बनारस में एनआरआई सूदखोर
वाराणसी (ब्यूरो)। सूदखोर रमेश राय उर्फ मटरू, काशी सिंह, बृजमोहन तिवारी समेत कई सूदखोर जेल में हैं। शिकायत मिलने पर कमिश्नरेट पुलिस लगातार एक्शन भी ले रही है। बावजूद इसके वाराणसी में सूदखोरी का गोरखधंधा बंद नहीं हो रहा है। पुलिस कमिश्नर के पास पहुंची शिकायत में एक चांैकाने वाली जानकारी सामने आई है। बनारस में लोकल के अलावा सूदखोरी के गोरखधंधे में एनआरआई भी शामिल हो गए हैं। ये सूदखोर 30 प्रतिशत सालाना ब्याज पर पैसा बांट रहे हैं। एनआरआई द्वारा जरूरतमंदों के अलावा बिल्डरों को भी सूद पर भारी रकम देने का अवैध कारोबार कोरोना काल से पहले से चल रहा है.
सूखदोर से डरा है पूरा परिवारविंध्यवासिनी कालोनी की रहने वाली महिला ने सीएम पोर्टल पर शिकायती पत्र अपलोड किया है। इसके अलावा वाराणसी पुलिस कमिश्नर समेत तमाम आला अधिकारियों को भी डाक द्वारा पत्र भेजा है, जिसमें आरोप लगाया कि एनआरआई सूखदोर से उनका पूरा परिवार डरा है। पैसा मेरे पति ने लिया, लेकिन प्रताडि़त मुझे और मेरे बच्चों को किया जाता है। मेरे घर में आकर करीब 20 लाख रुपये की ज्वेलरी भी लूट ले गए। मेरे फ्लैट व एक मकान पर कब्जा कर लिया है, बावजूद इसके पुलिस की मिलीभगत से मुझे व मेरे पति को मुकदमा में फंसवा दिया है। इसी तरह रविंद्रपुरी के रहने वाले कपड़ा व्यापारी ने आरोप लगाया कि लंदन में रहने वाले एनआरआई से व्यापार के लिए कुछ पैसा मदद के लिए लिया था। तय समय में लौटा भी दिया। बावजूद इसके मनमाना ब्याज की रकम के लिए उन्हें लगातार परेशान किया जा रहा है।
नहीं रुक रहा सूदखोरी का धंधा यह केस तो सिर्फ उदाहरण है। सूदखोरी के उत्पीडऩ व फर्जी मुकदमे में फंसवाने के कई मामले हर दो-तीन दिन के अंतराल पर पुलिस कमिश्नर या एडिशनल सीपी के पास पहुंचते हैं। जांच पड़ताल में सामने आया है कि सूदखोर व्यापारियों से लेकर श्रमिकों तक को अपने जाल में फंसा रहे हैं। जरूरत के वक्त बिना किसी परेशानी के मुहंमागी रकम दे देते हैं। इसके बाद बेइमानी करके उनसे कई गुना ज्यादा रुपये वसूलते हैं। किसी ने देने से इनकार किया तो मारपीट से लेकर मुकदमे तक में फंसा देते हैं. पुलिस की मदद से करते हैं वसूलीसूदखोर रुपये या प्रॉपर्टी हड़पने के लिए पीडि़त को तरह-तरह से प्रताडि़त कर रहे हैं। मामला स्थानीय चौकी या थानों पर पहुंचता है, लेकिन वहां पीडि़तों की गुहार नहीं सुनी जाती है। उल्टे स्थानीय पुलिस ही सूदखोर की मदद में जुट जाती है। सूदखोर के दबाव में बाकायदा चौकी में पंचायत होती है। इस दौरान उल्टे पीडि़त पर दबाव बनाया जाता है। नहीं मानने पर पीडि़त पर मुकदमा दर्ज करा दिया जाता है.
7 लाख ब्याज पर दिए और वसूल लिए थे 70 लाख वाराणसी में सूदखोरी के एक मामले ने सबकी नींद उड़ा दी थी। सूदखोर काशी सिंह व रमेश राय उर्फ मटरू राय ने एक व्यापारी को ब्याज पर 7 लाख रुपए उधार दिए थे और 70 लाख रुपए वसूल भी लिये थे। इसके बाद भी सूदखोर उस व्यापारी से 35 लाख रुपए जबरन मांग रहे थे। रुपए न देने पर व्यापारी को जान से मारने की धमकी दे रहे थे। मामला संज्ञान में आते ही तत्कालीन पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश ने त्वरित एक्शन लिया और दोनों सूदखोरों को जेल भेज दिया। इसके बाद वाराणसी में कई मामले सामने आए, जिसमें पुलिस ने त्वरित एक्शन भी लिया। सूदखारों के खिलाफ शिकायत मिलने पर पुलिस कार्रवाई कर रही है। लोगों को उनके डरना नहीं चाहिए बल्कि सामने आकर शिकायत करनी चाहिए, जो लोग भी सूदखोरों से परेशान हैं उनकी मदद की जाएगी. -संतोष सिंह, एडिशनल सीपी