Varanasi news: रोडवेज की हडताल से बनारस में न्यू ईयर पर दस हजार पैसेंजर्स बेबस
वाराणसी (ब्यूरो)। नव वर्ष के पहले दिन रोडवेज व प्राइवेट बसें स्टैंड और वर्कशाप में खड़ी दिखीं। हिट एंड रन को लेकर बनाए गए कानून के विरोध में चालकों ने जगह-जगह प्रदर्शन कर कानून वापस लेने की मांग की। कानून वापस नहीं होने तक आंदोलन जारी रखने का एलान किया। वहीं, नए साल के पहले दिन बसें नहीं चलने से करीब दस हजार यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। वे घंटों स्टैंड पर बस आने का इंतजार करते रहे। कुछ यात्रियों के विरोध के चलते परिवहन निगम के अधिकारियों ने कुछ बस चालकों को समझाकर बसों को भेजा। परेशान यात्रियों ने आटो और ई-रिक्शा का सहारा लिया। विरोध के चलते परिवहन निगम को पहले दिन करीब 63 लाख रुपये का नुकसान हुआ.
दिनभर जताया विरोध
बढ़ते सड़क हादसों को रोकने के लिए नया भारतीय संहिता कानून आया है। इस कानून के तहत सड़क हादसों में शामिल चालकों के लिए 10 साल की सजा और 10 लाख तक का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके विरोध पर धरने में बैठे बस ड्राइवर ने कैंट बस स्टेशन से एक भी बस निकलने नहीं दी। वह लगातार इस कानून के विरोध में हड़ताल कर रहे हैं, पर एआरएम के कहने पर दोपहर के बाद अनुबंधित बसों का संचालन किया गया। रोडवेज बसों के अलावा ट्रक चालकों की भी हड़ताल हैं। इससे शहर में यात्रियों को आवागमन में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
यात्रियों को नहीं मिली बस
बस स्टेशन पर सुबह से यात्री बस की आस पर बैठे रहे। यात्रियों के कई बार कहने पर भी बसों का संचालन नहीं किया गया। यात्रियों ने अधिकारियों से भी बस चलवाने की गुजारिश की पर बस चलाने के लिए ड्राइवर तैयार ही नहीं हो रहे थे। इसके चलते यात्री भी काफी गुस्सा गए थे। यात्रियों की परेशानी को देखते हुए एआरएम एके सिंह ने बस चालकों से बात की जिसके बाद सोमवार को दोपहर 3 बजे 8 बसों का ही संचालन हो पाया.
दस हजार यात्री करते हंै रोज सफर
रोडवेज से लगभग रोज दस हजार के करीब लोग यात्रा करते हंै। बस ड्राइवरों की हड़ताल के बाद इतने यात्रियों को मुसीबत झेलनी पड़ी। यात्रियों ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि वह सुबह से कैंट स्टेशन पर अपनी बस के चलने का इंतजार कर रहे हंै पर बस चालक चलने को तैयार नहीं हैं। नए साल के पहले ही दिन उन्हें इतनी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। बस चालकों ने अपनी हड़ताल जारी रखी और यात्रियों को निराश होकर प्राइवेट बसों का ही सहारा लेना पड़ा। इसके साथ ही गोरखपुर, गाजीपुर, लखनऊ, सोनभद्र, प्रतापगढ़, अयोध्या, बलिया, आजमगढ़ प्रयागराज, अमेठी, रायबरेली, जौनपुर जाने वाले यात्रियों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ा, क्योंकि इन रूट से सबसे ज्यादा बस जाती हैं।
बस चालकों ने कही अपनी बात
वहीं बस चालकों का कहना था कि यह कानून बहुत गलत है। इतना हम कमाते भी नहीं है जितना सरकार जुर्माना लगा रही है। ऐसे में अगर गलती से भी हादसा होता है तो यह हमारे और हमारे परिवार के लिए एक बड़ी मुसीबत बन जाएगा। इतना पैसा हम कहां से देंगे। इसके साथ ही उन्होंने अपनी हड़ताल तब तक जारी रखने का फैसला किया है जब तक सरकार इस कानून को हटा नहीं देती हैं.
निगम पंप पर खत्म हो गया डीजल
अलीनगर (चंदौली) स्थित इंडियन आयल कारपोरेशन के चालकों के हड़ताल पर जाने से टैंकर भी खड़े थे। इसका भी असर परिवहन निगम की बसों के संचालन पर पड़ा। परिवहन निगम के कार्यशाला स्थित पंप में डीजल खत्म हो गया।
इलेक्ट्रिक बस चालकों ने किया प्रदर्शन
नए कानून के विरोध में मिर्जामुराद स्थित इलेक्ट्रिक बस चार्जिंग स्टेशन पर भी चालकों ने प्रदर्शन कर विरोध जताया। सुबह कुछ बस चालक बसें लेकर निकले लेकिन साथियों का विरोध देख उन्होंने भी बसें खड़ी कर दी। इलेक्ट्रिक बसों के नहीं चलने से परेशान अधिकारी उनसे संपर्क करने लगे। दोपहर बाद कुछ बसों का संचालन हो सका। प्रदर्शन करने वाले सर्वेश उर्फ सोनू मिश्रा, अमित ङ्क्षसह, रामसूरत यादव, धनंजय, संदीप, विनोद, पंकज, अश्वनी, दिनेश कुमार का कहना था कि नया कानून चालक हित में नहीं है।
ऐसा कठोर कानून हमारे और हमारे परिवार वालों के लिए बड़ी परेशानी है। अगर गलती से भी हादसा होता है तो सजा हमें झेलनी होगी.
एके राय, बस ड्राइवर
सरकार के कानून हटाने के बाद ही बसों का संचालन किया जाएगा। इतना हम कमाते भी नहीं हैं, जितना जुर्माना लगाया जाएगा.
रामजी, बस ड्राइवर
यात्रियों की परेशानी देखते हुए और हड़ताल को रोकने के लिए बस चालकों से बात की जा रही है। कोशिश की जा रही है कि वह जल्दी ही अपना धरना रोक दें.
एके सिंह, एआरएम, सिटी बस स्टेशन