Varanasi news: बीमार बीएचयू: स्ट्रेचर पर पेशेंट्स का इंतजार, ढूंढे नहीं मिलता जांच काउंटर
वाराणसी (ब्यूरो)। पॉवर सेंटर काशी के बीएचयू का सर सुंदरलाल अस्पताल क्या खुद ही बीमार है? यह सवाल इसलिए उठा है, क्योंकि ओपीडी के बाहर ही पेशेेंट्स को स्ट्रेचर पर घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। 1100 डॉक्टर्स की 33 ओपीडी में पेशेंट्स परेशान ही रहते हैं। मंगलवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने बीएचयू की ओपीडी का रियलिटी चेक किया तो कोई स्ट्रेचर पर अपना पेेशेंट लेटाकर 100 नंबर जांच काउंटर को ढूंढने में परेशान रहा तो कोई मरीज को भर्ती कराने के लिए बेड के लिए परेशान दिखा। ओपीडी में मरीजों की इतनी भीड़ रही कि बैठने के लिए चेयर भी कम पड़ गई थीं। कोई गलियारे में लेटकर अपनी बारी का इंतजार करता रहा तो कोई हास्पिटल की दीवार पर टेक लगाकर इंतजार करते-करते सो गया।
ओपीडी में फजीहत
ओपीडी में मंगलवार को पहुंचे कई मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे। परिजन ट्रॉली से ऑक्सीजन सिलेंडर खींचते हुए ओपीडी लेकर गए थे, लेकिन वहां पर भीड़ इतनी ज्यादा थी कि उन्हे परेशान होना पड़ा। कोई व्हीलचेयर तो कोई स्ट्रेचर पर अपने मरीज को लेकर भटक रहा था। वहीं गर्भवती महिलाएं सोनोग्राफी के लिए परेशान दिखीं, क्योंकि डिपार्टमेंट में कोई उन्हें बताने वाला नहीं था। न्यूरोलॉजी और मेडिसिन की ओपीडी के बाहर जद्दोजहद देखने को मिली।
सुबह 6 बजे से भीड़
अस्पताल के कमरा नंबर 101 में ओपीडी की पर्ची के लिए लंबी लाइन लगी देखी गई। सुबह 6 बजे से ही ओपीडी में मरीज इक_ा हो गए थे। कुछ सीनियर डॉक्टर अपने-अपने चेंबर में मरीजों को देख रहे थे लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा थी कि मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ा। दोपहर दो बजे तक करीब एक हजार से अधिक मरीज बिना परामर्श के ही लौट गए।
पर्चा लिए दिखे परेशान
अस्पताल में एंट्री करते ही हाथ में पर्चा लिए हर अटेंडेंट अपने मरीज के लिए परेशान दिखा। कोई 100 नं। काउंटर को ढूंढने में परेशान था तो कोई ब्लड जांच के लिए। यहीं नहीं कई मरीज ऐसे भी दिखे जिनको यह पता नहीं था कि पर्चा काउंटर कहां पर है। अन्य जिलों से आए मरीज एक-दूसरे से पूछते रहे और धक्का खाते रहे.
टीबी-चेस्ट विभाग में भारी भीड़
बीएचयू के टीबी-चेस्ट विभाग में मरीजों की अधिक भीड़ दिखी। कई मरीज जो ऐसे भी थे, जो बलिया, झारखंड, भागलपुर, जौनपुर, मऊ, गाजीपुर से आए थे। चार घंटे इंतजार करने के बाद भी उनका नंबर नहीं आया था।
सीसीआई लैब के लिए परेशान
बीएचयू अस्पताल के बाहर छोटा से बोर्ड पर यह लिखकर लगा दिया है कि सीसीआई लैब कमरा नं। 100 नंबर में समस्त जांचों की सेवा 24 घंटे उपलब्ध है। रोगियों के तीमारदारों की भीड़ देखकर लग रहा था कि क्या एक दिन में सभी की जांच हो जाएगी। काउंटर की संख्या न बढऩे की वजह से एक-एक काउंटर पर दर्जनों मरीजों की भीड़ लगी रही। कई मरीज के परिजन को तो पता ही नहीं था कि सीसीआई लैब कहां पर है.
