तालाबों के जीर्णोद्धार के लिए लाई गई अमृत सरोवर योजना भी बनारस में फेल महज 7 तालाबों का सौंदर्यीकरण वर्तमान में 68 तालाबों पर अतिक्रमण शहर के कालोनाइजर्स और दबंगों ने कब्जा करते हुए बनाए आशियाने

वाराणसी (ब्यूरो)बनारस में भूजल को रिचार्ज करने वाले और पर्यावरण हितैषी तालाबों की हालात काफी खराब है। तालाबों को सुरक्षित जीवन देने और उनके जीर्णोद्धार के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से मई 2022 में अमृत सरोवर योजना लाई गई थी। शासन का मानना था कि जो तालाब अतिक्रमण के घेरे में आ गए हैं, उनको अतिक्रमणमुक्त करते हुए उनका सौंदर्यीकरण कराया जाए। साथ ही उन तालाबों में हर वक्त पानी मौजूद रहने की व्यवस्था हो। साथ ही उन तालाबों के एरिया में इस प्रकार का रमणीय स्थल बनाया जाए, ताकि लोग सुबह की सैर करने के साथ ही अपनी थकान को मिटाने के लिए भी तालाबों का भ्रमण करें, परंतु वर्तमान समय में वाराणसी नगरीय सीमा के अंतर्गत शासन के ये सारे आदेश धराशायी साबित हो रहे हैं.

आधे तालाबों पर कब्जा

पर्यावरण को संजीवनी देने वाले तालाबों की स्थिति काफी दयनीय हो गई है। इनको अतिक्रमणमुक्त करने वाले अधिकारी अपने एसी कमरों से बाहर नहीं निकलते हैं बल्कि सिर्फ कागजों पर बैठे खानापूर्ति करते हैं। ऐसे में वर्तमान समय में बनारस के नगर निगम की सीमा में कुल 136 तालाब हैं, जिनमें से 68 तालाबों पर अतिक्रमण कर लिया गया है। आलम यह है कि कई तालाबों का अस्तित्व ही नहीं है। इतना ही नहीं नगरीय सीमा का विस्तार हुए 6 माह से ज्यादा का समय हो गया है फिर भी नए नगरीय सीमा के तालाबों की अभी तक काउंटिंग नहीं हो पाई है.

7 का सौंदर्यीकरण, 6 में पानी नहीं

तालाबों के सौंदर्यीकरण की जिम्मेदारी शासन स्तर से नगर निगम से लेते हुए वीडीए को दे दी गई। वीडीए के द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-2023 के अंतर्गत नगर निगम से अनुमति लेते हुए शहर के 7 तालाबों का सौंदर्यीकरण कराते हुए हैैंडओवर कर दिया गया। इन तालाबों के सौंदर्यीकरण करने के बाद इन्हें दिसम्बर 2022 में नगर निगम को हैैंडओवर कर दिया गया। इसके बाद से 6 माह से ज्यादा का समय बीतने को है, इसके बावजूद इन तालाबों को हरा भरा बनाने और इनकी लाइफ को बढाने के लिए नगर निगम की तरफ से इन तालाबों के अंतर्गत पानी की व्यवस्था भी नहीं कराई गई। इस दौरान वीडीए की तरफ से लहरतारा तालाब, रामकुंड तालाब, बकरिया कुंड तालाब, कर्णघंटा तालाब, दुर्गाकुंड तालाब, पुष्कर तालाब, चकरा तालाब का सौंदर्यीकरण का कार्य करवाया गया था.

17 पोखरियों पर भी कब्जा

तालाबों से जो छोटे जलाशय होते हैं, उन्हे पोखरी की संज्ञा दी जाती है। इसके साथ ही इन पोखरियों से बड़े और तालाबों से जो छोटे होते हैं उन्हें पोखरा कहा जाता है। शहर के अंदर आलम यह है कि पानी के लेवल को मजबूत करने वाले पोखरियों को भी अतिक्रमणकारियों के द्वारा मंदिर, घर, दुकान, वेयर हाउस के नाम पर कब्जा कर लिया गया है। ऐसे में इन तालाबों और पोखरियों को अतिक्रमण से आजादी दिलाने के लिए नगर निगम प्रशासन के पास कोई ठोस उपाय नहीं दिखाई देता है.

