सरकार नहीं है साहब अब आप ही कुछ करिए
वाराणसी (ब्यूरो)। शहर की मूलभूत समस्याओं के निस्तारण की जिम्मेदारी नगर निगम की है। यही वजह है कि गली, मुहल्ले व वार्डों की समस्याओं को लेकर सिगरा स्थित नगर निगम मुख्यालय में हर दिन लोग पहुंचते हैं। मंगलवार को भी सरकारी रोड पर अतिक्रमण, सीवर लाइन की सफाई, दाखिल खारिज, सड़कों पर गड्ढा, ब्रेकर, पेड़ हटवाने, पीला कार्ड जारी, लाइट लगवाने आदि समस्याओं को लेकर लोग पहुंचे थे। कुछ लोग अपने पार्षद को खोज रहे थे, लेकिन उनके कमरे में ताला बंद होने पर हर कोई मेयर कक्ष में मौजूद नगर आयुक्त शिपू गिरि के पास पहुंच गया। शहर के लोगों ने नगर आयुक्त के समक्ष समस्याएं रखीं और फरियाद लगाई कि सरकार नहीं है साहब, अब तो आप ही कुछ करिए। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने मुख्यालय की पड़ताल की तो कई ऐसी तस्वीर सामने आई, जो कुछ और ही संदेश दे रही थी।
मेयर कक्ष के बाहर गहमा-गहमी
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम मंगलवार दोपहर करीब 1 बजे नगर निगम मुख्यालय पहुंची। प्रवेश करते ही मेयर कक्ष, जहां अब नगर आयुक्त का नेम प्लेट लगा था। कमरे के अंदर नगर आयुक्त शिपू गिरि और उनकी पूरी टीम मौजूद थी। कक्ष के बाहर कई लोग जमा थे। गहमा-गहमी की स्थिति रही। जानकारी करने पर पता चला कि सुबह दस बजे से संभव जनसुनवाई चल रही है। एक एक कर फरियादियों को अंदर भेजा जा रहा था। यह सिलसिला दो बजे तक चलता रहा।
बाकी कक्षों के बाहर सन्नाटा मेयर कक्ष के बाद पार्षदों का कार्यालय होता था। इसके बाद कमरा नंबर पांच से लेकर आगे के कक्षों में ताला बंद था। किसी भी कमरे के बाहर नेम प्लेट नहीं दिखा। जानकारी करने पर पता चला कि कमरा-पांच में कांग्रेस के पार्षद बैठते थे। इसके बाद के कक्ष क्रमवार सपा, बसपा और भाजपा दल के पार्षदों के लिए अलॉट था। सभी कक्ष के बाहर सन्नाटा पसरा था। मौके पर एक भी पार्षद नहीं दिखे। परिषद विभाग में लाल किला पड़ताल के दौरान टीम परिषद विभाग के पहुंची तो कक्ष खुला था। अंदर पहुंचने पर करीब सात लोग मौजूद थे। बातचीत के दौरान टीम ने पूछा कि यहां किस चीज को लेकर बैठक चल रही तो पूछा गया कि आप कौन। सामान्य नागरिक बताने पर जवाब दिया गया कि अंदर लाल किला और ताजमहल है।टेक्नीकल रूप से नगर निगम प्रशासन द्वारा हम लोगों को पूर्व पार्षद घोषित कर दिया गया है, लेकिन पब्लिक अब भी हम लोगों के पास समस्याएं लेकर आती हैं। कुछ लोग मुख्यालय पहुंच जाते हैं तो फोन करके पूछते हैं कि पार्षद जी आपके कमरे में तो ताला बंद है, आप है नहीं क्या। समस्या लेकर जाने पर अधिकारी भी पार्षद को नहीं पहचानते हैं।
तुफैल अंसारी, पूर्व पार्षद अभी तक नगर निगम का चुनाव हुआ नहीं है। इसलिए पब्लिक अब भी हम लोगों को पार्षद मानती है और समस्याएं भी लेकर आती हैं, लेकिन समस्याएं सुनी नहीं जाती हैं। नगर निगम जाने का कोई मतलब भी नहीं है। हम लोगों को जो कक्ष मिला था, उसमें ताला बंद है। ऐसे में मुख्यालय जाना नहीं हो पाता है. हारुन अंसारी, पूर्व पार्षद जब तक अगला पार्षद चुनकर नहीं आ जाते हैं, तब तक निवर्तमान पार्षद माना जाता है, लेकिन हम लोगों को पूर्व पार्षद घोषित कर दिया गया है और हम लोगों के कमरों पर ताला भी बंद है। बावजूद पब्लिक की समस्याओं को लेकर नगर निगम जाना होता है। अंकित यादव, पूर्व पार्षद