अंसारी परिवार की राजनीतिक विरासत पर सवाल
वाराणसी (ब्यूरो)। सांसद अफजाल अंसारी को एमपी-एमएलए कोर्ट से सजा होने के बाद परिवार के सामने सवाल खड़ा हो गया है कि उसकी राजनीतिक विरासत कौन संभालेगा? बड़ा भाई और पूर्व विधायक शिवगतुल्लाह अंसारी, उनके विधायक बेटे सुहैब अंसारी उर्फ मन्नू या मुख्तार का विधायक बेटा अब्बास अंसारी?
हो सकती है सजा अब्बास अंसारी खुद जेल में है और उस पर कई मुकदमे दर्ज हैं। संभव है अब्बास को भी सजा हो जाए और उसका राजनीतिक करियर खत्म हो जाए। इसके बाद बचते हैं शिवगतुल्लाह और उनके बेटे सुहैब अंसारी। इन दोनों पर अभी तक कोई बड़ा आपराधिक मुकदमा नहीं है और न मुख्तार के अपराधों में प्रत्यक्ष रूप से इनकी कोई भूमिका अभी तक सामने आई है। लेकिन प्रशासन से लेकर आम जनमानस दोनों को मुख्तार और अफजाल से जोड़ कर ही देखते हैं. अगली पीढ़ी हुई लांचकभी डॉ। एमए अंसारी इंटर कालेज में लिपिक रहे शिवगतुल्लाह का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था। मुख्तार अंसारी के मऊ सदर से विधायक व अफजाल अंसारी के गाजीपुर से सांसद होने के बाद 2007 में उन्हें अचानक मुहम्मदाबाद सीट से चुनाव लड़ाने का फैसला किया गया। शिवगतुल्लाह सपा के टिकट पर चुनाव जीते और विधायक बन गए। 2012 में परिवार की पार्टी कौमी एकता दल से फिर विधायक चुने गए। विधानसभा चुनाव 2022 में अंसारी परिवार ने अगली पीढ़ी को लांच किया।
बेटों को जितवाया चुनाव मुख्तार के बेटे अब्बास को मऊ सदर और शिवगतुल्लाह के बेटे सुहैब अंसारी उर्फ मन्नू अंसारी को मुहम्मदाबाद से चुनाव लड़ाया गया। दोनों चुनाव जीत भी गए। हालांकि तब उनके पीछे अफजाल अंसारी की रणनीति, मुख्तार का बाहुबल और समर्थकों का हुजूम था। इसने राजनीतिक सफर की शुरुआत तो आसान बना दी लेकिन अब परिस्थितियां पूरी तरह उलट चुकी हैं। अब न तो अफजाल का साथ है, न मुख्तार का बाहुबल और न समर्थकों का हुजूम। अब परिवार की राजनीतिक जमीन संभालने के लिए उन्हें खुद ही रणनीति तैयार करनी होगी, लेकिन इसका नेतृत्व कौन करेगा, यह सवाल बना हुआ है.