बनारस में रंगभरी एकादशी पर महंत आवास से लेकर बाबा दरबार तक उड़ा अबीर-गुलाल लाल पीले हरे और भूरे हर रंग में रंगे बाबा


वाराणसी (ब्यूरो)रंगभरी एकादशी के दिन काशीवासियों ने बाबा विश्वनाथ के साथ जमकर खेली होली। देवाधिदेव महादेव के गौना बारात में काशी का कण-कण तरंगित रहा तो जर्रा-जर्रा शिवमय और चप्पा-चप्पा हर-हर महादेव से अनुप्राणित हो उठा। काशीवासियों ने भोले बाबा के भाल पहला गुलाल सजाकर हर-हर महादेव के उद्घोष व मंगल गीत-भजनों से काशीपुराधिपति को रिझाया। बदले में पाप-ताप से मुक्ति का आशीष तो पाया ही, होली व हुड़दंग की अनुमति का आशीष भी गठियाया। यह नेग था देवाधिदेव महादेव के गौना का, जिसकी रंगत बुधवार की सुबह से ही श्री काशी विश्वनाथ दरबार में बिखरी नजर आई। अबीर-गुलाल इतना उड़ा कि जमीन लाल गलीचे सी छा गई। वहीं, शिवभक्तों का चेहरा लालमलाल नजर आया। इस मौके को इन्द्रदेव ने भी नहीं छोड़ा। जोरदार बारिश से बाबा विश्वनाथ के पांव पखारे.

साड़ी में गौरा, खादी में बाबा

ब्रह्ममुहूर्त में ही महंत आवास से होते बाबा के गौना बरात का उल्लास मंदिर परिसर में छाने लगा। वेद मंत्रों की ध्वनि के बीच वर-वधू का पंचामृत स्नान और नख शिख साज-श्रृंगार व सिन्दूरदान आदि की रश्म हुई। रेशमी साड़ी में गौरा सजीं तो बाबा के देह पर खादी फबी.

रजत पालकी पर निकले

बुधवार को ब्रह्म मुहूर्त में बाबा की चल प्रतिमा के पूजन के उपरांत आरती के साथ ही रंगभरी के रंगारंग उत्सव का श्रीगणेश हो गया। राजसी ठाट में देवी पार्वती और गणेश के साथ चिनार और अखरोट की लकड़ी से बनी रजत जडि़त पालकी पर प्रतिष्ठित करके बाबा की चल प्रतिमा काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में ले जाई गई। पालकी यात्रा में इतना गुलाल और अबीर उड़ाया गया कि महंत आवास से मंदिर प्रांगण तक करीब पांच सौ मीटर के बीच जमीन अबीर-गुलाल से लालमलाल नजर आया। बाबा का सिंहासन रखने के लिए बिछाई गई हरी कालीन गुलाल की बौछार से लाल हुई फिर भभूत से सफेद हो गई.

काशीवासियों ने उड़ाया गुलाल

राम नगरी अयोध्या के कर्मकांडी ब्राह्मणों की राम भक्त मंडली और कृष्ण नगरी मथुरा कारागार के बंदियों द्वारा तैयार खास अबीर-गुलाल की बौछार के बीच गौरा सुसराल से विदा हुईं। भगवान शंकर के साथ गौरी गणेश को गोद में लेकर रजत पालकी पर सवार होकर टेढ़ीनीम स्थित मंहत आवास से अपने ससुराल विश्वनाथ मंदिर रवाना हुईं्र। काशी वासियों ने शिव-पार्वती पर अबीर-गुलाल अर्पित कर होली उत्सव मनाया.

एक लाख भक्तों ने खेली होली

बुधवार को महंत आवास पर एक लाख से अधिक भक्तों ने महंत आवास पहुंच कर शिव-गौरा के गौना के ठीक पहले दर्शन कर अनुमति मांगी और होली खेली। ब्रह्म मुहूर्त से संध्याबेला तक टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास में उत्सव रहा। पालकी के आगे-पीछे हजारों भक्तों की भीड़ शिव के स्वागत में बहुरंगी अबीर गुलाल उड़ाती रही।

बाबा का विशेष पूजन

ब्रह्म मुहूर्त में शिव-गौरा का अभिषेक किया गया। बाबा और गौरा को बंगीय देवकिरीट, खादी के राजषी वस्त्र धारण कराए गए। इन्हें धारण कराने से पूर्व पं। वाचस्पति तिवारी ने सभी वस्त्राभूषणों की विशेष पूजा की। पूरे दिन भक्तों द्वारा बाबा विश्वनाथ और माई महामाया को अबीर अर्पण करते रहे। चल प्रतिमाओं का दर्शन करने के लिए काफी संख्या में काशीवासी और विशिष्टजनों की भीड़ रही।

लाखों शिवगणों ने खेली होली

सुबह दस बजे से शाम पांच बजे की बीच एक लाख से अधिक लोगों ने काशी की लोक परंपरा में अपनी आस्था व्यक्त की। डमरुओं की गडग़ड़ाहट के बीच राजसी ठाट में बाबा, माता गौरा के साथ पालकी पर सवार हुए। महंत आवास के बाहर मुख्य गली से मंदिर के मुख्यद्वार के बाहर अयोध्या और मथुरा से भेजे गए खास गुलाल उड़ाए गए। मंदिर से अर्चकों का दल महंत आवास पहुंचा। कपूर से आरती के बाद महंत पं। वाचस्पति तिवारी ने दोनों हाथों में जलती रजत मशाल दिखा कर पालकी उठाने का संकेत किया।

21 किलो गुलाब से वर्षा

बाबा की पालकी टेढ़ी नीम से नौ ग्रहेश्वर महादेव मंदिर से आगे बढ़ते ही विष्णु कसेरा के आवास से 21 किलो गुलाब की पंखुडिय़ों की वर्षा से जो शुरुआत हुई रास्ते भर जारी रहा। बाबा और मां पार्वती की चल प्रतिमाएं टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास से निकाल कर साक्षीविनायक और ढुंढिराज विनायक होते हुए विश्वनाथ मंदिर तक गईं.

गलियों में ठसाठस भीड़

महंत आवास के बाहर बाबा दर्शन करने के लिए भक्तों का रेला उमड़ पड़ा। भक्तों की भीड़ से गलियां भी ठसाठस नजर आईं। हर-हर महादेव के उद्घोष से पूरा क्षेत्र गुंजायमान रहा। डमरूओं की निनाद पर काशीवासी झूमते रहे। उनका जोश व्यवस्था पर भारी पड़ता दिखा। भीड़ को देखते हुए महंत आवास पर चल रहे सांस्कृतिक अनुष्ठान शिवांजलि को कुछ समय के लिए रोकना भी पड़ा.

गुलाल की बौछार

सांगीतिक अनुष्ठान के दौरान चंदन का बुरादा और फूलों से बनी अबीर की वर्षा की बौछार होती रही। भक्तों की हर्ष ध्वनि के बीच शिव-पार्वती की चल रजत प्रतिमा को काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया गया और गुलाल की बौछार के बीच आरती की प्रक्रिया पूरी की गई.

Posted By: Inextlive