Varanasi news : कोरोना काल के बाद हॉस्पिटलों में बढ़ गया पेशेंट का प्रेशर
वाराणसी (ब्यूरो)। काशी को क्योटो बनाने के लिए सरकार ने खजाना खोल दिया, लेकिन पेशेंट्स के इलाज के लिए सिटी के गवर्नमेंट हॉस्पिटल आज भी पुराने ढर्रे पर चल रहे हैैं। कोरोना काल के बाद सभी हॉस्पिटलों में मरीजों की संख्या 80 परसेंट तक बढ़ गई, लेकिन मैनपावर की कमी से आज भी हॉस्पिटल जूझ रहा है। हालात यह है कि अपराह्न दो बजे के बाद अगर कोई पेशेंट्स इलाज के लिए पहुंचता है तो उसे प्रापर तरीके से इलाज नहीं मिल पाता है, जबकि सच यह है कि कोरोना काल के बाद शहर के 90 परसेंट लोग बीमार हंै। पुरानी बीमारी ठीक होती नहीं है कि नई बीमारी की चपेट में आ जाते हंै। हालात यह है कि शहर के हास्पिटलों में पेशेंट्स का पे्रशर 40 परसेंट अधिक बढ़ गया है। मैनपावर घटता ही जा रहा है। डाक्टरों की क्राइसिस के चलते मरीजों को आज भी उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने 'बीमारी ने बिगाड़ा हेल्थ सिस्टमÓ कैंपेन के तहत अस्पतालों की पड़ताल की तो यह सच सामने आया.
कारोना काल से बढ़ गई संख्या
यकीन मानिए 2020 के पहले बिना डरे हर लोग जाते-आते थे। अब वहीं लोग डर-डर कर जी रहे हंै। वजह कोरोना का भय बताया जा रहा है। कोरोना की देन है कि तीन साल पहले जहां अस्पतालों में 40 से 50 परसेंट पेशेंट्स आते थे वहीं मरीजों की संख्या बढ़कर अब 80 से 90 परसेंट हो गयी है। हर घर में दो से तीन लोग मरीज हैं। कोई ज्वाइंट पेन से कराह रहा है तो कोई पेट की समस्या से परेशान है। यही नहीं कई लोगों के दिमाग में तो कोरोना का डर समा गया है.
मरीज बढ़े पर डाक्टर्स नहीं
अस्पतालों की ओपीडी में पेशेंट्स का प्रेशर ओपीडी में बढ़ गया है लेकिन डाक्टरों की संख्या कम हो गई है। पद के सापेक्ष सभी अस्पतालों में 40 परसेंट डाक्टर्स कम हैं। पं। दीनदयाल अस्पताल हो या फिर कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल या फिर रामनगर लाल बहादुर शास्त्रीय या फिर बीएचयू हास्पिटल। सभी जगह मैनपावर की क्राइसिस है। यह प्रॉब्लम सभी जानते है लेकिन मरीजों के बारे में कोई कुछ भी नहीं करना चाहता.
सड़क बनी, हास्पिटल में व्यवस्था नहीं
शहर में जी-20 के लिए सड़कों को चकाचक कर दिया गया। 20 फीट की सड़क को 60 फीट कर दिया गया है। इसके लिए अरबों रुपए खर्च हुए लेकिन हास्पिटल में मरीजों के लिए सुविधा नहीं बढ़ायी गयी। आज भी सुबह आठ बजे हास्पिटल खुलता है तो और घड़ी देखकर अपराह्न 2 बजे डाक्टर चले जाते हंै। चाहे कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल, पं दीनदयाल हास्पिटल हो या फिर सर सुंदर लाल चिकित्सालय सभी अस्पतालों का यह हाल है.
