Varanasi news: यूथ का हुनर निखारने के लिए मिला लैंड
वाराणसी (ब्यूरो)। सात साल बाद एमएसएमई टेक्नोलॉजी सेंटर खोलने के लिए लैंड की तलाश पूरी हो चुकी है। डिपार्टमेंट अब करसड़ा में 20 एकड़ में सेंटर खोलने की योजना बना रही है। इस सेंटर के खुलने से यहां के हजारों यूथ स्किल डेवलपमेंट से लैस किया जाएगा। एयरोप्लेन, ट्रेन, बस, मोबाइल बनाने से लेकर हर तरह का प्रशिक्षण दिया जाएगा। ट्रेनिंग लेने के बाद फैक्ट्रियों में मैनपावर की कमी नहीं होगी.
एमएसएमई सचिव ने लिखा पत्र
एमएसमएई टेक्नालॉजी सेंटर खोलने के लिए 2016 में ही केन्द्र सरकार ने 200 करोड़ का बजट दिया था लेकिन विडंबना यह है कि यहां के एडमिनिस्ट्रिशेन को ऐसी जगह नहीं मिल रही थी जहां सेंटर खुल सके। इसके लिए यहां के एमएसएमई डिपार्टमेंट ने एमएसएमई मंत्रालय को कई बार पत्र लिखा। इसके बाद मंत्रालय ने प्रदेश के एमएसएमई सचिव को पत्र लिखा है। एमएसएमई सचिव ने यहां के एडमिनिस्ट्रेशन को पत्र लिखकर एमएसएमई टेक्नालॉजी सेंटर खोलने के लिए सारी प्रक्रिया पूरी को कहा।
पहले राजातालाब में हुआ या सर्वे
2016 में दो सौ करोड़ का बजट आने के बाद एमएसएमई टेक्नालॉजी सेंटर खोलने के लिए राजातालाब में एमएसएमई डिपार्टमेंट ने सर्वे किया था, लेकिन वहां पर बात नहीं बनी। इसके बाद जमीन की तलाश जारी है। 20 एकड़ एरिया में टेक्निकल ट्रेनिंग सेंटर बनना है। अब करसड़ा में 20 एकड़ लैंड मिल गया है लेकिन अभी संशय बरकरार है.
अब तक नहीं खुला सेंटर
खुद एमएसएमई डिपार्टमेंट का कहना है कि वाराणसी में टेक्निकल ट्रेनिंग सेंटर ओपेन हुआ होता तो कई स्टूडेंटस यहां से ट्रेनिंग लेकर निकले होते। अफसोस है कि अभी तक डिपार्टमेंट सेंटर खोल नहीं सका। टेक्निकल ट्रेनिग सेंटर वाराणसी में खोलने का उद्देश्य यह था कि क्लास 8 से लेकर बीटेक करने थाले स्टूडेंटस को टेक्निकल सेक्टर से अपडेट किया जाना था। इनमें लेदर, इंजीनियरिंग, मशीनरी सहित तमाम इंडस्ट्री के लिए जरूरी डाइज, उपकरण बन्नए भी सकते, इसके अलावा फैब्रिक्स टेक्सटाइल्स, होजरी, समेत तमाम औद्योगिक इकाइयों और इंडस्ट्रीज में प्रयोग होने वाली डाइज, मोल्ड व उपकरण भी तैयार होते.
कई तरह के ट्रेनिंग कोर्स
टेक्निकल ट्रेनिंग सेंटर को हैदराबाद, कानपुर, बंगलूरू की तर्ज पर बनना था, ताकि यहां के स्टूडेंटस जो इन शहरों में जाकर टेक्निकल की पढ़ाई कर रहे है वह यही पर रहकर टेक्निकल की पढ़ाई कर सके। इनमें डिप्लोमा टूल एंड डायमेकिग, डिप्लोमा इन मेकाट्रानिक, डिप्लोमा इन मैकेनिकल, इसके अलाव आईटीआई, फीटर के शार्ट टर्म कोर्स भी चलाए जाते। कई स्टूडेंटस एयरो प्लेन के पार्ट्स से लेकर ट्रक के पार्ट्स और ट्रेन के पास और डिजाइन तैयार करने को ट्रेनिंग दी जाती इसके लिए बकायदा सापटवेयर भी डेवलप किया जात, लेकिन सारा का सारा प्लान अधर में लटका हुआ है.
करसड़ा में लैंड की तलाश की जा रही है। कृषि अनुसंधान विभाग से पत्राचार चल रहा है। हां, सेंटर ओपेन हुआ रहता तो कई स्टूडेंटस को काम मिलता और बेरोजगारी दूर होती।
हिमांशु कुमार, कस्टोडियन, एमएसएमई डिपार्टमेट