एक नजर तालाब और पोखरियों के हाल पर

तालाब-अद्यतन स्थिति

पहाडिय़ा तालाब-पट चुका है

सिकरौल तालाब-पट चुका

कैंटोरमेंट तालाब-पट चुका

इंग्लिशिया लाइन तालाब-आंशिक भाग पट गया

नदेसर तालाब-आंशिक भाग पट गया

सिकरौल तालाब-पट चुका है

माता कुंड तालाब-पट चुका है

हरतीरथ तालाब-पट चुका है

जगतगंज तालाब-पट चुका है

बौलियाबाग तालाब-पट चुका है

जैतपुरा तालाब-पट चुका है

धनेसरा तालाब-आंशिक भाग पट गया

सगरा तालाब-आंशिक भाग पट गया

तुलसीपुर तालाब-पट चुका है

शिवपुर तालाब-पट चुका है

मलदहिया तालाब-पट चुका है

शिवुपर तालाब-पट चुका है

शिवपुरवा तालाब-पट चुका है

शिवदासपुर तालाब-पट चुका है

बिरदोपुर तालाब-पट चुका है

सुद्धिपुर तालाब-पट चुका है

अमरपुर तालाब-पट चुका है

नऊआ पोखरा-पट चुका है

कनफोरवा तालाब-पट चुका है

खजुरी तालाब-पट चुका है

करौंदी तालाब-पट चुका है

तरना तालाब-पट चुका है

तलिया-पट चुका है

मीरापुर पोखरी-पट चुका है

टकटकपुर पोखरी-पट चुका है

रमरेपुर पोखरी-आशिंक भाग पट गया

चितईपुर तालाब-पट चुका है

सरायनंदन तालाब-पट चुका है

नेवादा तालाब-पट चुका है

सरायनंदन पोखरी-पट चुका है

अमृत सरोवर योजना में प्रदेश

उत्तर प्रदेश -प्रथम रैैंक

मध्य प्रदेश-दूसरा

जम्मू कश्मीर-तीसरा

राजस्थान-चौथा

तमिलनाडु-पांचवां

प्रदेश में शहरों की स्थिति

लखीमपुर खीरी-प्रथम

गोरखपुर-द्वितीय

प्रतापगढ़-तृतीय

बनारस-चतुर्थ

प्रयागराज-पंचम

शहर के जो भी तालाब अतिक्रमणयुक्त हो गए हैं, उनको मुक्त कराने के लिए प्रापर एक्शन टीम बनाकर कार्रवाई की जायेगी। इसके साथ ही समस्त तालार्बं को योजनाबद्ध तरीके से सौंदर्यीकरण करवाया जायेगा.

संदीप श्रीवास्तव, पीआरओ, नगर निगम

तालाब पाटे जाने का किया विरोध

मिर्जामुराद : गौर गांव में सोमवार की सुबह ग्रामीणों ने हाईवे किनारे स्थित तालाब (पोखरी) में पंप लगा पानी निकाल डंपर से मिट्टी डालकर उसे पाटे जाने का विरोध किया.ग्रामीणों के विरोध पर पंप बंद होने के साथ ही मिट्टी लदा डंपर वापस हो गया। उमेश, संतोष, मुन्ना समेत अन्य ग्रामीणों का आरोप रहा कि यह पोखरी ग्रामसभा की हैं। इसमें सैकड़ो घरों के जलनिकासी का पानी आता हैं। कागजी खेल कर इसे बेंच दिया गया हैं, जो गलत हैं। जमीन के कारोबारी उक्त पोखरी को पाटकर उस कीमती जगह पर प्लाङ्क्षटग करने की साजिश रच रहे हैं.

Posted By: Inextlive