Varanasi news : शासन से 36 चल दिए पर बनारस नहीं पहुंचे डॉक्टर
वाराणसी (ब्यूरो)। वाराणसी में हेल्थ सिस्टम को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की पड़ताल में मंडलीय, जिला अस्पताल और शिवपुर सीएचसी की तमाम लापरवाही उजागर हुई। विधान परिषद में गुरुवार को एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने भी वाराणसी के हेल्थ सिस्टम पर सवाल किए। इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि वाराणसी में डेंगू और मलेरिया फैलने के बावजूद क्षेत्र सेवकों के कुल 90 स्वीकृत पोस्ट के सापेक्ष 78 पद खाली हैं। इस एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने चिंता जताई और कहा कि वाराणसी में डेंगू, मलेरिया और बुखार से बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए। बावजूद इसके ध्यान नहीं दिया गया। यही नहीं, वाराणसी में डॉक्टरों की कमी को देखते हुए शासन ने 36 डाक्टर भेजे, लेकिन अभी तक डॉक्टर वाराणसी नहीं पहुंचे.
पीएमओ ने लिया था संज्ञान
डॉक्टरों की कमी से जिले के सरकारी अस्पतालों में परेशानी का मामला कई बार सामने आया। मरीज और उनके तीमारदारों को होने वाली दिक्कतों का संज्ञान पीएमओ ने भी लिया। प्रशासनिक अधिकारियों ने शासन को पत्र भेजा और कहा कि वाराणसी क्षेत्र से डॉक्टरों का संकट दूर होना चाहिए। इस पर वाराणसी को पहली बार एक साथ 36 डॉक्टर मिले हैं। इससे सरकारी अस्पतालों में इलाज आसान होगा। विशेष डॉक्टर प्रदेश के अलग-अलग जिलों से वाराणसी भेजे गए हैं। सामान्य तौर पर तबादला जून में होता है, लेकिन इस बार नियम दरकिनार करके नवंबर में तबादला किया। इससे पहले जून में चार डॉक्टर मिले थे। जो डॉक्टर भेजे गए हैं, वे सब विशेषज्ञ (लेवल थ्री) हैं.
मंडलीय-जिला अस्पताल को मिले नौ-नौ डॉक्टर
मंडलीय और जिला अस्पताल को नौ-नौ डॉक्टर मिले हैं। इसी तरह दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल को आठ और शास्त्री अस्पताल रामनगर छह डॉक्टर मिले हैं। सीएमओ कार्यालय को भी चार डॉक्टर मिले हैं। अब सीएमओ डॉक्टरों को फोन करके जल्द कार्यभार संभालने को कह रहे हैं। जिला अस्पताल में कमी बरकरार 36 डॉक्टर मिलने के बाद भी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी बरकरार रहेगी। जिला अस्पताल में ग्यारह और शास्त्री अस्पताल में दस पद खाली रह जाएंगे। मंडलीय अस्पताल में भी दो पद खाली रहेंगे.
अस्पतालों में डॉक्टरों की अब स्थिति
अस्पताल स्वीकृत खाली
मंडलीय अस्पताल 41 02
शास्त्री अस्पताल 32 10
जिला अस्पताल 50 11
महिला अस्पताल 19 कोई नहीं
हेल्थ सिस्टम पर सवाल-जवाब
यूपी विधान परिषद के शीतकालीन सत्र में वाराणसी के हेल्थ सिस्टम पर सवाल जवाब हुए। मलेरिया को लेकर लापरवाही बरतने की बात सामने आई है। सत्र में यह सवाल पूछा गया कि वाराणसी की मलेरिया इकाई में क्षेत्र सेवकों के कुल स्वीकृत पदों के मुकाबले कितने पोस्ट खाली हैं? इसके जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने उत्तर दिया कि जिले में वाराणसी में कुल 90 स्वीकृत पोस्ट के सापेक्ष 78 पद खाली हैं। सपा एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने कहा कि वाराणसी में स्वास्थ्य विभाग की हालत बेहद खराब है। प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की कमी है.
10 गुना कम दिखाए गए मरीज
नगरीय मलेरिया यूनिट वाराणसी की स्थापना 1986 में उस समय के नगर के क्षेत्रफल और जनसंख्या के आधार पर पदों की स्वीकृति की गई थी। वर्तमान में नगरीय एरिया और जनसंख्या स्थापना के समय से लगभग 2 गुना हो गई है। अब तक कुल डेंगू के 401 और चिकनगुनिया के 125 मरीज सरकारी पोर्टल पर दिखाए गए हैं, जबकि वास्तव में लगभग 2500 मरीज थे.
34 अनट्रेंड लोगों की लगाई ड्यूटी
वाराणसी में वेक्टर जनित रोगों के लिए निर्धारित 90 क्षेत्र सेवकों की जगह मात्र 34 अनट्रेंड लोगों को रख कर काम लिया गया और नव शहरी एरिया के लिए कोई भी नया पोस्ट नहीं बढ़ाया गया। इससे ज्यादा लोग बीमार हुए और क्षेत्र सेवक के पद को सरकार नॉन टेक्निकल बताकर भर्ती नहीं कर रही है। जबकि ये लोग कीटनाशक दवा का घोल बनाकर पूरे मानक के अनुसार छिड़काव कहां करना है कहां नहीं, इसके लिए वो ट्रेंड होते हैं। फिर सरकार उसको नॉन टेक्निकल क्यों बताती है? चूंकि टेक्निकल पदों पर भर्ती की जा सकती है, इसलिए सरकार सभी खाली और नए पदों की आवश्कतानुसार सृजन कर भर्ती करे.
डॉक्टरों की कमी को देखते हुए शासन ने पहली बार सिर्फ वाराणसी के लिए 36 डॉक्टरों का तबादला किया है। सभी डॉक्टरों को तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त करने और वाराणसी के अस्पतालों में कार्यभार संभालने का निर्देश है.
डॉ। संदीप चौधरी, सीएमओ
दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल को नौ डाक्टर मिले हैं, लेकिन अभी तक एक भी डाक्टर नहीं पहुंचे हैं। इन डाक्टरों के आने से स्वास्थ्य व्यवस्था और बेहतर होगी। मरीजों को इलाज में लाभ होगा.
दिग्विजय सिंह, सीएमएस