न्यूरोलॉजी, ऑन्कोलॉजी में मारामारी
बीएचयू के न्यूरोलॉजी और ऑन्कोलाजी में भी मरीजों की भारी भीड़ रही। बलिया से आए मेवालाल ने बताया, तड़के 5 बजे बीएचयू आ गया था। पर्चा कटवाने के बाद न्यूरोलॉजी में डॉक्टर को दिखाने के लिए पर्चा जमा कर दिया था। 5 घंटे के बाद भी नंबर नहीं आया। भीड़ कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। न जाने कब मेरा नंबर आएगा, कोई बताने वाला भी नहीं है.
2500 बेड, फिर भी स्ट्रेचर पर मरीज
बीएचयू में मरीजों को भर्ती कराने के लिए 2500 बेड हैं। इसके बाद भी स्ट्रेचर पर मरीज को लेटाकर इलाज किया जा रहा है। यहीं नहीं बेड न मिलने पर कई तीमारदार परिसर में ही प्लास्टिक बिछाकर अपने मरीज को लेटा देते हैं और तब तक इंतजार करते हैं जब तक उन्हें बेड नहीं मिल जाता।
8-10 हजार डेली ओपीडी
बीएचयू में जनरल सर्जरी, यूरोलॉजी, ऑन्कोलॉजी पीडियाट्रिक, यूरोलॉजी, हड्डी, गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी, स्किन, टीबी, चेस्ट, ईएनटी, आई डिपार्टमेंट, हार्ट, डरमेटोलॉजी, जिरियाट्रिक समेत 33 ओपीडी चलती हैं। इन ओपीडी में प्रतिदिन 8 से 10 हजार लोग इलाज के लिए आते हैं। इनमें इलाज के अभाव में कई तो वहीं परिसर में ही रुक जाते हैं तो कई वापस चले जाते हैं। आईसीयू में बेड की संख्या 60 होने की वजह से सैकड़ों मरीज जनरल वार्ड में ही इलाज कराने के लिए मजबूर हैं.
फैक्ट एंड फीगर
2500 बेड बीएचयू के हॉस्पिटल में
300 में ताला बंद
60 बेड आईसीयू में
200 और बेड की जरूरत
500 सीनियर रेजीडेंट
600 जूनियर रेजीडेंट
33 विभाग
गैस की प्रॉब्लम है। डॉक्टर ने भर्ती करने के लिए लिखा है, लेकिन बेड नहीं मिला है। इसलिए बाहर ही बैठना पड़ा।
श्रीमती, पलामू झारखंड
माइग्रेन की प्रॉब्लम है। बीएचयू में इलाज कराना काफी मुश्किल है। चार घंटे से बैठी हूं, अभी तक मेरा नंबर नहीं आया.
शीला, पलामू झारखंड
सौ नंबर काउंटर ढूंढने में जद्दोजहद करनी पड़ती है। कोई बताने वाला भी नहीं है। मरीज की ब्लड की जांच करानी है.
मेवालाल, बलिया
यहां की व्यवस्था देखकर चिंता में हूं। कब तक यहां रहेंगे। कुछ भी पता नहीं, हमारे मरीज को राहत नहीं मिली.
देवी प्रसाद, गया
बेडों की संख्या और बढ़ाने के लिए बात चल रही है। बेड बढ़ जाने से मरीजों को दिक्कत नहीं होगी.
एसएन शंखवार, डायरेक्टर, आईएमएस
बीएचयू में मरीजों को काफी दिक्कत हो रही है। 300 बेड बनकर तैयार हैं, लेकिन उन्हें ताले में बंदकर रखा गया है.
डॉ। ओमशंकर, कार्डियोलॉजी