Varanasi news: वायर अंडरग्राउंड, पोल हो गए लावारिस
वाराणसी (ब्यूरो)। शहर में ऐसे दर्जनों बिजली के पोल हैं जो या तो जर्जर हालत या फिर लावारिस अवस्था में पड़े हैं। इस तरह से हमेशा राजस्व का रोना रोने वाले पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम ने करोड़ों के कबाड़ को सड़क पर छोड़ दिया है, जिसे देखने की अहम जिम्मेदारी नहीं उठा रहे हैं। अगर ये जिम्मेदार चाह जाएं तो इन कबाड़ों को बेचकर सरकार को करोड़ों के राजस्व का फायदा पहुंचाने के साथ पुराने पोल को बदलकर नया कर सकते हैं, मगर ऐसा कर नहीं रहे हैं।
सीन-1
फातमान रोड पर लगा बिजली का पोल बिल्कुल ही जर्जर हालत में है। इसके ऊपर हाई वोल्टेज लाइन जा रही है, जबकि पोल के नीचे होल हो गया है। अगर पोल गिर जाए तो इससे बड़ा हादसा हो सकता है.
सीन-2
बादशाबाग कालोनी में भी कुछ ऐसा ही एक जर्जर पोल कब वहां की पब्लिक की जान का दुश्मन बन जाएगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। यह पोल में भी होल हो चुका है, जो कभी भी गिर सकता है.
सीन-3
कैंट रोडवेज बस अड्डे के पास भी एक ऐसा बिजली का पोल है, जो लावारिस हालत में है। यह तो टेढ़ा होकर लटक भी रहा है, लेकिन इसे विभाग की ओर से हटाने की जहमत नहीं उठाई जा रही।
सीन-4
सबसे व्यस्ततम मार्ग गिरजाघर चौराहे पर भी एक ऐसा बिजली का पोल बीच चौराहे पर खड़ा है जिसकी वहां कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि इस पूरे क्षेत्र में आईपीडीएस के तहत अंडग्राउंड केबलिंग हो चुकी है।
यह तो सिर्फ चार सीन हैं। सिटी को लटकते तारों के जंजाल से तो मुक्त करने के लिए यहां आईपीडीएस वर्क के तहत काम हुआ है। उस दौरान गली-मोहल्लों में बिजली के पोल और घरों के बाहर लगे इंसूलेटर पैनल व अन्य इक्यूपमेंट्स को हटाकर वहां अंडरग्राउंड केबलिंग कर जंक्शन बॉक्स लगाने का प्रस्ताव था। प्रपोजल के अकॉर्डिंग सब कुछ वैसा ही हुआ है। मगर कई एरिया में अभी बिजली के पुराने पोल और घरों में इंसूलेटर पैनल लगे हुए हंै, जबकि आईपीडीएस परियोजना को पूरा हुए दो साल से भी ज्यादा का समय बीत चुका है.
सरकारी संपत्ति बना कारण
बनारस में आईपीडीएस परियोजना को मूर्त लेने में करीब 4 साल का समय लगा था। पहले फेज में पुरानी काशी और दूसरे फेज में पहडि़य़ा, सारनाथ आदि था। इन दोनों फेज का काम पूरा हो चुका है। काम के दौरान यह तय था कि पुरानी बिजली सामग्री को वहां से हटा लिया जाएगा, लेकिन अभी भी कई ऐसे मुहल्ले और गलियां है जहां पुराने लोहे के पोल वैसे खड़े ही हैं। कही जगहों पर तो लटके हुए भी है। यही नहीं गलियों में जा रहे ओवरहेड तार को सपोर्ट देने के लिए लोगों के घरों की दीवार पर लगाए गए लोहे का इंगल को भी नहीं हटाया गया है। पुराने काशी क्षेत्र में हुए आईपीडीएस वर्क वाले सिटी के हर गली, सड़क, चौक या चौराहा कहीं भी देखेंगे तो पुराने लोहे का एकाध पोल जरूर मिल जाएगा। लक्सा, गोदौलिया, सिद्धगिरीबाग, गुरुबाग, कमच्छा, रथयात्रा, रविन्द्रपुरी, खोजवा आदि क्षेत्रों में पुराने पोल खड़े हैं।
हजारों में है पोल की कीमत
लोहे के एक बिजली के पोल का वजन करीब 10 क्विंटल या उससे ज्यादा तक है। इन्हें उखाड़कर बाजार में स्क्रैप के भाव भी बेचा जाए तो बिजली विभाग को प्रति पोल में 10 हजार से 11 हजार रुपए तक मिल जाएंगे। इसकी तरह अगर लोगों के घरों में लगे लोहे के इंगल को भी निकालकर बेचा जाए तो विभाग को एक इंगल से दो से तीन हजार फायदा हो जाएगा.
जब आईपीडीएस वर्क शुरू हुआ था, तब यह तय था कि जितने भी पुराने बिजली के पोल और लोगों के घरों में तारों के सपोर्ट के लिए लगे इंगल हैं, उसे उखाड़ लिया जाएगा। लेकिन इसे अब तक नहीं हटाया गया है। इसके लिए शिकायत भी की गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
रामबाबू, सोनारपुरा
ओवरहेड तारों के हटने के बाद सेफ्टी के साथ क्षेत्र की खुबसूरती तो बढ़ गई, लेकिन ये पुराने पोल अब इनकी खुबसूरती में दाग तो लगा ही रहे हैं। गली में पोल छोड़ दिये जाने से जमीन के अंदर से जा रहा केबल अगर कट गया तो उस पोल में करंट आ सकता है.
बबलू कुमार, मैदागिन
इस परियोजना को पूरा करने वाली एजेंसी पैकअप कर जा चुकी है। उस वक्त पोल हटाने के दौरान नगर निगम की ओर से बोला गया था कि कुछ पोल पर स्ट्रीट लाइट लगे हैं, इसलिए उसे न हटाया जाए। बाद में पता चला कि ऐसा नहीं है। अब इसे हटाने का प्रयास किया जाएगा। रही बात जर्जर पोल के हटाने की तो उसके बदलने की प्रक्रिया चल रही है.
एके वर्मा, एसई-सेकेंड, पीवीवीएनएल