आपसी सहमति से बनेगा राम मंदिर: श्रीश्री
-आर्ट ऑफ लीविंग के प्रणेता श्रीश्री रविशंकर ने राम मंदिर निर्माण के लिए काशी से की ओम अनुग्रह यात्रा की शुरुआत
-इसके पूर्व संत समागम में 100 करोड़ लोगों की आस्था का सम्मान करने की कही बात VARANASI आर्ट ऑफ लीविंग के प्रणेता श्रीश्री रविशंकर ने दोनों पक्षों की सहमति से ही अयोध्या में राममंदिर निर्माण की बात दोहरायी है। मंदिर निर्माण के लिए आम सहमति बनाने की दिशा में अपने ओम अनुग्रह यात्रा का उन्होंने मंगलवार को बाबा विश्वनाथ की नगरी बनारस से श्री गणेश किया। इसके पहले चौकाघाट स्थित गिरिजा देवी सांस्कृतिक संकुल में हुए संत समागम में उन्होंने कहा कि राम मंदिर से 100 करोड़ लोगों की आस्था जुड़ी है और इसका सम्मान होना चाहिए। दुर्योधन बन रहे हैं रोड़ाश्रीश्री रविशंकर ने कहा कि दोनों पक्षों में बहुत से लोग ऐसे हैं जो इस विवाद का समाधान चाहते हैं। उन्हें पता है कि 100 करोड़ लोगों के सम्मान से अधिक मूल्यवान जमीन का एक टुकड़ा नहीं हो सकता। पर इसके साथ यह भी उतना ही सत्य है कि कुछ ऐसे भी हैं जो एक इंच जमीन देने को तैयार नहीं हैं। श्रीश्री ने ऐसे लोगों को दुर्योधन की संज्ञा दे डाली। कहा कि महाभारत में दुर्योधन ने भी एक इंच भी जमीन देने से मना किया था। जिसका नतीजा आपके सामने है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के लोगों को कोर्ट के फैसले का इंतजार है। उनका कहना है कि कोर्ट में तो किसी की हार और किसी की जीत होगी ही। ऐसी स्थिति में हारने वाले के मन में द्वेष पैदा होगा जो आने वाले सौ डेढ़ सौ साल बाद फिर से हिंसा और विवाद का कारण बनेगा। ऐसे में हमारा प्रयास है कि न किसी की जीत हो और न कोई हारे। अब एक एकड़ से भी कम जमीन बची है जो विवाद में है। यदि मुस्लिम समाज सौहार्द के तौर पर हिंदुओं को यह दे देता है, तो हिंदू समाज उन्हें दूसरी जगह मस्जिद के लिए जमीन उपलब्ध करा देगा। मुझे विश्वास है कि आपसी सौहार्द के साथ ही यह विवाद अंत लेगा.
बॉक्स सिटी स्टेशन से छूटी ओम अनुग्रह रेलश्रीश्री रविशंकर ने वाराणसी सिटी स्टेशन से ओम अनुग्रह यात्रा का शुभारंभ किया। सुबह 11 बजे स्टेशन से चली कुल 18 बोगियों वाली ट्रेन में श्रीश्री के साथ उनके 1200 अनुयायी थे। श्रीश्री रविशंकर स्पेशल ट्रेन मऊ, देवरिया, श्रावस्ती, गोरखपुर होते हुए लखनऊ जाएगी। ट्रेन चलने से पहले हर हर महादेव का जयकारा लगा।
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शुरुआत में ही झटका आर्ट ऑफ लीविंग की ओर से दावा किया गया था कि श्रीश्री रविशंकर की अगुआई में हो रहे संत समागम में विभिन्न संप्रदायों के लोग शामिल होंगे। पर ऐसा नहीं हुआ। राम मंदिर विवाद को सुलझाने की कवायद के तहत हुए संत समागम में मुस्लिम समुदाय की ओर से एक भी नुमाइंदा नहीं शामिल हुआ। सूत्रों का कहना था कि संत समागम में मुफ्ती ए शहर अब्दुल बातिन नोमानी को निमंत्रित किया गया था लेकिन वे आयोजन में शामिल नहीं हुए। यही स्थिति क्रिश्चियन संप्रदाय को लेकर भी रही। एक तरह से यह कहा जाय तो मंदिर निर्माण में आम सहमति बनाने की श्रीश्री रविशंकर की पहल को शुरुआत में ही झटका लगा। बताते चलें कि इसके पहले भी हिन्दू धर्म के बड़े धर्माचार्यो ने श्रीश्री रविशंकर के फार्मूले को मानने से इंकार किया है और उनकी पहल पर ही प्रश्नचिन्ह लगाया है। वर्जन श्रीश्री ने जो प्रयास किया है वह निश्चित ही सराहनीय है। उन्होंने राम मंदिर के लिए यात्रा निकाली है। गंगा के लिए भी एक यात्रा निकालें। बनारस से शुरू हुआ कोई भी काम सिर्फ काम नहीं अनुष्ठान हो जाता है।प्रो। विश्वम्भर नाथ मिश्र, महंत संकटमोचन मंदिर
ओम सिर्फ पूजा का मंत्र नहीं विश्व शांति का मंत्र है। श्रीश्री रविशंकर ने ओम से अनुग्रह यात्रा की शुरुआत की है। इसका सफल होना तय है। अगर राम मंदिर अभी नहीं बनेगा तो कभी नहीं बनेगा। संतोष दास, महामंडलेश्वर सतुआ बाबा आश्रम श्रीश्री रविशंकर ने राम मंदिर के निर्माण के लिए जो प्रयास शुरू किया है वह निश्चित ही एक शांति दूत की भूमिका है। बनारस से राम मंदिर निर्माण की पहल शुरू हुई, उनका प्रयास सफलता को प्राप्त होगा। प्रो। यदुनाथ दूबे, वीसी संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी