इंजन का ग्रेड यूरो-4 की जगह यूरो-3 दर्ज हुआ गाड़ी मालिकों को परेशानी सीएनजी किट लगवाते समय वाहन स्वामियों को पता चल रहा

वाराणसी (ब्यूरो)पेट्रोल की बढ़ती कीमत और माइलेज को देखते हुए चेतगंज के रहने वाले मोहन कुमार ने अपनी कार में सीएनजी किट लगवाई। इसके बाद आरसी में चढ़वाने के लिए आरटीओ दफ्तर पहुंचा तो पता चला कि उनके वाहन का रिकार्ड गड़बड़ है। यूरो-4 की जगह यूरो-3 दर्ज है। यही नहीं मोहनसराय के गोपी यादव की गाड़ी यूरो-4 है, लेकिन आरसी में यूरो-3 चढ़ा दी गई है। इसे बदलवाने के लिए वे भी आरटीओ दफ्तर पहुंचे थे। पड़ताल करने पर पता चला कि परिवहन विभाग की लापरवाही से करीब 8 हजार वाहनों का रिकार्ड गलत दर्ज हो गया है। सरकारी आंकड़ों में ये गाडिय़ां यूरो-3 में दौड़ रही हैं.

बड़े पैमाने पर यूरो-3 के वाहनों का पंजीयन

प्रदूषण पर अंकुश लगाने और वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए पूरे देश में एक अप्रैल 2017 से वाहनों के लिए मानक-4 लागू किया गया। उत्तर प्रदेश समेत सभी राज्यों में बीएस-3 वाहनों का पंजीकरण 31 मार्च 2017 को बंद हो गया था। वाराणसी समेत प्रदेश के सभी जिलों में बीएस-4 के वाहनों का पंजीकरण पूरी तरह से बंद हो गया, लेकिन इसके बाद भी वाराणसी में बड़े पैमाने पर यूरो-3 के वाहनों को दर्ज किया गया। हालांकि वाहनों के कागजों में सभी वाहन यूरो-4 के रहे, लेकिन डाटा एंट्री ऑपरेटर की लापरवाही से जिले में करीब 8 हजार वाहन आज भी यूरो-3 में दर्ज हैं। करीब छह साल बाद वाहनों के बेचने और सीएनजी किट लगवाते समय वाहन स्वामियों को परिवहन विभाग की इस गलती का पता चल रहा है.

रोजाना पहुंच रहे 3 वाहन चालक

शिकायत लेकर पहुंच रहे गाड़ी मालिक यूरो-4 गाड़ी होने के बाद भी यूरो-3 ग्रेड दर्ज होने से वाहन स्वामियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें अपने काम छोड़कर वाहन का टाइप बदलवाने के लिए आरटीओ दफ्तर के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। प्रतिदिन 2 से 3 वाहन स्वामी अपनी शिकायत लेकर आरटीओ पहुंच रहे हैं। दलालों के माध्यम से काम कराने वाले लोग इनसे अलग हैं.

अब बीएस-6 वाहनों का पंजीकरण

फिलहाल यूरो-6 वाहनों का पंजीकरण वाहनों से निकलने वाले धुएं से वायु प्रदूषण की समस्या गंभीर होती जा रही है। इसके चलते 1 अप्रैल 2020 से यूरो-6 यानी बीएस-6 वाहनों का पंजीकरण शुरू हो गया। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से यूरो-6 के ईंधन को 2018 में ही लांच कर दिया गया था। बता दें कि पेट्रोल में 500 पीपीएम और डीजल में 1000 पीपीएम सल्फर मौजूद होता था। यूरो-6 के ईंधन में सल्फर की मात्रा को कम की गई है.

यूरो-4 पंजीकरण के शुरुआती दौर में डाटा एंट्री ऑपरेटर से वाहनों के पंजीकरण के समय कुछ दिक्कत आई। इससे कुछ वाहन यूरो-3 में दर्ज हो गए। वाहन स्वामी शिकायत लेकर आ रहे हैं। उनकी समस्या का समाधान किया जा रहा है.

सर्वेश चतुर्वेदी, एआरटीओ प्रशासन

Posted By: Inextlive