बनारस में शाइस्ता की खोज
वाराणसी (ब्यूरो)। अतीक अहमद और अशरफ हत्याकांड के बाद अब पुलिस की टीम शाइस्ता को अब वाराणसी में भी ढूंढ रही है। शाइस्ता उमेश पाल हत्याकांड के मुख्य आरोपियों में से एक है। उस पर 50 हजार का इनाम भी है। शाइस्ता की तलाश में पुलिस ने प्रयागराज व कौशाम्बी में हर संभावित जगहों पर तलाशी की, लेकिन सफलता नहीं मिली। पुलिस को शक है कि वह प्रयागराज से निकलकर वाराणसी में अपने करीबी के यहां शरण ली है, जो मौका पाकर बिहार के बाद पश्चिम बंगाल जाने की फिराक में है।
मोस्टवांटेड सूची में शामिलमाफिया अतीक अहमद की 51 वर्षीय पत्नी शाइस्ता परवीन अब यूपी पुलिस की मोस्टवांटेड सूची में है। शाइस्ता परवीन के साथ चार से पांच महिलाएं भी हैं, जो उसकी करीबी रिश्तेदार हैं। उनकी तलाश में पुलिस की कई टीम वाराणसी में भी छापेमारी कर रही हैं। प्रयागराज और कौशांबी में तमाम स्थानों पर छापेमारी के दौरान शाइस्ता की तलाश में करीबियों और रिश्तेदारों के घर पर पुलिस ने घुसकर भी खोजबीन की जा रही है, लेकिन बुरका के चलते उसकी पहचान में दिक्कतें आ रही हैं। बुरका का फायदा उठाकर वह बार-बार पुलिस को चकमा देने में सफल है। इसलिए अब उसकी तलाश में तेज तर्रार महिला पुलिस अफसरों को लगाने की तैयारी चल रही है।
मृत्यु के बाद इद्दाह की रस्म सूत्रों के अनुसार शाइस्ता अपने पति अतीक अहमद की मृत्यु के बाद इद्दाह की रस्म का पालन कर रही होगी, इस दौरान उससे किसी को भी मिलने की अनुमति नहीं होगी। ऐसे में उसके ठिकाने का पता लगापा मुश्किल काम हो सकता है। पुलिस को शक था कि वह अपने बेटे असद के जनाजे में बुर्का पहनकर चोरी-छिपे आ सकती है, लेकिन वह नहीं आई. बनारस से कनेक्शन अतीक और अशरफ की हत्या में बनारस का कनेक्शन है। बता दें कि घटनास्थल से एक शूटर के पास से तुर्की मेड जिगाना पिस्टल बरामद हुई थी, कानपुर के बाबर ने यह जिगाना पिस्टल मुहैया कराई थी। कानपुर हिंसा में बाबर का नाम सामने आया था। बाबर बनारस के कुख्यात अपराधी रईस बनारसी का भांजा है। बाबर कानपुर के कुख्यात डी-2 गैंग का सक्रिय सदस्य है और यह गैंग सेमी ऑटोमेटिक असलहों का अवैध कारोबार भी करता है. प्रयागराज में 4 मामले दर्जवर्तमान में उसके नाम पर प्रयागराज में 4 मामले दर्ज हैं। 3 धोखाधड़ी के और 1 हत्या का। पहले 3 मामले 2009 में कर्नलगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज किए गए थे। भारतीय दंड संहिता की धाराओं 420 (धोखाधड़ी), 467 (मूल्यवान सुरक्षा या वसीयत की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और आर्म्स एक्ट की धारा 30 (लाइसेंस या नियम का उल्लंघन) के अलावा 471 (जाली दस्तावेज का इस्तेमाल करना) जैसे मामले दर्ज हैं.