बनारस में फ्लैट्स में सेक्स बिजनेस
वाराणसी (ब्यूरो)। स्मार्ट सिटी वाराणसी में अच्छा हो या गंदा काम, सब स्मार्ट तरीके से चल रहा है। बनारस में सेक्स का बाजार कोई नया नहीं है। चार दशक पहले धर्मनगरी काशी में शिवदासपुर, मंडुवाडीह, दालमंडी बदनाम मुहल्लों में आते थे, लेकिन जैसे-जैसे बनारस का रंग और मिजाज बदला तो जिस्मानी धंधे के इलाके भी बदल गए हैं। अब मुहल्ले में नहीं, बल्कि कालोनियों व अपार्टमेंट में चोरी-छिपे सेक्स का मायाजाल फैला है। कह सकते हैं कि बनारस इन दिनों सेक्स टूरिज्म का हब बनता जा रहा है। तीन दिन पहले पीडब्ल्यूडी मार्ग स्थित अभिलाषा नगर कालोनी से पश्चिम बंगाल की लड़कियां पकड़ी गई थीं। दो माह पहले विश्वनाथपुरी कालोनी में सेक्स रैकेट में झारखंड व सोनभद्र की रहने वाली लड़कियां पकड़ी गई थीं। इस घटना से एक माह पहले परमहंस कालोनी से नेपाल की लड़कियां पकड़ी गई थीं.
सेक्स के नये ठिकानेसेक्स का कारोबार अब बदनाम गलियों से उठकर पॉश इलाकों में पहुंच गया है। सेक्स रैकेट चलाने वालों ने अब महंगे अपार्टमेंट व किराये के कमरों को अपना ठिकाना बनाया है। परमहंस नगर कालोनी, खुशहाल नगर, आवास विकास कालोनी, विश्वनाथपुरी कालोनी, संजय नगर कालोनी समेत तमाम कालोनी हैं, जहां चोरी-छिपे सेक्स का धंधा चल रहा है। कई कालोनियां ऐसी हैं, जो बकायदा बंगाल, नेपाल, पहाड़ की लड़कियों के लिए जानी जाती है.
व्हाट्सएप पर उपलब्ध हैं लड़कियां बनारस में तेजी से फैल रहे सेक्स के धंधे में बंगाल, नेपाल, पहाड़ के अलावा छात्राएं भी लिप्त हैं, जो भला यूनिवर्सिटी के नाम से जानी जाती है। इन छात्राओं का कोई अड्डा नहीं है। ये व्हाट्सएप पर उपलब्ध है। डिमांड पर ये लड़कियां आती हैं, जो शहर के बड़े होटलों में कस्टमर को बुलाती है। पैसा भी एडवांस गूगल पे या ऑनलाइन पे पर मंगा लेती है। इनका पूरा कारोबार व्हाट्सएप पर ही चलता है। हालांकि मोबाइल नंबर पर जब कोई संपर्क करता है तो परिचय देना पड़ता है। किससे नंबर मिला है, उसका नाम भी बताना पड़ता है। बस, इसी तरह से यह नंबर दूसरे से तीसरे और चौथे के पास पहुंचता है। सेक्स रैकेट चलाने वाले समय-समय पर अपने मोबाइल नंबर भी बदल देते हैं। नंबर बदलते हीं इसकी जानकारी ग्राहकों को दे दी जाती है. ग्रुप बनाकर चल रहा सेक्स रैकेटधर्म नगरी में कुछ पॉवरफुल और सफेदपोश के संरक्षण में सेक्स रैकेट का ग्रुप संचालित होता है। गु्रप में शामिल लड़कियों को बकायदा सैलरी दी जाती है। ये लड़कियां दिन में सिर्फ एक या दो घंटे के लिए इस काम में संलिप्त रहती हैं। बाकी समय में अपने कामों में व्यस्त रहती हैं। सामाजिक क्लबों की आड़ में भी कई महिलाओं ने सेक्स रैकेट का नेटवर्क बना रखा है, जो सफेदपोश के इशारे में काम करती हैं। जिस्मफरोशी के कारोबार का संचालन करने वालों ने नेटवर्किंग के जरिए इस समय पूरे देश में जाल फैला रखा है। इस कारोबार में ऐसी तेजी आई है कि एक शहर में कॉल गल्र्स को एक हफ्ते से अधिक समय तक रोका नहीं जा रहा है.
यहां तो चलता है खुलेआम लहरतारा-चौकाघाट पुल के नीचे कैंट स्टेशन के सामने तो खुलेआम सेक्स रैकेट का धंधा चलता है। दोपहर, शाम या रात। जहां तो हर वक्त महिलाएं व लड़कियां खड़ी मिल जाएंगी, जो इशारे से ग्राहकों को बुलाती है। आम पब्लिक के सामने जिस्मफरोशी का गंदा खेल चलता है। रेट तय होते ही ये महिलाएं या लड़कियां स्टेशन के सामने होटल में चली जाती हैं। यह सब पुलिस जानती है और कार्रवाई भी करती है, लेकिन यह गंदा खेल रुक नहीं रहा है.पहले इसके लिए चिन्हित इलाके होते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। इसका कोई खास इलाका नहीं है। कई कालोनियों में सेक्स रैकेट का खुलासा हुआ है। आम पब्लिक शिकायत या संदेह होने पर पुलिस छापेमारी करती है।
संतोष सिंह, एडिशनल सीपी