Varanasi news: आईआईटी बीएचयू बदलेगा कोयले की तकदीर
वाराणसी (ब्यूरो)। आईआईटी-बीएचयू अब कोयले की तकदीर बदलने का काम करेगा। यहां देशभर से आने वाले कोयला गुणवत्ता प्रबंधन और उपयोग के लिए अलग सेंटर स्थापित किया गया है, ताकि कोयला उत्पादन की तकनीक से देश को परिचित कराया जा सके। संस्थान स्थित देश के सबसे पुराने माइनिंग इंजीनियरिंग विभाग (1923 में स्थापित) 27 से 29 जनवरी तक अपना शताब्दी समारोह माना रहा है। इस मौके पर आईआईटी बीएचयू में कोयला केंद्र एवं कोयला गुणवत्ता प्रबंधन व उपयोगिता रिसर्च सेंटर का शुभारंभ किया गया है।
सीएमडी ने किया उद्घाटन
सेंटर का उद्घाटन कोल इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष पीएम प्रसाद और सीएमपीडीआई रांची के सीएमडी मनोज कुमार ने किया। इस अवसर पर मनोज कुमार ने रिसर्च सेंटर को कोयला ग्रेडिंग के अलावा कोयले के रिसर्च एवं विकास से संबंधित अन्य लोगों को भी समर्थन देने का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया की सीक्यूएमयूआरसी कोयला उत्पादकों और उपभोक्ताओं की कोयले की गुणवत्ता का आकलन करने की जरूरतों को पूरा करेगा।
शोधकर्ताओं को सुविधा
यह केंद्र संस्थान के छात्रों, विद्वानों, शोधकर्ताओं और अन्य शैक्षणिक और अनुसंधान संगठनों को अपनी सुविधा प्रदान करेगा। केंद्र कोयला उद्योग को कोयले की गुणवत्ता, गुणवत्ता सुधार और कोयला उप-उत्पादों के उत्पादन की घोषणा करने में अनुसंधान और परामर्श सेवाएं भी प्रदान करेगा। यह केंद्र न्यूनतम सीओ-2 उत्सर्जन के साथ कोयला दहन की दक्षता में सुधार के अलावा कोयले को तरल और कोयले को गैस में परिवर्तित करने के अनुसंधान को भी प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि स्थानीय कोयला व्यापारी भी इस केंद्र की कोयला ग्रेडिंग सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। यह आश्वासन भी दिया गया है कि कोयले की ग्रेडिंग मौजूदा सुविधा द्वारा उच्चतम सटीकता के साथ की जाएगी।
2070 तक माइनिंग जीरो
डिपार्टमेंट ऑफ माइंनिंग इंजीनियरिंग के सह-समन्वयक प्रो। आरिफ जमाल ने बताया कि सतत माइनिंग के बाद भी स्वच्छ कोयले की जरूरत बढ़ती जा रही है। वहीं खनन के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए वैश्विक और नेशनल रिसर्च सेंटर के रूप में यह कार्य करेगा। 2070 तक कोल इंडस्ट्री बंद होने वाली है। जितना कोयला निकालना है उसे 2045 तक निकाल लिया जाएगा। कोल इंडिया मैक्सिमम इम्लॉयमेंट भी कर रही है और मैक्सिमम प्रोडक्शन की तरफ भी जा रही है।
कैसे होगा इस्तेमाल
2045 के बाद 2070 तक माइनिंग जोरो कर देना है। इसके बाद जब देश में कोयला तो बहुत ज्यादा हो जाएगा, तो इसका इस्तेमाल कैसे होगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए कोयला गुणवत्ता प्रबंधन और उपयोग केंद्र की कल्पना की गई थी। कोल से बिजली बनाने के अलावा और क्या-क्या किया जा सकता है। कोल को लिक्विड में कैसे बदले ताकि वह पेट्रोल आदि में इस्तेमाल करे, कोयले को गैस में बदल दे तो उसे कैसे यूज किया जाए कोयले पर इतने सारे प्रोडक्ट बन सकते हैं, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। इन्हीं सब सोच के साथ ही इस रिसर्च सेंटर का शुभारंभ किया गया है।
निर्धारित होगा गुणवत्ता व ग्रेड
यह देश का अपनी तरह का पहला एकेडमिक-इंडस्ट्री पार्टनरशिप पर आधारित रिसर्च सेंटर है, जहां स्वच्छ कोयला उत्पादन व कोयले की गुणवत्ता बढ़ाने पर रिसर्च किया जाएगा। वहीं स्वच्छ कोयला तकनीक पर रिसर्च करने के लिए अत्याधुनिक सुविधा से इसे लैस किया गया है। इसके साथ ही यह कोयले की गुणवत्ता और ग्रेड का भी निर्धारण करेगा। इस सेंटर को तैयार करने में करीब दो करोड़ की लागत आई है। इसमें हाई टेक्नोलॉजी की मशीनें लगाई गई है। जिससे रिसचर्स को रिसर्च करने में ज्यादा कठिनाई का सामना न करना पड़े। प्रो। आरिफ जमाल ने बताया कि इस केंद्र को समय के साथ बदलती उन्नत तकनीक से लगातार अपडेट करने का प्रयास किया जा रहा है। पहले स्टेज में जहां दो करोड़ की धनराशि से सेंटर को तैयार किया गया है, वहीं सकेंड स्टेज में 10 करोड़ की फंडिग होगी, इसके के लिए चीफ गेस्ट मनोज कुमार ने अगले प्रोजेक्ट का प्रपोजल मांग है। उद्घाटन के समय, सीआईएमएफआर धनबाद के पूर्व निदेशक प्रो। बीबी धर, एसईसीएल बिलासपुर के पूर्व सीएमडी श्री एमके थापर, स्वीडन से प्रो। उदय कुमार, डीएमटी कोलकाता से टी। गुणशीलन जैसे कई दिग्गज और प्रतिनिधि उपस्थित रहें.
सेंटर मेंं उपलब्ध उपकरण
1. बम कैलोरीमीटर
2. पेट्रोग्राफिक अध्ययन प्रणाली
3. हार्ड ग्रूव ग्राइंडबिलिटी परीक्षक उपकरण
4. कोयला चूर्ण करने वाला
यह देश में अपनी तरह का पहला एकेडमिक-इंडस्ट्री पर आधारित रिसर्च सेंटर है। जहां स्वच्छ कोयला उत्पादन व कोयले की गुणवत्ता बढ़ाने पर रिसर्च होगा। वहीं स्वच्छ कोयला तकनीक पर रिसर्च करने के लिए अत्याधुनिक सुविधा से इसे लैस किया गया है। यह सुविधा सभी हितधारकों, शोधकर्ताओं और कोयला आधारित उद्योगों तक एक ही स्थान पर पहुंचनी चाहिए। इसका लाभ पूर्वाचल के स्थानीय कोयला व्यापारियों को भी मिलना चाहिए.
प्रो। प्रमोद कुमार जैन, डायरेक्टर, आईआईटी (बीएचयू)