अब हर तीन महीने में खराब नहीं होगी सड़क
वाराणसी (ब्यूरो)। बनारस में आए दिन खस्ताहाल सड़कों की मार आम जनता के साथ वीवीआईपी तक को झेलनी पड़ती है। ऐसे में बनारस को इन खस्ताहाल सड़कों से निजात दिलाने के लिए पीडब्ल्यूडी की तरफ से नया प्रयास किया गया है। पीडब्ल्यूडी की तरफ से शहर की सबसे खराब दो सड़कों का चयन किया जा रहा है जोकि आये दिन हर तीन महीने पर खराब हो जाती है। इन सड़कों के निर्माण के लिए पीडब्ल्यूडी की तरफ से एडवांस टेक्नोलॉजी मैस्टिक असफाल्ट मेथड का उपयोग किया जा रहा है। इस तकनीक से जहां लोगों को आराम देने की बात होगी वहीं सरकार व प्रशासन की साख बनाने के दावे में मजबूती होगी.
क्या होता मैस्टिक असफाल्ट मेथडभारत में इस मेथड का पहला प्रयोग ठाले महानगर पालिका के द्वारा ठाणे में कराया गया था। इस मेथड को ठाणे के पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर्स ने अमेरिका से हायर किया था, जिसके बाद ठाणे की सड़कें पांच साल के लिए गड्ढा मुक्त हो गई थी। इस मेथड के द्वारा सड़क के ऊपर असफाल्ट क्रंकीट की परत दी जाती है, जोकि बेहद ही मजबूत होती है। इसके बाद इसी परत के ऊपर डाबर की परत लगाई जाती है। इस तकनीक के द्वारा इंजीनियर्स ने दावा किया था और ठाणे में अनुभव भी किया गया था कि सड़कों पर पांच साल तक गड्ढे नहीं बने थे। इतना ही नहीं इस सड़़क का निर्माण करने में अन्य सड़कों की अपेक्षा 25 प्रतिशत लागत भी कम आती है.
पहले फेज में दो सड़कों का चयन बनारस में पीडब्ल्यूडी की तरफ से ट्रायल के लिए हर तीन महीने में खराब होने वाली दो सड़कों का चयन किया गया है। पहले फेज में इन दो सड़कों पर कार्य किया जायेगा। यदि विभाग का ये ट्रायल सक्सेसफुल रहा तो आगामी के दिनों में अन्य सड़कों का भी निर्माण इसी तर्ज पर किया जायेगा। इस दौरान विभाग की तरफ से पंचकोशी रोड के साथ करौंदी चौराहे से नुआंव बाइपास तक सड़क का निर्माण करवाया जायेगा. नहीं होगा जलजमाव, फिसलनपीडब्ल्यूडी के अधिकारियों का कहना है कि आमतौर पर कंक्रीट से बनी हुई सड़कों की लाइफ महज तीन से चार साल की होती है। इसके बाद ये खराब होनी शुरू हो जाती है। जबकि मैस्टिक असफाल्ट तकनीकि से बनी सड़कों की लाइफ तकरीबन 20 साल से ज्यादा की होती है। इस तकनीक से बनी सड़क जलजमाव होने पर भी खराब नहीं होती है और न ही इन सड़कों पर कोई वाहन फिसलता है। इन सड़कों की लाइफ आम सड़कों की अपेक्षा करीब 5 गुना ज्यादा होती है.
इन प्रोडक्ट का होगा इस्तेमाल मैस्टिक असफाल्ट मेथड वाली सड़कों को बनाने में जहां लागत कम आती है, वहीं इसके बनाने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले प्रोडक्ट भी काफी नार्मल और मार्केट में आसानी से मिलने वाले होते हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस सड़क के निर्माण के लिए सबसे पहले पुल की तरह सतह बनाई जाती है। इसके बाद रोड में जाली लगाई जाती है। उसके बाद कोट बिटमिन या डामर का इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद सड़क की सतह को एंटी स्किड किया जाता है, जोकि गाडिय़ों को फिसलने से रोकता है। इसके बाद इसमें लाइमस्टोन पाउडर, क्रसर डस्ट, जाली, बिटमिन, 10 एमएम ग्रिड, टायर आयल इत्यादि चीजों को लगाकर निर्माण करवाया जाता है. कम में ज्यादा का होगा एहसासइस बारे पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के कहना है कि इस मेथड से सड़क का निर्माण करने में खर्च बेहद कम होता है और लाइफ ज्यादा होती है। जैसे मान लिया जाये किसी सड़क का 1 किलोमीटर तक निर्माण करने में 7 करोड़ रुपये तक का खर्च आता है तो वहीं इस मेथड से सड़क का निर्माण करने में महज डेढ़ करोड़ का खर्च आयेगा। आमतौर पर देखा गया है कि इस मेथड का प्रयोग भारत में कई बड़े शहरों के चौराहे के साथ ही कई बड़े पुलों के निर्माण के दौरान किया गया है.
मैस्टिक असफाल्ट मेथड से सड़कों के निर्माण के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया था। इसको ध्यान में रखते हुए पहले चरण में दो सड़कों का निर्माण करवाया जायेगा। इन सड़कों की लाइफ अन्य सड़कों की लाइफ से ज्यादा होती है. केके सिंह, अधिशासी अभियंता, पीडब्ल्यूडी