बैंकों में अटका युवाओं के आत्मनिर्भर बनने का सपना
वाराणसी (ब्यूरो)। युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रदेश में मुख्यमंत्री स्वरोजगार और एक जिला एक उत्पाद योजना चलाई जा रही है। लेकिन, जिला उद्योग केंद्र से आवेदन मंजूर हो जानेे के बाद भी लोन की रकम के लिए आवेदकों को महीनों बैंकों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। स्थिति यह है कि इस वित्तीय वर्ष में बैंकों ने अब तक सीएम स्वरोजगार योजना के 34 में से 7 और ओडीओपी योजना के 27 में से 5 आवेदन ही पास किए हैं.
35 से अधिक पास नहीं हुए जिला उद्योग केंद्र से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि बीते तीन साल में मुख्यमंत्री स्वरोजगार और एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत बैंकों में भेजे गए आवेदनों में से 35 से अधिक पास ही नहीं हुए। अधिकतर आवेदनों में खामियां बताकर बैंकों ने उन्हें या तो रद्द कर दिए या फिर आवेदकों को उसे सही कराकर लाने के निर्देश दिए.तभी परवान चढ़ेगी योजनाएं
जिला उद्योग केंद्र के असिस्टेंट मैनेजर का कहना है कि बैंक यदि कुछ मामलों में लचीला रुख अपनाए तो सरकार की योजनाएं बेहतर तरीके से परवान चढ़ सकती हैं। वहीं बैंक मैनेजरों का कहना है कि लोन देने के पहले कई कागजों की जांच होती है। जिनके कागजों में कमी होती है, उन्हें दुरुस्त करने के लिए कहा जाता है लेकिन कई केस में आवेदक बाद में आते ही नहीं हैं.
ऋ ण पर सरकार देती है सब्सिडी मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत 25 लाख रुपये का लोन बैंकों से मिलता है, जिसमें 25 तक की राशि सरकार सब्सिडी के रूप में देती है। वहीं, ओडीओपी योजना के तहत जरी-जरदोजी, सुनारी, बांस बेत फर्नीचर कार्य को बढ़ावा देने के लिए 25 लाख के ऋ ण पर 25, 50 लाख के ऋ ण पर 20 प्रतिशत, 50 लाख से अधिक ऋ ण पर 10 प्रतिशत, अधिकतम 20 लाख तक का अनुदान दिया जाता है. बैंकों के स्तर पर समय से आवेदनों का निपटारा हो जाए तो आवेदकों को सहूलियत होगी। स्वरोजगार के कदम को देखते हुए बैंकों को छोटी कमियों पर सकारात्मक रुख अपनाना चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा युवा आत्मनिर्भर हो सकें. महेश शर्मा, संयुक्त आयुक्त उद्योग