झगड़ा करने से बच रहे झगड़ालू
वाराणसी (ब्यूरो)। कमिश्नरेट में पुलिस को मिली मजिस्ट्रेटी शक्ति शांति व्यवस्था में मददगार साबित हो रही है। झगड़ालू झगड़ा करने से बचने लगे हैं। उन्हें जेल जाने का भय सताने लगा है। पहले मामूली मारपीट में शांति भंग (151) में चालान होता था। आरोपित मुचलके पर छूट जाते थे, लेकिन अब शांतिभंग में भी आरोपित जेल जा रहे हैं। पिछले छह महीने में कमिश्नरेट पुलिस 151 में करीब 400 लोगों को जेल भेज चुकी है। इतना ही नहीं पांच हजार से अधिक लोगों को 107/116 में पाबंद भी किया गया है। आगामी त्योहारों पर शांति व्यवस्था और क्राइम पर कंट्रोल करने के लिए हिस्ट्रीशीटरों के साथ बैठक भी कर रही है.
पुलिसिंग में बदलाव का आंकलन
कमिश्नरेट बनने के बाद पुलिसिंग में क्या बदलाव हुए हैं। अधिकारियों के स्तर से इन दिनों इसका आंकलन भी किया जा रहा है। आंकड़े सुकून देने वाले हैं। सबसे अधिक क्राइम वाले थाना कैंट, भेलूपुर, लंका, चितईपुर, चोलापुर, चौबेपुर थाना क्षेत्रों में मारपीट, पथराव और बलवे की घटनाओं का ग्राफ गिरा है। कमिश्नरेट बनने से पहले तस्वीर कुछ और थी। मामूली बात पर दो पक्ष आमने-सामने आ जाते थे। पथराव होता था। मामूली विवाद अब बड़ा रूप नहीं लेते। पड़ोसी और बस्ती वाले दो लोगों के विवाद में शामिल होने से बचने लगे हैं.
सिटी जोन में 20 थाने
सिटी जोन में 20 थाने हैं। इसमें महिला थाना भी शामिल है। पर्यटन पुलिस लपकों के खिलाफ अभियान चला रही है। वे भी शांतिभंग में कार्रवाई करने में किसी से पीछे नहीं है। पिछले छह महीने में बड़ी संख्या में आरोपियों का चालान किया गया। सर्वाधिक बवाल करने वाले पिछले छह महीने में लंका थाने से 151 में जेल गए। इस इलाके में मारपीट की घटनाएं भी दूसरे थाना क्षेत्रों से अधिक हुईं.
पाबंदी का रहता है खौफ
पुलिस 107/116 में उन लोगों को पाबंद करती है जिनसे शांति व्यवस्था का खतरा रहता है। उन पक्षों को भी पाबंद किया जाता है, जिनके बीच पहले से कोई विवाद चल रहा है। इसमें जमीन का विवाद भी शामिल है। एसीपी कोर्ट में पाबंद हुए आरोपियों को भी 10 दिन में एक बार हाजिरी देनी होती है। जो नहीं आता है उसके खिलाफ पहले नोटिस फिर वारंट तक जारी किए जाते हैं.
हिस्ट्रीशीटरों पर निगरानी
सीपी के आदेश पर सभी जोन में थानावार हिस्ट्रीशीटरों के साथ बैठक की जा रही है। इसका उद्देश्य हिस्ट्रीशीटरों का भौतिक सत्यापन, वर्तमान में उनके द्वारा क्या किया जा रहा है और उनके भरण पोषण का जरिया क्या है। परिवार के बारे में पूरी जानकारी की जा रही है। जो हिस्ट्रीशीटर जेल में हैं या किसी मुकदमे में वांछित हैं, उन्हें छोड़कर अधिकतर हिस्ट्रीशीटर पुलिस के सामने अपनी उपस्थित दर्ज करा रहे हैं। हिस्ट्रीशीटरों द्वारा भविष्य में भी अपराध में लिप्त न रहने का भरोसा दिलाया जा रहा है। यदि कोई अपराध व अपराधियों के बारे में जानकारी प्राप्त होगी तो पुलिस को उससे अवगत करने की भी बात कही है.
पहले की अपेक्षा क्राइम कंट्रोल है। अब शांति भंग (151) में चालान के साथ कुछ गंभीर मामलों में अपराधी जेल भी जा रहे हैं। आगामी त्योहारों पर शांति व्यवस्था और क्राइम पर कंट्रोल करने के लिए हिस्ट्रीशीटरों के साथ पुलिस बैठक भी कर रही है.
मुथा अशोक जैन, पुलिस कमिश्नर