Varanasi news : रोपवे की रफ्तार में रेलवे का रोड़ा
वाराणसी (ब्यूरो)। वाराणसी में निर्माणाधीन रोपवे प्रोजेक्ट का पहला चरण मार्च में पूरा करने का लक्ष्य है, लेकिन रेलवे के नियम और शर्तों की वजह से यह संभव नहीं दिख रहा है। कैंट रेलवे स्टेशन परिसर में निर्माणाधीन रोपवे स्टेशन की नींव के लिए 30 फीट तक खुदाई की जरूरत है, लेकिन रेलवे का परमिशन नहीं मिलने की वजह से यह अटक गया है। अभी तक ओवरहैड टैंक भी खड़ा है, जिसे ध्वस्त करने में लगातार अड़चनें आ रही हैं। वहीं काशी विद्यापीठ सिगरा और रथयात्रा पर रोपवे स्टेशन के निर्माण की गति अच्छी चल रही है। इन दोनों जगहों पर नींव के लिए खुदाई पूरी हो गई है। जनवरी के पहले सप्ताह तक फाउंडेशन का काम पूरा कर लिया जाएगा। कैंट रोपवे स्टेशन के निर्माण को गति देने के लिए रेलवे से लगातार बातचीत चल रही है। 30 फीट तक खुदाई की परमिशन जल्द ही मिलने की उम्मीद है.
2024 तक चलने लगेगा रोपवे
काशी की यातायात को सुगम और सुचारू बनाने के लिए देश का पहला रोपवे वाराणसी में वर्ष 2024 तक चलने लगेगा। वाराणसी को रोपवे इनेबल्ड बनाने वाली इस परियोजना के तहत पहले चरण का निर्माण कुल दो सेक्शन में किया जा रहा है। रोपवे के पहले सेक्शन का निर्माण रथयात्रा तक और दूसरे सेक्शन का निर्माण गोदौलिया तक होगा। पीएम नरेंद्र मोदी ने देश के पहले पब्लिक ट्रांसपोर्ट के संचालन के लिए 807 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले रोपवे परियोजना की नींव अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में रखी थी.
पहला सेक्शन मार्च तक होगा पूरा
काशी के यातायात को रफ्तार देने के लिए रोप-वे का निर्माण तेजी से किया जा रहा है। मार्च 2024 तक पहले सेक्शन का निर्माण कार्य पूरा होना प्रस्तावित है, जिसका ट्रायल जुलाई तक चलेगा। कैंट स्टेशन से चलने पर रथयात्रा तीसरा प्लेटफार्म होगा। यात्री कैंट रेलवे स्टेशन से बिना वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण के रथयात्रा तक की यात्रा लगभग 10 मिनट में तय कर सकेंगे.
पानी की टंकी को तोडऩे कार्य लंबित
16 मई को भूमि पूजन के साथ निर्माण कार्य शुरू हो गया, लेकिन अब तक मूर्तरूप नहीं मिला। इसके चलते यात्रियों को फजीहत का सामना करना पड़ रहा है। यूटिलिटी शिङ्क्षफ्टग के तहत अब तक सिर्फ प्रीपेड आटो रिक्शा स्टैंड को ही स्थानांतरित किया गया है जबकि सर्कुलेङ्क्षटग एरिया में पानी की टंकी को आरएमएस कालोनी में ले जाने का कार्य सहित अन्य कार्य अभी तक लंबित है। हाल यह है कि रोपवे स्टेशन निर्माण की वजह से यात्रियों को दिक्कत हो रही है। सीवर, केबिल समेत अन्य यूटिलिटी शिङ्क्षफ्टग के लिए खोदी गई जगहों को पूरी तरह से समतल नहीं किया गया है.
यात्रियों की सुरक्षा का पूरा ध्यान
सीएफओ आनंद सिंह राजपूत के अनुसार आग लगने की घटना में धुआं से अधिक मौत होती है। स्टेशन की इमारतों में प्रेशराइजेशन प्रणाली का प्रयोग किया जाएगा। स्टेशन पर खास उपकरण लगाए जाएंगे, जो यात्रियों के एग्जिट और एंट्री पॉइंट, सीढिय़ों की लॉबी पर सामान्य से 0.0005 बार या केजीएफ प्रति स्क्वायर सेंटीमीटर से अधिक का हवा का दबाव बनाएगा। इसी तरह कॉरिडोर में 0.00025 बार या केजीएफ प्रति स्क्वायर सेंटीमीटर से अधिक का हवा का दबाव बनाएगा, जिससे आग लगने पर इन जगहों पर धुआं नहीं पहुंचेगा और यात्री सुरक्षित बाहर निकल सकेंगे। दो लाख लीटर की भूमिगत वाटर टैंक, टेरिस पर 20 हजार क्षमता की पानी का टैंक, उपयुक्त क्षमता का डीजल पंप यार्ड हाइड्रेंट ऑटोमैटिक स्प्रिंकलर सिस्टम, ऑटोमैटिक फायर डिटेक्शन अलार्म सिस्टम, स्मोक एक्सट्रैक्शन सिस्टम, प्राथमिक अग्निशमन उपकरण आदि मुख्य रूप से होगा.
कुल 5 स्टेशन होंगे
वाराणसी कैंट स्टेशन से शुरू होकर गोदौलिया चौराहे तक कुल पांच स्टेशन होंगे। इसमें कैंट रेलवे स्टेशन, काशी विद्यापीठ, रथयात्रा, गिरजाघर और गोदौलिया चौराहे पर स्टेशन बनाया जाएगा। रोपवे की कुल दूरी 3.85 किलोमीटर है जो करीब 16 मिनट में तय होगी.
यह है खासियत
- साल 2024 में रोपवे इनेबल्ड सिटी होगा वाराणसी
- रोपवे के पहले सेक्शन का निर्माण मार्च में रथयात्रा तक होगा पूरा, जुलाई तक चलेगा ट्रायल
- रोपवे के पहले सेक्शन का निर्माण रथयात्रा तक और दूसरे सेक्शन का निर्माण गोदौलिया तक होगा
- रोपवे परियोजना पूर्ण होने पर कैंट रेलवे स्टेशन से रथयात्रा तक की यात्रा बिना प्रदूषण के लगभग 10 मिनट में होगी पूरी
- रोपवे की कुल दूरी 3.85 किलोमीटर होगी, जिसे पूर्ण करने में लगेगा केवल 16 मिनट का वक्त
- रोपवे से एक दिशा में एक घंटे में 3000 लोग यात्रा कर सकेंगे। यानी 6000 लोग दोनों दिशा से एक घंटे में आ जा सकेंगे।
कैंट रेलवे परिसर में निर्माणाधीन रोपवे स्टेशन के निर्माण में कुछ दिक्कतें आ रही हैं, जिससे यहां काम थोड़ा डिले है। बाकी काशी विद्यापीठ और रथयात्रा पर जनवरी के पहले सप्ताह में फाउंडेशन तैयार कर लिया जाएगा। प्रोजेक्ट भी समय पर कम्प्लीट कर लिया जाएगा.
-पूजा मिश्रा, प्रोजेक्ट मैनेजर, रोपवे