सेवापुरी और सोनभद्र में सिल्क प्रोसेस यूनिट लगाने की तैयारी टेंडर की प्रक्रिया की पूरी बनारसी साड़ी के लिए चाइना प. बंगाल व कर्नाटक के सिल्क के ऊपर निर्भर नहीं होना पड़ेगा


वाराणसी (ब्यूरो)बनारसी साड़ी तैयार करने के लिए चाइना, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक के सिल्क के ऊपर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। अब बनारस में ही सिल्क का प्रोडक्शन होगा। इसके लिए दो यूनिट जल्द ही लगाई जाएगी। पहला सेवापुरी और दूसरा सोनभद्र में। इन यूनिटों में सिल्क का प्रोडक्शन होने से बनारसी साड़ी करीब 40 पर्सेंट तक सस्ती हो जाएगी। बनारसी साड़ी प्रेमियों को अब आसानी से प्योर साड़ी उपलब्ध होगी। यूनिट लगाने के लिए टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसके बाद जल्द से जल्द यूनिट लगाई जाएगी.

300 मीट्रिक टन रेशम की खपत

बनारस में प्रतिदिन 3 हजार मीट्रिक टन रेशम की खपत है। वर्तमान में दो हजार मीट्रिक टन ही रेशम की उपलब्धता हो पा रही है, क्योंकि वियतनाम, चाइना से जो रेशम आ रहा है वह काफी कास्टली पड़ता है। वहां से 55 सौ से लेकर 58 सौ रुपए रुपए प्रति किलो की दर से रेशम मंगाए जाते हैं। इसके अलावा पश्चिम बंगाल और कर्नाटक से जो रेशम आता है, उसकी कीमत 5 हजार रुपए किलो पड़ रहा है। रेशम का दाम अधिक होने की वजह से बनारसी साड़ी को तैयार करना काफी कास्टली पड़ रहा है.

35 किलो प्रतिदिन होगा प्रोडक्शन

बनारसी साड़ी को बनारसी रेशम से तैयार करने के लिए सेवापुरी में जो यूनिट लगाई जाएगी, उससे प्रतिदिन 35 किलो रेशम का प्रोडक्शन होगा। इसके अलावा सोनभद्र में जो यूनिट लगेगी, उससे भी प्रतिदिन 35 किलो रेशम का उत्पादन होगा। इससे बनारसी साड़ी तैयार करने में रेशम की उपलब्धता आसानी से होगी.

वियतनाम के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा

रेशम विभाग के अधिकारियों की मानें तो वाराणसी रेशम की इकाई लग जाने से वियतनाम, चाइना, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा। वहां से महंगे दामों में रेशम मंगाया जाता है। इससे बनारसी साड़ी तैयार करने में उसकी कीमत काफी बढ़ जाती है। इसके चलते कई लोग खरीदारी करने से कतराने लगते हैं.

बुनकरों को कम दाम में मिलेगा

वाराणसी में सिल्क प्रोसेस यूनिट लग जाने से बुनकरों को भी कम दाम पर रेशम मिलेंगे। इससे वह आसानी से साड़ी को तैयार कर सकेंगे। साड़ी की लागत भी 30 से 40 परसेंट कम हो जाएगी। इसके कच्चे माल रेशम के धागे कर्नाटक और पश्चिम बंगाल से खरीदे जाते हैं। इसी वजह से फैब्रिक की लागत कई गुना बढ़ जाती है। रेशम के धागे की प्रोसेसिंग स्थानीय स्तर पर की जाएगी, जिससे उत्पादन लागत घट जाएगी। इसके साथ ही प्रसिद्ध बनारसी साडिय़ों की बिक्री को काफी बढ़ावा मिलेगा.

खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग लगाएगा यूनिट

खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआइसी) सेवापुरी में सिल्क प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने की तैयारी में जुट गया है। इससे रेशम के धागे की उत्पादन लागत को काफी कम करने के साथ बनारसी साडिय़ों के लिए स्थानीय स्तर पर कच्चे माल की उपलब्धता एवं बिक्री बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस यूनिट में 100 से अधिक महिलाओं को रोजगार मिलेगा।

सेवापुरी में सिल्क प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना होने से बनारसी साड़ी की कीमत में 40 परसेंट की कमी आएगी। प्रतिदिन 35 किलो रेशम का उत्पादन होगा.

संदीप सिंह, अध्यक्ष, पूर्वांचल खादी फेडरेशन

बनारस और मुबारकपुर मिलाकर प्रतिदिन 3 हजार मीट्रिक टन रेशम की खपत है। अगर यहां यूनिटें लग जाएं तो दाम तो कम होंगे ही, साथ आसानी से लोगों को रेशम मिल जाएंगे.

नागेन्द्र कुमार, असिस्टेंट कमिश्नर, रेशम उद्योग विभाग

Posted By: Inextlive