में पद्मश्री चौराहे तक कतार लगी रही.
एक सब्जी का किया त्याग
लोलार्क कुंड में स्नान के दौरान दंपतियों ने जो वस्त्र धारण किए थे उन्हें वहीं छोड़ दिया। स्नान के दौरान ही दंपतियों ने एक-एक सब्जी का त्याग भी किया। स्नान व सब्जी या फल दान के बाद दंपतियों ने लोलार्केश्वर महादेव का दर्शन भी किया। स्नान के बाद कुंड और सड़कों के किनारे कपड़ों व चप्पलों का ढेर लगा हुआ था.
यह है मान्यता
मान्यता यह है कि पुत्रप्राप्ति की कामना से स्नान करने वालों को भगवान सूर्य के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए किसी एक सब्जी का त्याग कर देना चाहिए। उसका पालन करते हुए बहुतेरे लोगों ने स्नान के उपरांत लौकी और कोहड़ा जैसी सब्जियां भी कुंड में प्रवाहित की। स्नान करने के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने रवींद्रपुरी स्थित क्रीं-कुंड में भी स्नान किया। यहां हां स्नान करने के पीछे रोगों से मुक्ति पाने की कामना मुख्य थी.