शहर के समस्त घाटों पर सैकड़ों की संख्या में शुरू हो गए हैैं स्कैनर यजमानों की सहूलियतों के कारण लिया फैसला छुट्टïे की होती थी दिक्कत

वाराणसी (ब्यूरो)धर्म और आध्यात्म की राजधानी काशी अब स्मार्ट होने की ओर अग्रसर हो चली है। एक तरफ प्रशासन के द्वारा जहां शहर की गलियों से लेकर चौराहों को सुंदर और सुसज्जित करते हुए स्मार्ट बनाया जा रहा है तो वहीं यहां की सभ्यता को संजोने वाले भी डिजिटल कदम को अपनाते हुए स्मार्ट गतिविधियों को फालो करना शुरू कर दिये हैं। ऐसे में शहर के दर्जनों घाटों पर देखा जा रहा है कि बनारस के पंडा और पुरोहित भी स्मार्ट हो चले हैं। उनके द्वारा अब दान दक्षिणा के लिए क्यूआर कोड के साथ ही स्कैनर का इस्तेमाल किया जा रहा है.

स्कैनर से ले रहे हैं दक्षिणा

गंगा नदी में स्नान करके पुण्य की चाहत रखने वाले और अपने सभी पापों का समापन करने वाले यजमानों की सहूलियतों का ख्याल रखने का कार्य अब काशी के पंडों ने उठा लिया है। इस दौरान अस्सी घाट से लेकर दशाश्वमेध घाट से होते हुए शीतला घाट तक पंडों ने अब यजमानों की सहूलियतों का ध्यान रखते हुए अपने चौकी के पास स्कैनर रख लिए हंै.

कई बार छुट्टïे की होती है परेशानी

घाटों के किनारे रहने वाले पंडों ने इस बारे में बताया कि कभी कभार दूरदराज से आने वाले यजमानों के पास छुट्टïे पैसे नहीं होते हैं। यहां तक कि कई यजमान कभी कभार ऐसे भी आ जाते हैं कि जो कि चोरों के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में आधुनिकता और डिजिटल कल्चर को ध्यान में रखते हुए स्कैनर क्यूआर कोड को लगाया गया है.

घाटों पर लगे सैकड़ों स्कैनर

स्मार्ट हो चले बनारस में जहां घाट को स्मार्ट बनाने का काम नगर निगम प्रशासन और स्मार्ट सिटी प्रशासन संयुक्त रूप से कर रहा है तो वहीं अब बनारस के पंडे भी स्मार्ट और डिजीटल कल्चर को अपना रहे हंै। इसकी शुरुआत सबसे पहले अस्सी घाट के पंडों से शुरू होती है। इसके बाद यह कल्चर देखते ही दर्जनों घाटों पर सैकड़ों की संख्या में क्यूआर कोड देखने को मिल जा रहे हैं, जिसकी सहूलियत का फायदा यजमान के साथ ही पंडा और पुरोहित भी उठा रहे हैं.

यजमान की सहूलियतों को ध्यान में रखते हुए क्यूआर कोड और स्कैनर का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे जहां यजमानों को सहूलियतें मिलती हंै, वहीं हम लोगो को भी मिलती है.

समृद्ध चतुर्वेदी, ज्योतिषाचार्य

स्कैनर और क्यूआर लगने की वजह से यजमानों को काफी सहूलियत मिल रही है। जो लोग दूरदराज से आते हैं वे लोग आसानी से दक्षिणा देते हैं। उन्हें इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं होती है.

सत्यम पांडेय, पुरोहित

स्कैनर की मदद से अब हमें काफी आसानी हो गई है। इस दौरान हमारे पास छुट्टïे पैसे नहीं थे, लेकिन स्कैनर की मदद से आसानी से दक्षिणा का भुगतान कर पाए.

टोनी, तीर्थयात्री

हम सासाराम से अपनी माता की अस्थि विसर्जन के लिए आये थे। इस दौरान हमारे पैसे खत्म हो गए थे, लेकिन क्यूआर की मदद से आसानी से हम लोग दक्षिणा का भुगतान कर पाये.

रवि, तीर्थयात्री

Posted By: Inextlive