आई फ्लू के साथ सिटी में बढ़ रहे हैं डैक्रियोसिस्टाइटिस के मामले पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में होती है ये बीमारी

वाराणसी (ब्यूरो)अगर किसी के आंख से लगातार आंसू निकल रहा है तो आप ये मत समझिएगा कि वह परेशान है या रो रहा है। वह व्यक्ति एक्वायर्ड डैक्रियोसिस्टाइटिस से पीडि़त हो सकता है। यह आंखों में होने वाली बीमारियों में सबसे खतरनाक माना जाता है। अगर सही समय पर इसकी जांच और इलाज नहीं कराई गई तो यह गंभीर रूप ले सकता है। वर्तमान में आई फ्लू के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं, जिसके चलते सरकारी व प्राइवेट हॉस्पिटल्स की ओपीडी में इससे पीडि़त पेशेंट्स की लाइन लगी है। इसी बीच अब एक और नई बीमारी डैक्रियोसिस्टाइटिस की बात भी सामने आने लगी है। चिकित्सकों का कहना है कि यह आंखों में होने वाली बीमारियों में से एक है.

पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में समस्या

आंखें सबसे नाजुक अंग है। इससे जुड़ी परेशानी किसी को भी हो सकती है। लेकिन डैक्रियोसिस्टाइटिस की समस्या सबसे ज्यादा महिलाओं और बच्चों में देखने को मिलती है। आई स्पेशलिस्ट डॉ। अंशुमान सिंह बताते हैं कि डैक्रियोसिस्टाइटिस पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा पाई जाने वाली बीमारी है। रिसर्च बताते हैं कि डैक्रियोसिस्टाइटिस के 75 से 80 परसेंट केस महिलाओं में देखने को मिलते है। 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में होने वाली यह बीमारी सबसे आम मानी जाती है। 60 से 70 वर्ष में आयु के पेशेंट में यह चरम सीमा पर होती है। वहीं जन्मजात डैक्रियोसिस्टाइटिस दोनों सेक्स में एक समान आवृत्ति के साथ होता है।

सरकारी अस्पतालों में हर माह 100 केस

चिकित्सकों का कहना है कि आई फ्लू के साथ बनारस में डैक्रियोसिस्टाइटिस के मामले आने लगे है। मंडलीय हॉस्पिटल की आई ओपीडी में हर रोज करीब एक से दो मामले आ जाते है। यहां महीने में 25 से 30 हो जाते है। हॉस्पिटल में एक सप्ताह में एक डॉक्टर ओपीडी में बैठते हैं, जिसमें 6 डॉक्टर के पास इस बीमारी के डेली एक केस आ ही जाते हैं। वहीं जिला अस्पताल में भी 20 से 22 केस आते हैं। प्राइवेट हॉस्पिटल और क्लिनिक की बात करें तो शहर भर में करीब 50 से 60 मरीज हर माह मिल जाते हैं।

क्या होता है डैक्रियोसिस्टाइटिस

डेक्रियोसिस्टिटिस लैक्रिमल थैली की एक तीव्र या पुरानी सूजन वाली स्थिति है, जिसमें नासोलैक्रिमल नली में रुकावट आ जाती है। जिससे फाड़ (एपिफोरा) होता है इसी के रास्ते आंखों से आने वाले आंसू का एक हिस्सा नाक और दूसरा हिस्सा गले में जाकर ड्राई कर देता है। जब यह यह नली ब्लाक हो जाती है तो यह वहां तक नहीं जा पाता है और आंखों से लगातार पानी आंसू के रूप में बहने लगता है। यही नहीं यह आंख से नाक की ओर बनी नली में सूचन या किसी पुराने गांठ होने से नाक में आने वाला प्रवाह बाधित होता है। जिससे डैक्रियोसिस्टाइटिस का खतरा बढ़ जाता है। अगर लगातार आंख में पानी आ रहा है तो इससे आंखों में इंफेक्शन हो जाता है। समय पर इलाज नहीं हुआ तो यह बड़ी बीमारी का रूप ले लेता है। जिसका इलाज ऑपरेशन के जरिए करना पड़ता है।

डैक्रियोसिस्टाइटिस के लक्षण

-आंख का दर्द

-आपकी आंख के आसपास सूजन

-लाली या त्वचा का काला पडऩा

-एक फोड़ा या घाव जिसमें आपकी पलकों के अंदरूनी कोने में डिस्चार्ज (मवाद) हो सकता है।

-लगातार आंखों में पानी आना

डेक्रियोसाइटिसिस का कारण व क्या होता

-आंसू वाहिनी में रुकावट के कारण डेक्रियोसाइटिसिस होता है

-ये रुकावटें आंखों से आपके नाक गुहा में आंसू के प्रवाह को बाधित करती है

-बच्चों और वृद्ध लोगों में रुकावटें कई चीजों के कारण हो सकती हैं।

-यह अक्सर 40 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों में होता है।

-नाक पर टूटी हुई हड्डियों या सर्जरी के बाद समस्या आ सकती है।

आंख में कार्निया को सही से काम करने के लिए हमारे आंख में हमेशा आंसू बनते रहते हैं। पलकों के द्वारा उस पर वे आंसू लपेटते है। इसका गिला रहना जरुरी है। नहीं तो वे सूख जाएगी। वहीं आंसू नाक के रास्ते छेद और गले में जाकर सूख जाता है। वहीं रास्ता ब्लाक या सूजन होने से बाहर गिरने लगता है। इससे इंफक्शन हो जाता है।

डॉदिनेश यादव, आई सर्जन-मंडलीय अस्पताल

आंख और नाक के बीच हमारा जो ड्रेनेज पाथ-वे है वो ब्लॉक या इंफेक्शन का शिकार हो जाए तो आंखों के रास्ते नाक की ओर जाने वाला पानी रूक जाता है। इसके बाद आंखों में सूजन, कीच और पानी आने को डैक्रियोसिस्टाइटिस कहते है। इसका माइक्रो एंडोस्कोपिक डेक्रायोस्टिोराइनोस्टमी से सफल इलाज होता है।

डॉअंशुमान सिंह, आई सर्जन-पापुलर हॉस्पिटल

Posted By: Inextlive