सिटी के कॉलोनियों में बंदरों का आतंक डर से बच्चों का घर से निकलना हुआ मुश्किल रामकुंड व श्रीनगर समेत दर्जनों मुहल्लों में लोगों का आना-जाना मुहाल लोग बदल रहे अपना रास्ता


वाराणसी (ब्यूरो)शहर में हर तरफ हैं आतंकी। जी हां, इनके आतंक ने लोगों को जीना मुहाल कर दिया है। खून-खराबा इनकी आदत बन गई है। कब किसको काट खाएं, किसको नाखून लगा दें, कुछ नहीं कहा जा सकता। डेली दर्जनों लोगों को ये अपना शिकार बनाते हैं। इन आतंकियों से शहर के दर्जनों एरिया और कॉलोनियों के लोग त्रस्त हैैं। सबसे ज्यादा ये बच्चों को अपना शिकार बना रहे हैं। ये आतंकी कोई इंसान नहीं बल्कि बंदर हंै। इनके डर से बच्चे नजरबंद हो गए हंै, बाहर निकलने पर कहीं ये बच्चों पर हमला न कर दें, इस डर से बच्चे स्कूल तक नहीं जा पा रहे हैं। मगर अफसोस कि बंदरों को भगाने वाली नगर निगम की टीम सो रही है। उन्हें न पब्लिक की फिक्र है और न ही उन बच्चों की जो अपने ही घर में कैदी की तरह बैठे हैं। बताया जाता है कि बंदरों को भगाने के लिए कुछ साल पहले पब्लिक ने इन आतंकियों की सुपारी एक स्पेशल टॉस्क फोर्स को दी थी। टास्क फोर्स के ये जांबाज और कोई नहीं, बल्कि लंबी पूंछ वाले ब्लैक फेस्ड लंगूर थे। लेकिन अब वे भी गायब हो गए हैं।

संख्या में लगातार हो रहा इजाफा

सिटी में कोई ऐसा मोहल्ला या कॉलोनी नहीं, जहां बंदरों का आतंक नहीं हो। लेकिन इन दिनों बंदरों का आतंक सबसे ज्यादा लक्सा रामकुंड स्थित श्रीनगर कॉलोनी, लक्ष्मीकुंड, सोनिया, शीशमहल कॉलोनी, कमच्छा, बटुक भैरव स्थित कॉलोनी में फैला हुआ है। रामकुंड पोखरे के पास सुबह से लेकर रात तक बंदरों का झुंड रास्ते में ही बैठा रह रहा है। इसकी वजह से लोगों का वहां से गुजरना मुश्किल हो गया है। यही नहीं सुबह के समय स्कूल जाते वक्त बच्चों को भी काफी मुसीबत झेलनी पड़ रही है। पिछले 10 दिनों यहां बंदरों ने दर्जनों लोगों पर हमला कर बुरी तरह से घायल कर दिया है। लोगों का कहना है कि पहले बंदर दुर्गा मंदिर और संकटमोचन मंदिर में ही रहते थे, लेकिन अब इनका कब्जा करीब-करीब पूरे शहर में हो गया है। जिस तरह इनकी जनसंख्या बढ़ी है, उसकी तुलना में भोजन के संसाधन सीमित हैं। ऐसे में ये शहर के दूसरे इलाकों में भी भोजन की तलाश में पहुंचने लगे हैं.

घर का लॉक भी खोल देते हैं

स्थानीय लोगों का कहना है कि बंदरों को पकडऩे की जिम्मेदारी उठाने वाले नगर निगम की लापरवाही बच्चों की जान पर बन आई। शहर में बंदरों का आतंक एक बार फिर से बढऩे लगा है। बंदरों के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए नगर निगम ने जिम्मा उठाया है। लेकिन केवल यह कागजों तक सीमित है। शहर में दुकान, मकान, मंदिर, पार्क के साथ करीब-करीब हर जगह बंदरों ने डेरा डाल रखा है। ये बंदर घरों में भी घुस कर सामान आदि नष्ट कर दे रहे हैं। भगाने पर लोगों पर घायल कर दे रहे हैं। इनके आतंक से लोगों को अपने ही घर में नजरबंद रहना पड़ रहा है। बच्चे बाहर खेलने की बजाय घरों में कैद रहने को मजबूर हैं। बंदर इतने स्मार्ट हो चुके हैं कि दरवाजों के लॉक को भी खोल लेते हैं और घर में घुसकर धमाचौकड़ी करते हैं.

इन क्षेत्रों में है बंदरों का आतंक

शहर के सिगरा, महमूरगंज, कैंट, औरंगाबाद, लक्ष्मी कुंड, रामकुंड, गांधीनगर, लोहटिया, बड़ा गणेश, हरतीरथ, मैदागिन, चेतगंज, दुर्गाकुंड, रविन्द्रपुरी कॉलोनी, कबीर नगर कॉलोनी, ब्रह्मïानंद, साकेत नगर, लंका, सुंदरपुर, दशाश्वमेध के अलावा वरुणापार का गीता नगर, खजुरी, डीआईजी कॉलोनी, पीएनटी कॉलोनी, अशोक विहार, अशोक नगर, प्रेमचंद नगर कॉलोनी समेत शहर के विभिन्न इलाकों में बंदरों का आतंक ज्यादा हैं। साकेत नगर, गुरुधाम, सिगरा आदि इलाकों में भी इनका आतंक है।

बंदरों को पकडऩे के लिए मथुरा की एक एजेंसी काम कर रही है। रोटेशन वाइज ये टीम अलग-अलग एरिया में जाती है। एक बार जहां बंदर पकड़ लिये जाते हैं वहां तीन से चार माह तक एक भी बंदर दिखाई नहीं देता। श्रीनगर कॉलोनी में जल्द टीम बंदरों को पकडऩे के लिए पहुंचेगी।

अजय प्रताप सिंह, पशु चिकित्साधिकारी, नगर निगम

Posted By: Inextlive