लास्ट ईयर की तुलना में लोड फैक्टर में 7 परसेंट की कमी पूर्वांचल समेत लखनऊ और कानपुर में भी घटे पैसेंजर


वाराणसी (ब्यूरो)सफर में 'आपका अपना साथीÓ होने का दावा करने वाला यूपी रोडवेज पैसेंजर्स की संख्या कम होने (लोड फैक्टर) से बेबस नजर आने लगा है। वजह अधिक किराया और सुविधाओं में कमी। फाइनेंशियल ईयर 2023-24 (अप्रैल से जनवरी) की तुलना यदि 2022-23 (अप्रैल से जनवरी) से करें तो प्रदेश में लोड फैक्टर में 7 परसेंट की कमी आई है। पैसेंजर्स की सर्वाधिक कमी झांसी रीजन में हुई है। इसके बाद कानपुर, गोरखपुर, वाराणसी और प्रयागराज का नंबर आता है। ऐसा तब है, जब 54 सीटर साधारण बसों के अलावा 40 सीटर जनरथ, पवन हंस, पिंक बस, स्कैनिया, शताब्दी, सुपरफास्ट एसी बसें दौड़ रही हैं।

कमाई कर रहा काशी रीजन

वाराणसी रीजन की डिपो से 508 बसें संचालित होती हैं। पूरे प्रदेश में वाराणसी रीजन से संचालित होने वाली प्रति बस से 151 रुपए प्रॉफिट हो रहा है। इसके बाद इटावा रीजन में 150 रुपए और लखनऊ रीजन में प्रति बस 105 रुपए प्राफिट हो रहा है। बाकी रीजन की बसें घाटे में चल रही हैं।

एक नजर में लोड लोड फैक्टर

रीजन --- अप्रैल-जनवरी 2023-24 --- अप्रैल-जनवरी 2022-23 --- (+/-)

कानपुर -- 59 ------------------ 67 ---------------- -8

लखनऊ - 61 ------------------ 66 ---------------- -6

गोरखपुर - 63 ------------------ 70 ---------------- -7

वाराणसी - 62 ------------------68 ---------------- -6

प्रयागराज - 60 ----------------- 65 ---------------- -5

पैसेंजर्स को होतीं ये असुविधाएं

1. सफर के दौरान अक्सर एसी काम नहीं करता है।

2. सिटिंग आरामदायक नहीं है। सोना तो दूर, आराम से बैठना भी मुश्किल होता है।

3. कई रूट पर ट्रेनों के थर्ड एसी से फेयर अधिक है।

4. ट्रेनों की तुलना में दूरी को कवर करने में समय अधिक लगता है।

बसों की डेली इनकम

वाराणसी से दौडऩे वाली प्रति बस से रोजाना 12,314 रुपए इनकम होती है। जबकि 14,049 रुपए के साथ झांसी रीजन सबसे आगे है। 13,327 रुपए के साथ दूसरे नंबर पर इटावा, 13234 रुपए के साथ तीसरे पर लखनऊ और 13,179 रुपए के साथ चौथे नंबर पर अयोध्या है। इसके अतिरिक्त कानपुर को 11,750 रुपए, गोरखपुर को 12,061 रुपए और प्रयागराज को 12,759 रुपए प्रति बस डेली इनकम होती है।

पैसेंजर घटने की मुख्य वजहें

1. बनारस से लखनऊ तक एसी बस का किराया 588 रुपए है। जबकि टे्रन में थर्ड एसी का फेयर 560 रुपए है। चेयर कार का फेयर 455 फेयर है। इसी तरह वाराणसी से कानपुर तक एसी बस का किराया 629 रुपए है, जबकि टे्रन का फेयर 575 फेयर है। बस की अपेक्षा ट्रेन का फेयर कम है.

2. एसी बस से बनारस टू लखनऊ तक का सफर 6 घंटे निर्धारित है, लेकिन औसतन 7 से 8 घंटे लग जाता है। रास्ते में जाम मिल गया तो एक-दो घंटे और बढ़ जाता है। जबकि ट्रेन से यही दूरी तय करने में 4.30 घंटे निर्धारित है, जो अक्सर समय पर रहता है।

3. शताब्दी, राजधानी के साथ वंदेभारत एक्सप्रेस ने दूरी को कम कर दिया है। कई रूटों पर लोग अब अपने वाहन से भी जर्नी करना पसंद करते हैं।

पैसेंजर घटने की कई वजह

यूपी रोडवेज के रिटायर्ड आरएम केके शर्मा ने कहा, यात्रियों की संख्या कम होने की वजह कई हैं। फेयर में प्रति किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई है। रोडवेज बस जगह-जगह रुकती है। डिपो के पास कैब, डग्गामार समेत निजी गाडिय़ां भी खड़ी रहती हैं, जिसमें पैसेंजर सफर के लिए तैयार हो जाते हैं। मेनटेनेंस भी सबसे बड़ी वजह है.

वाराणसी रीजन प्रति बस प्रॉफिट, टारगेट, पैसेंजर समेत कई चीजों में आगे है। पहले से रोडवेज की सुविधाएं भी अच्छी हुई हैं। लोड फैक्टर के विपरीत यदि आंकड़ों को देखें तो पिछले साल की अपेक्षा इस साल पैसेंजर बढ़े हैं।

गौरव वर्मा, आरएम रोडवेज

Posted By: Inextlive