इंडस्ट्रियल यूनिट्स में बिजली ठप होने से आक्रोश
वाराणसी (ब्यूरो)। लगातार 60 घंटे से अधिक बिजली न रहने का दंश उद्यमी झेल रहे हैं। हाल यह है कि हड़ताल समाप्ति के 40 घंटे बाद भी औद्योगिक क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति दुरुस्त नहीं हो सकी। इसको लेकर उद्यमियों में खासा आक्रोश है। औद्योगिक आस्थान चांदपुर तथा इसकी परिधि में लगे अन्य तमाम उद्योगों में विगत तीन दिनों से विद्युत आपूर्ति नहीं की जा रही है। विद्युत कटौती से उद्यमी परेशान हैं। बिजली आपूर्ति में दुव्र्यवस्था के लिए विद्युत विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। साथ ही विद्युतकर्मियों की हड़ताल से निबटने में प्रशासन के प्रयास की भी ङ्क्षनदा कर रहे हैं.
स्थित हैैं 1000 कारखानेइंडस्ट्रियल स्टेट चांदपुर तथा इसके चारों ओर लगभग 1000 कारखाने हैं जिसमें 36 घंटों से अधिक समय तक लगातार विद्युत कटौती जारी रही। ऐसे में उत्पादन भी ठप रहे। विद्युतकर्मियों की हड़ताल समाप्त होने के बाद भी रविवार शाम से पूरी रात विद्युत आपूर्ति बंद रही तथा सोमवार को भी कई क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति बाधित रही। प्रशासन द्वारा जारी किसी भी नंबर पर उद्यमियों को सहयोग नहीं मिला। वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर उद्यमी अपने आर्डर पूरे करने के लिए परेशान रहे। पूर्वांचल-डिस्काम के एमडी के मुख्य सलाहकार शेष कुमार बघेल ने बताया कि मंगलवार सुबह तक बिजली आपूर्ति सामान्य हो जाएगी। कुछ जगहों पर दिक्कत है जिसे दूर करने में कर्मी लगे हुए हैं.
उद्यमियों ने की बैठक, जताया आक्रोश दी स्माल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश भाटिया ने कहा कि मंगलवार तक यदि विद्युत आपूर्ति सुचारु न हुई तो जिलाधिकारी से शिकायत की जाएगी। महासचिव नीरज पारिख ने कहा कि विद्युतकर्मियों की हड़ताल के दौरान उद्यमियों को उनके भाग्य भरोसे छोड़ दिया गया। हड़ताल ने उद्यमियों की कमर तोड़ दी। इसमें प्रशांत अग्रवाल, मनीष कटारिया, गौरव गुप्ता, अजय जायसवाल, अनुपम देवा, ज्ञानेश्वर गुप्ता, नामित पारीक, आलोक भंसाली, उमा शंकर श्रीवास्तव, मोहम्मद कादिर, महेंद्र अरोड़ा, अंजनी कुमार ङ्क्षसह, नारायण कोठारी आदि थे. 11 अधिशासी अभियंताओं को नोटिस बिजली कर्मियों की हड़ताल की अवधि के दौरान विद्युत आपूर्ति व्यवस्था में बाधक बने 11 अधिशासी अभियंताओं को नोटिस थमा दिया गया है। मुख्य सलाहकार शेष कुमार बघेल ने बताया कि नोटिस देकर जवाब मांगा गया है कि हड़ताल की अवधि में आखिरकार आपने काम क्यों नहीं किया। अगर ये अधिकारी मौके पर होते तो बिजली का संकट ऐसा नहीं हुआ होता.