पेशेंट्स के इलाज पर असर
हास्पिटलों में डाक्टर्स की कमी के चलते इसका असर पेशेंट्स के इलाज पर पड़ रहा है। सरकारी अस्पतालों के वार्डों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की 24 घंटे तैनाती के फरमान को अमलीजामा पहनाना बड़ी चुनौती है। जिले के सरकारी अस्पतालों में 40 फीसदी डॉक्टरों की कमी है.
एक भी हार्ट के डाक्टर्स नहीं
जिला अस्पताल से लेकर मंडलीय अस्पताल और शास्त्री अस्पताल रामनगर में जहां एक भी हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं हैं, वहीं इन अस्पतालों में फिजिशियन से लेकर सर्जन, रेडियोलॉजिस्ट सहित कई अन्य विशेषज्ञ भी नहीं है.
रामनगर में 32 में 16 पद खाली
शास्त्री अस्पताल रामनगर में चिकित्सकों के कुल 32 पद हैं, इसमें वर्तमान समय में 16 खाली चल रहे हैं। अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ, दंत चिकित्सक, प्लास्टिक सर्जन, न्यूरो सर्जन ही नहीं है। इस वजह से ओपीडी में आने वाले मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। सबसे अधिक संकट इमरजेंसी में आने वाले मरीजों के लिए हैं। इसमें ईएमओ के चार स्वीकृत पद कब भरे जाएंगे किसी को पता नहीं।
कबीरचौरा में रेडियोलॉजिस्ट ही नहीं
मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा में कुल 41 स्वीकृत पदों के सापेक्ष 30 चिकित्सक हैं। इसमें हृदय रोग विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट, चेस्ट फिजिशियन है ही नहीं जबकि कई पदों में भी संख्या स्वीकृत के अनुसार कम हैं। एसआईसी डॉ। एसपी सिंह के अनुसार हृदय रोग विशेषज्ञ के दो पद में एक खाली, एनीस्थीसिया के तीन में एक खाली जबकि रेडियोलॉजिस्ट में तीन स्वीकृत पदों में कोई डॉक्टर नहीं है.
जिला अस्पताल में चेस्ट फिजिशियन, रेडियोलॉजिस्ट नहीं
दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल में हृदय रोग स्वीकृत 50 पदों के सापेक्ष 31 पर स्थायी चिकित्सक हैं। इसके अलावा 13 संविदा और चार चिकित्सक पुनर्नियोजन पर हैं। अस्पताल में हृदय रोग, चेस्ट फिजिशियन, प्लास्टिक सर्जन, चर्मरोग विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट की कमी है। स्थायी के साथ ही संविदा और पुनर्नियोजन के जो भी चिकित्सक हैं, उनसे मरीजों की सेवा की जा रही है। स्थायी तैनाती के लिए संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखा गया है.
कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल में डाक्टर्स कम हंै। फिर से मरीजों को कोई दिक्कत नहीं होने दिया जाता। समय पर उनका उपचार किया जाता है.
डॉ। एसपी सिंह, सीएमएस, कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल
कुछ डाक्टरों की नियुक्ति होने वाली है। कब तक होगी, अभी पता नहीं है। फिलहाल इस समय जितने भी डाक्टर हैैं वह मरीजों की सेवा में लगे हैं.
डॉ। दिग्विजय सिंह, सीएमएस, पं। दीनदयाल अस्पताल
कोरोना काल के बाद पेशेंट्स की संख्या बढ़ी है। उसकी अपेक्षा डाक्टर कम हैं। बीएचयू हो या फिर कोई भी अस्पताल सभी जगह डाक्टर कम हैं.
डॉ। एसके अग्रवाल, एसो। प्रो। बीएचयू
38 डाक्टरों की नियुक्ति का आर्डर हो चुका है। सभी अस्पतालों में मैनपावर की समस्या करीब-करीब खत्म हो जाएगी। पिछले भर्ती मरीजों के बेेहतर इलाज के उद्देश्य से जिला अस्पताल में 24 घंटे डॉक्टरों की तैनाती की गई है.
डॉ। संदीप चौधरी, सीएमओ