Varanasi news: अब बनारस से निकलेंगे धार्मिक कथाओं के धुरंधर
वाराणसी (ब्यूरो)। मोरारी बापू, धीरेंद्र शास्त्री, राजन महाराज आदि, ये वे बड़े नाम हैं जो देश कि विभिन्न इलाकों में रामकथा, श्रीमदभागवत सप्ताह, कृष्ण कथा और भगवान शिव की कथा सुनाते हुए माहौल को भक्तिमय बना देते हैं। लेकिन इन सभी ने इसके लिए कहीं से डिग्री नहीं ली है, बल्कि लोगों के बीच कथा कहते-कहते आज पूरे देश में पापुलर हो गए हैं। लेकिन अब देश में ऐसे कथावचक तैयार करने का बीड़ा संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी ने उठाने का निर्णय लिया है। यहां इसके लिए एक कोर्स शुरू किया जा रहा है, जो ऑनलाइन होगी और इसमें एडमिशन के लिए कम से कम स्नातक की डिग्री आवश्यक होगी.
शुरू हुई कवायद
देशभर में संस्कृत विद्या के लिए प्रसिद्व संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की ओर से ऑनलाइन कथावाचन के नए पाठ्यक्रम को शुरू करने को लेकर कवायद शुरू हुई है। कथावाचन का सर्टिफिकेट कोर्स 'पुराण प्रवचन प्रवीणÓ वर्तमान सत्र से ही शुरू किया जाएगा। विश्वविद्यालय प्रशासन ने पाठ्यक्रम निर्माण समिति का गठन भी कर दिया है। स्नातक के बाद इसमें दाखिला लिया जा सकेगा। इसमें अभी उम्र सीमा की बाध्यता नहीं रखी गई है। कोशिश रहेगी कि इसकी फीस उतनी ही रहे ताकि जेब पर भारी न पड़े। दूसरे देशों में भी एक दशक से रामकथा वाचकों की मांग तेजी से बढ़ी है। इसे देखते हुए इस ऑनलाइन कोर्स की सुविधा दी जाने की वकालत की गई है।
नई पीढ़ी को ज्ञान
कुलपति प्रो। बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि संस्कृत शास्त्रों के विद्यार्थियों को रोजगार की दिशा में पुराण प्रवचन प्रवीण (कथावाचन) सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय में प्रारंभ करने की योजना तैयार की गई है। इससे नई पीढ़ी को अध्यात्म ज्ञान और भारतीय ज्ञान परंपरा की ज्ञान राशि से जोडऩे में मदद मिलेगी। छात्रों के आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। उसी दिशा में कथावाचक के रूप तैयार करने के लिए एक ऐसा पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है जो समाज निर्माण की दिशा में अपनी सहभागिता दे सकें। पाठ्यक्रम के समसामयिक महत्व एवं सामाजिक उपयोगिता के दृष्टिगत विवि ऑनलाइन कोर्स का संचालन करेगा।
पढ़ाएंगे रामकथा
विवि प्रशासन की मानें तो कोर्स में कथा की तीनों व्यास शैलियों राम, कृष्ण और शिव का जिक्र रहेगा, लेकिन रामकथा के बारे में विस्तार से पढ़ाया जाएगा। रामचरितमानस के सभी कांड, प्रसंग, उनकी व्याख्या, शास्त्रों व पुराणों से संबंध भी इसमें शामिल रहेगा। प्रतिष्ठित कथावाचकों का लाइव डिमांस्ट्रेशन सत्र भी शामिल किया जा सकता है। कुलपति ने बताया कि यह विश्वविद्यालय उन विद्यार्थियों के लिए है, जो देश के भविष्य और अनमोल रत्न हैं, उनका निर्माण इस संस्था द्वारा किया जा रहा है। शास्त्रों के ज्ञान के साथ-साथ उन्हें शास्त्रों का तकनीकी ज्ञान देकर स्वनिर्भर बनाने की दिशा में प्रयास किया जाएगा.
पहले के पाठ्यक्रम
कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय में ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र में संस्कृत भाषा सीखने, ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, कर्मकांड आदि के ऑनलाइन पाठ्यक्रम पहले से संचालित हैं। इसमें काफी संख्या में लोग रजिस्ट्रेशन कराकर ऑनलाइन माध्यम से अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पाठ्यक्रम निर्माण के लिए कथावाचन पाठ्यक्रम निर्माण समिति का गठन किया जा चुका है। इसमें प्रो। विजय कुमार पांडेय को अध्यक्ष बनाया गया है। समिति में प्रो। सुधाकर मिश्र, प्रो। बिंध्येश्वरी प्रसाद मिश्र, प्रो। हरिशंकर पांडेय, प्रो। रामसलाही द्विवेदी को सदस्य बनाया गया है।
छात्रों की मांग के आधार पर कथावाचन पाठ्यक्रम संचालन की योजना बनी है। इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि इस कोर्स को करने वाला व्यक्ति घर बैठे यह कोर्स कर सकेगा। यहां तक की विदेश के लोग भी ऑनलाइन प्रक्रिया को फॉलो कर इसमे एडमिशन ले सकेंगे।
प्रो। बिहारी लाल शर्मा, कुलपति, संपूर्णानंद संस्कृत विश्व विद्यालय