Police recruitment exam in Banaras: क्राउड मैनेजमेंट की परीक्षा में पुलिस-प्रशासन फेल
वाराणसी (ब्यूरो)। क्राउड मैनेजमेंट काशी के लिए कोई नया नहीं है। यहां बाबा विश्वनाथ का धाम बनने के बाद लगभग रोज ही भीड़ को एक प्लान के तहत संभालने की प्रक्रिया से पुलिस-प्रशासन गुजरता है, लेकिन पुलिस भर्ती परीक्षा में शामिल होने आए डेढ़ लाख परीक्षार्थियों और लगभग 50 हजार पेरेंट्स की भीड़ को संभालने में व्यवस्था हांफती नजर आई। एग्जाम खत्म होने के बाद एग्जाम सेंटर्स से निकली भीड़ की वजह से शहर के लगभग हर इलाके में तो जाम की स्थिति बन गई। बस स्टैंड और रेलवे स्टेशनों पर अफरा-तफरी का माहौल रहा। वह भी तब इतनी भीड़ के आने की जानकारी थी और क्राउड मैनेजमेंट के दावे किए थे।
एग्जाम खत्म होते ही बिगड़ी व्यवस्था
रविवार को वाराणसी के 131 केंद्रों पर दो पालियों में पुलिस भर्ती परीक्षा हुई। पहली पाली की परीक्षा समाप्त होने के बाद जब इसमें से आधी भीड़ यानी लगभग एक लाख लोग शहर में एक साथ बाहर निकले तो पूरी व्यवस्थाएं फेल नजर आईं। हद तो ये कि ये भीड़ अभी कंट्रोल हो ही नहीं पाई थी कि तभी दूसरी पाली की परीक्षा भी समाप्त हो गई और एक लाख और लोग शहर की भीड़ में शामिल हो गए। इसके बाद क्या आटो, क्या ई रिक्शा और क्या ही बस सभी में बैठने को लेकर धक्का-मुक्की और एक-दूसरे को धकियाने का नजारा आम नजर आया.
बस स्टैंडों पर भीड़ बेकाबू
कैंट रोडवेज स्टेशन और काशी डीपो से बसें चलती हैं। इन दोनों बस स्टैंडों पर रविवार को पुलिस भर्ती का एग्जाम खत्म होने के बाद बसों में घुसने की जगह भी नहीं बची थी। इसके बाद भी लोग घर लौटने के लिए उनमें घुसने की जुगत लगाते नजर आए.
रेलवे स्टेशनों का नजारा
वाराणसी कैंट स्टेशन के साथ ही काशी, सिटी और बनारस स्टेशन पर रविवार को पुलिस भर्ती का एग्जाम खत्म होने के बाद भीड़ का आलम ये था कि ट्रेन आते ही भर जा रही थी। जनरल बोगियों का हाल बुरा था तो रिजर्वेशन के साथ ही एसी बोगियों में भी एग्जाम देकर लौटने वाले परीक्षार्थी और उनके पेरेंट्स घुसे नजर आए। यही नहीं जिन लोगों का आज विभिन्न ट्रेनों पर रिजर्वेशन था वे भी अपनी सीटों तक पहुंचने की जद्दोजहद करते दिखे।
ये था दावा
परीक्षार्थियों के लिए प्रशासन की ओर से कई दावे किए गए थे। इनमें सबसे महत्वपूर्ण ये था कि वाराणसी कैंट, सिटी और बनारस स्टेशन से पूरे दिन लगभग 80 बसों का संचालन किया जाएगा। कैंट रेलवे स्टेशन से 39, बनारस जंक्शन से 25 और सिटी रेलवे स्टेशन से 24 बसों का संचालन किया जाना था। इनमें चोलापुर के रास्ते में पडऩे वाले सेंटर्स के लिए वाराणसी कैंट से चार, बनारस से तीन और सिटी से तीन बसें खुलनी थीं। सारनाथ-चौबेपुर रोड के लिए कैंट से चार, बनारस से तीन और सिटी से तीन, हरहुआ-बाबतपुर रोड के लिए कैंट से आठ, बनारस से छह और सिटी से छह, राजातालाब-मिर्जामुराद रोड के लिए कैंट से आठ, बनारस से छह और सिटी से छह, सिंधौरा रोड पर कैंट से दो, बनारस से दो और सिटी से एक तथा लोहता-जंसा रोड पर कैंट से पांच, बनारस से पांच और सिटी रेलवे स्टेशन से पांच बसों का संचालन होना था। इसके अलावा तीनों स्टेशनों पर स्थापित हेल्प डेस्क पर कुल छह कर्मचारियों की डयूटी लगाई गई थी, जिन्हें सुबह पांच बजे से रात आठ बजे तक स्टेशनों पर मौजूद रहकर परीक्षार्थियों को संबंधित बसों के बारे में जानकारी देनी थी।
ये थी हकीकत
प्रशासन के दावों के विपरित परीक्षा में शामिल होने आए परीक्षार्थियों ने बताया कि उन्हें कोई सुविधा नहीं मिल पाई। स्टेशनों पर उन्हें यह बताने वाला कोई नहीं था कि उनका सेंटर शहर के किस एरिया में है और वहां जाने के लिए क्या संसाधन मिल सकते हैं। इसके बावजूद वे किसी तरह अपने सेंटर्स पर पहुंच एग्जाम में शामिल हुए। वहां से लौटने के बाद उन्हें घर जाने के लिए तो और अधिक परेशानी उठानी पड़ी क्योंकि बस स्टैंडों पर बसों में घुसने की जगह नहीं थी तो रेलवे स्टेशनों पर इंक्वायरी काउंटर्स पर इतनी भीड़ उमड़ पड़ी थी कि वहां के कर्मचारी किसी को कोई जवाब ही नहीं दे पा रहे थे। ऐसे में उन्हें ट्रेनों में दूसरे शहरों से सफर कर रहे लोगों से पूछकर ट्रेनों की जानकारी लेनी पड़ रही थी।
एग्जाम सेंटर्स ढूंढने में परेशानी
सुबह दस बजे से पहली पाली की परीक्षा शुरू हुई जो दोपहर 12 बजे तक चली। दूसरी पाली शाम तीन बजे से पांच बजे तक हुई। केंद्रों पर करीब दो घंटे पहले ही अभ्यर्थी को प्रवेश देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। लेकिन एग्जाम में शामिल होने आए परीक्षार्थियों को अपने सेंटर्स ढूंढने में काफी परेशानी झेलनी पड़ी। ज्यादातर एग्जाम सेंटर्स निजी कॉलेजों को बनाया गया था। कई कॉलेज गली, मोहल्लों में हैं। ऐसे में परीक्षार्थियों को सेंटर्स तक पहुंचने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
परीक्षा देने के लिए गाजीपुर से आए थे। ट्रेन में पैर रखने की जगह तक नहीं थी। ऐसे में परेशानी झेल कर सुबह पेपर देने पहुंच गए थे।
अंजनी कुमार, अभ्यर्थी
बलिया से परीक्षा देने आए थे। स्टेशन पर इंक्वायरी काउंटर पर सही से जानकारी नहीं दी जा रही थी। ऐसे में स्टेशन पर ही अपनी रात बिताई।
विवेक कुमार, अभ्यर्थी