हॉस्टल में रहने वाले स्टूडेंट्स के कपड़ों व बेड तक को कुतर रहे यहीं नहीं कमरों में सीलन से भी हो रही स्टूडेंट्स को दिक्कत

वाराणसी (ब्यूरो)बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में पढऩे वाले इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के लिए भले ही हाई क्लास हॉस्टल बना दिया गया है, लेकिन यहां के यूजी और पीजी स्टूडेंट्स के लिए बनाए गए हॉस्टल की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। करीब-करीब हर हॉस्टल में किसी न किसी तरह की प्रॉब्लम छात्र-छात्राओं को फेस करनी पड़ रही है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने बीएचयू के इंटरनेशनल हॉस्टल के बाद यहां कुछ पुराने हॉस्टल की भी पड़ताल की। उनमें कहीं कम तो कहीं ज्यादा, लेकिन समस्याएं हर जगह कुछ न कुछ सामने आईं। इसी क्रम में आज हम बात करते हैं बीएचयू के लाल बहादुर शास्त्री हॉस्टल की।

सीलन से दिक्कत

हॉस्टल में प्रवेश करते ही सबसे पहले सीलन से सामना हुआ। मुख्य द्वार से लेकर हॉस्टल के कमरों तक को दीमक और सीलन ने अपनी गिरफ्त में लिया हुआ है। यही नहीं 305 कमरों के इस हॉस्टल में जितने बच्चे नहीं रहते उससे ज्यादा यहां चूहों की संख्या है। ऐसा कोई कमरा नहीं है जहां चूहों का आतंक नहीं हो। स्टूडेंट्स का कहना है कि चूहों ने जीना मुहाल कर दिया है। हर कमरें में वार्डरोब बने हुए हैं जिसमें स्टूडेंट्स अपने कपड़े और खाने-पीने का सामान रखते हैं, लेकिन चूहे कपड़े और अन्य सामान को काट दे रहे हैं। इससे छात्रों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। छात्रों का कहना हैं इस समस्या के लिए कई बार वार्डन को बोला गया, लेकिन समाधान नहीं हुआ।

11 साल में ही बदहाल

साल 2012 में बनाई गई इस इमारत में कितनी इमानदारी बरती गई है, इसका अंदाजा इसकी वर्तमान स्थिति को देखकर लगाया जा सकता है। छात्रों की मानें तो पिछले 11 साल से इस हॉस्टल में एक बार भी रंग रोगन नहीं किया गया है। लॉबी से लेकर कमरे तक की दीवारें काली पड़ गई हैं। मेंटेनेंस के अभाव में उपकरण भी खराब हो गए हैं। दरवाजों को चूहों ने कुतर दिया है। 306 कमरों के इस हॉस्टल में कुल 612 छात्रों के रहने की जगह है। मतलब एक रूम में दो छात्र रहते हैं। फिलहाल थर्ड ईयर के छात्रों के जाने के बाद 60 रूम खाली हैं। फस्र्ट ईयर के छात्रों के आने के बाद हॉस्टल फुल हो जाएगा.

दोपहर में साफ होता बाथरूम

हॉस्टल में साफ सफाई को लेकर भी समस्या बनी हुई है। छात्रों के लिए कॉमन बाथरूम बनाया गया है। कहा जाता है कि इस बाथरूम की डेली सफाई कराई जाती है, लेकिन जब इसकी हकीकत जानने इसके अंदर प्रवेश किया गया तो यहां भी गंदगी का अंबार थी। दोपहर दो बजे तक इसकी सफाई नहीं की गई थी। छात्रों का कहना था कि 12 बजे के बाद सफाई करने वाला आता है.

छात्र भी करते खराब

जिम्मेदारों का कहना है सीलन और दीमक की समस्या सिर्फ इसी हॉस्टल में नहीं है। यहां के लगभग हर हॉस्टल में यह समस्या है। इसके लिए वीसी की तरफ से एक कमेटी भी बनाई गई है, जिसमें एलबीएस हॉस्टल की समस्या को रखा गया है। इसके समाधान के साथ रंग रोगन भी कराया जाएगा। हालांकि जिम्मेदारों का यह भी कहना हैं कि छात्र खुद भी चीजों को खराब करने में लगे रहते है। इसी साल हॉस्टल में ढाई सौ से ज्यादा नल की टोटी चेंज कराई गई है। हर बार छात्र जानबूझकर तोड़ देते हैं। इस तरह की कई ऐसी समस्याएं हैं, जिसे स्टूडेंट्स खुद क्रिएट करते हैं। अगर येे अपने घर की तरह हॉस्टल में रहें तो कभी किसी तरह की दिक्कत नहीं आए.

यह सही है कि चूहों की समस्या है इस हॉस्टल में। रही बात सीलन और दीमक की तो यह लगभग हर हॉस्टल में है। कमेटी के संज्ञान में मामला है। जल्द ही समाधान हो जाएगा। इसके बाद रंग-रोगन भी होगा।

प्रोआरएस मिश्रा, एडमिन वार्डन, एलबीएस हॉस्टल-बीएचयू

Posted By: Inextlive