शहर के हर कालोनी में मौजूद हैं दर्जनों आवारा कुत्ते रोज 60 से 70 रेबीज डोज लेने पहुंच रहे पेशेंट पशु चिकित्सा विभाग बधियाकरण और लोकेशन परिवर्तन के मामले में हो रहा है फेल लोगों में फैल रहा है दहशत का माहौल सीएमओ का दावा नहीं होने देंगे रेबीज की कमी

वाराणसी (ब्यूरो)शरत ऋतु के मौसम का हां समापन हो रहा है, वहीं पतझड़ के साथ ग्रीष्म ऋतु का आगमन शुरू हो गया है। ऐसे में शहर के हर कालोनी में टेरर मचा चुके आदमखोर आवारा कुत्ते लोगों के बीच दहशत का माहौल बना रहे हैं। ऐसे में लोगों के बीच भय का माहौल बना हुआ है। इस बीच जिला प्रशासन से लेकर नगर निगम प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। ऐसे में उनके पास कोई उपाय ही नहीं दिख रहा है कि आखिर कैसे शहर के लोगों को इन कुत्तों के आंतक से निजात दिलाई जाए.

शहर के हर चौराहे पर इनकी फौज

शहर के अंदर वर्तमान समय में छोटे-बड़े मिलाकर 2980 चौराहे हंै। इनमें गलियों से होकर गुजरने वाले चौराहों को नहीं जोड़ा गया है। ऐसे में शहर के प्रत्येक चौराहे और गली में इस दौरान दर्जनों की संख्या में आवारा कुत्तों की फौज मौजमस्ती करते हुए दिखाई देते हैं। उनकी नजरों के सामने से यदि कोई बाइक सवार और राहगीर रास्ते से गुजरने की कोशिश करे तो ये उस पर झपट्टïा मारकर अटैक कर देेते हैं। जिसमें इंसान को एक तरफ इनके लगे हुए दांतों से घायल होना पड़ता है तो दूसरी तरफ सड़क पर गिरकर घायल होना पड़ता है.

25 हजार की फौज पर 25 लाख सालाना बजट

नगर निगम प्रशासन को नगर निगम निधि और जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयास के द्वारा इन कुत्ते के टेरर से शहर के लोगों को आजादी दिलाने के लिए 25 लाख सालाना दिया जाता है। इसमें इनके भोजन पोषण के साथ इनका बधियाकरण और इनका लोकेशन परिवर्तन तमाम प्रकार के कार्य सम्मिलित होते हैं। लेकिन, इतनी भारी भरकम मिलने वाले बजट के बावजूद नगर निगम प्रशासन शहर के लोगों को इनके आतंक से निजात दिलाने में असफल साबित होता हुआ दिखाई दे रहा है.

बधियाकरण की रफ्तार है धीमी

कुत्तों की प्रजनन क्षमता के अनुसार प्रति साल इनका आकलन किया जाता है और इनकी संख्या की गणना की जाती है। इसके साथ ही नियमावली के अनुसार कुत्ते के जन्म लेने के 6 माह के अंदर उसका बधियाकरण आवश्यक होता है। ऐसे में नगर निगम के पशु चिकित्सा विभाग की तरफ से एक माह में 213 कुत्ते का बधियाकरण किया गया है। दूसरी तरफ 213 कुत्ते प्रतिमाह के हिसाब से अब तक पांच सालों में अस्पताल की तरफ से 12784 कुत्तों का ही अब तक बधियाकरण किया गया है.

एक साल में 24 हजार लोगों ने लिया रेबीज का डोज

रेबीज इंजेक्शन की संख्या और इनके डोज लेने वाले मरीजों के डाटा के बारे में जानकारी ली गई तो पता चला कि शहर के सरकारी जिला अस्पताल और कबीरचौरा के मंडलीय अस्पताल के दोनों काउंटर में संयुक्त रूप से अब तक एक साल के अंदर 24 हजार लोगों ने रेबीज का इंजेक्शन लगवाया है। देखा जाय तो कुत्तों के आंतक से 67 लोगों को प्रतिदिन रेबीज की डोज लेनी पड़ी है। वहीं वर्तमान समय में भी इन्हीं दोनों अस्पतालों के अंदर 60 से 80 के बीच पेशेंट रेबीज का इंजेक्शन लेने के लिए आ रहे हैं.

एक नजर आंकड़े पर

जिला अस्पताल-40 से 50 पेशेंट रोजाना

मंडलीय अस्पताल-70 से 80 पेशेंट रोजाना

हमारी टीम की तरफ से शहर के कुत्तों को ट्रैस करते हुए उनका बधियाकरण करवाया जा रहा है। वे कुत्ते जो पहली बार हमारी पहुंच से दूर चले जाते हैं, उन्हें पकडऩे के लिए दोबारा टीम को भेजा जाता है.

अजय प्रताप सिंह, पशु चिकित्सा अधिकारी, नगर निगम

मरीजों का ध्यान रखते हुए प्रत्येक हास्पिटल में रेबीज के खुराक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करवाई जा रही है। साथ ही प्रयास रखा जा रहा है कि किसी भी मरीज को डोज के लिए परेशानी का सामना ना करना पड़े.

संदीप चौधरी, सीएमओ

Posted By: Inextlive