ओडिसी नृत्य ने मां अंजना को किया जीवंत
वाराणसी (ब्यूरो)। संकट मोचन संगीत समारोह की तीसरी संध्या में भगवान हनुमान की मां अंजना पर आधारित प्रसंग जीवंत हुआ। विश्व स्तरीय नृत्यांगना संचिता भट्टाचार्य ने ओडिसी नृत्य शैली में अंजना प्रकरण की आनंदकारी प्रस्तुति दी। सौवें संस्करण के लिए खास तौर पर तैयार की गई इस प्रस्तुति में हनुमान जन्म से लेकर राम दूत के रूप में स्थापित होने तक की कुछ अनछुए प्रसंगों को ओडिसी की विविधता पूर्ण भंगिमाओं में समाहित किया.
15 मिनट की प्रस्तुतिओडिसी की परंपरा और सैद्धांतिक दिशानिर्देशों का पालन करते हुए तैयार की गई 15 मिनट की प्रस्तुति में माता अंजना की मनोभावों को नृत्य मुद्राओं में बखूबी व्यक्त किया गया। माता अंजना द्वारा शिव से शिव जैसा ही पुत्र मांगने से आरंभ हुई इस नृत्य प्रस्तुति से पूर्व संचिता ने भगवान श्रीराम की स्तुति से नृत्य का आरंभ किया। अहिल्या प्रसंग की भावपूर्ण अभिव्यक्ति करते हुए पुन: शिव आराधना की ओर लौटीं और नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय पर नृत्य किया। उनके साथ इस प्रस्तुति में अमृता अधिकारी स्मृति, मजुमदार ,सृजनी विश्वास शामिल रहीं.
वीणा पर जुगलबंदी कीपद्मभूषण पं। विश्वमोहन भट्ट एवं सलिल भट्ट ने क्रमश: मोहन वीणा और सात्विक वीणा पर जुगलबंदी की। विश्वमोहन भट्ट द्वारा रचित राग विश्वरंजनी की अवतारणा से हनुमत दरबार में विश्व कल्याण की गुहार लगाई। आरंभ में पारंपरिक आलाप, जोड़, झाला के बाद विलम्बित, मध्य और द्रुत लय में गतों का वादन किया। तीन ताल में तीव्र झाला, सवाल-जवाब के बद अंत में दोनों वीणाओं और तबले के बीच स्वर संवाद से वादन को विराम दिया गया.