निकलो न बेनकाब.. जमाना खराब है
-सुर गंगा संगीत समारोह के पांचवीं निशा में पंकज उधास ने सजायी गजल की महफिल
VARANASI सामने मंच पर गजल गायकी में अपना एक खास रुतबा रखने वाले पंकज उधास विराजमान हो तो सुनने वालों का मदहोश हो जाना तय है। भैंसासुर घाट पर चल रहे संगीत समारोह सुर गंगा की पांचवीं निशा में मंगलवार को ऐसा ही कुछ हुआ भी। मंच के सामने बैठी पब्लिक पर पंकज उधास के गजलों का नशा बेतरह तारी हुआ। जिधर भी नजर गयी बस झूमते और झूमते ही लोग दिखे। आज का कार्यक्रम नजराना ए नजीर बनारसी को समर्पित रहा। मरमरी आवाज का छाया जादूपंकज उधास ने अपने कार्यक्रम आगाज आप जिनके करीब होते हैं से किया। उसके बाद चिट्ठी आई है., ये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी ले लो सुनाया। उनके मरमरी आवाज का जादू श्रोताओं की सिर चढ़ कर बोला। मंच पर आते ही लोगों ने उनका स्वागत हर हर महादेव के उद्घोष के साथ किया। उसके बाद पंकज ने निकलो ना बेनकाब सुनाया। श्रोताओं का खुद को झूमने से रोक पाना मुश्किल हो रहा था। उसके बाद उन्होंने आहिस्ता कीजिए बातें, जिएं तो जिएं कैसे गजलें सुनाकर महफिल अपने नाम कर ली। उन्होंने अपने कार्यक्रम का समापन एक वो भी जमाना है एक ये भी जमाना है सुनाकर किया। श्रोताओं की ओर से वन्स मोर की डिमांड लगातार आती रही।
रेवती ने उठायी दिलों में लहर इसके पूर्व पांचवें दिन के कार्यक्रम की शुरुआत पियुष मिश्रा ने सुर गंगा महोत्सव गीत की प्रस्तुति से की। उसके बाद स्थानीय गजल गायक ताहिर वारसी ने रजिंश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आज, इस तरह मुहब्बत की शुरुआत, चल मेरे साथ ही चल सुनाकर श्रोताओं की वाहवाही बटोरी। उनके बाद व्यास मौर्य ने कैसे कह दूं कि उनसे मुलाकात नहीं होती, साथ छूटेगा कैसे मेरा आपका जैसी गजलें प्रस्तुत कर महफिल लूटी। उनके बाद डॉ। इंद्रदेव ने झूम ले हंस बोल ले प्यारी सुनाकर श्रोताओं को झुमाया। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए प्रख्यात गायिका प्रो। रेवती साकलकर ने मंच संभाला। उन्होंने दिल में एक लहर सी उठी है अभी सुनाकर श्रोताओं की दिल में लहरें उठायीं। इसके पूर्व में कलाकारों का स्वागत मेयर रामगोपाल मोहले व हरिदास पारिख ने किया। कार्यक्रम में चीफ गेस्ट के रूप में गोपाल मंदिर के पीठाधीश्वर प्रियेन्दु बाबा ने शिरकत की। संचालन अरविंद मिश्रा ने किया।