गलवन में जवानों के हाथों पर सजेगी बनारस की राखी
शिल्पकार महिलाओं ने हस्तनिर्मित राखी भेजी गलवान घाटी
-पीएम, सीडीएस को भी भेजी राखी गलवान घाटी में चीन की हरकतों का मुंहतोड़ जवाब दे रहे भारतीय सेना के जवानों की कलाई रक्षाबंधन पर सूनी नहीं रहेगी। इनके हाथ पर बनारस में बनी राखियां सजेंगी। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की घोषणा से प्रेरित होकर उनके संसदीय क्षेत्र की महिला शिल्पकारों ने लकड़ी से खूबसूरत राखियां तैयार किया है। इन्हें पीएम मोदी, सीडीएस विपिन रावत समेत लद्दाख में चीन सीमा पर तैनात जवानों के लिए भेजा है। पीएम को सौंपा पत्रमहिला शिल्पकारों ने लकड़ी की खूबसूरत राखियां बनाने के बाद मंगलवार को पीएम के संसदीय कार्यालय में इन्हें सौंपा। साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी को एक आग्रह पत्र देते हुए इन राखियों को स्वीकार करने और गालवान घाटी में तैनात जवानों को भेजने का आग्रह किया है। राखियों को तैयार करने में महिला शिल्पी शालिनी, वंदना, रीता पुष्पा, सीता के साथ वीरेंद्र, राजकुमार और रामेश्वर सिंह ने कार्यालय प्रभारी को राखी सौंपा। साथ ही आग्रह किया कि इस राखी को पीएम नरेंद्र मोदी, सेना प्रमुख विपिन रावत के माध्यम से वीर जवानों तक गलवान घाटी भेज दिया जाये।
खूब हो रही डिमांडपद्मश्री एवं जीआई विशेषज्ञ डॉ। रजनीकांत के अनुसार बनारस में हस्तनिर्मित राखियां खूब पसंद की जा रही हैं। काशी में महिला शिल्पकारों ने लकड़ी की हस्तनिíमत 55 हजार से अधिक राखी बनाई। राखी को दिल्ली के बाजार में सेल करने के लिए भेजा गया। कोरोना संक्रमण में आत्मनिर्भर भारत की घोषणा के पश्चात ही काशी में राखियां बनाने की पृष्ठभूमि बननी शुरू हो गई थी। लगभग 15 दिन पहले जीआई राखी की पहली खेप नेशनल मेरिट अवॉर्डी रामेश्वर सिंह द्वारा व्यापार के लिए नई दिल्ली भेजा गया था। डिमांड बढ़ने पर और राखी को तैयार किया गया। इससे बहुत से महिला शिल्पियों को रोजगार मिला है।