बनारस में फुटपाथ पर सामान बेचने वालों का पुलिस वेरिफिकेशन नहीं शहर में हो रही आपराधिक वारदात में बाहरी की संलिप्तता ज्यादा


वाराणसी (ब्यूरो)पुलिस लाइन के पास बिहार के गणेश, मुकेश व गोपाल, बलिया के हरिओम, जौनपुर के सुभाष, आजमगढ़ निवासी सुरेश ही नहीं, बल्कि पूरे शहर में जगह-जगह फुटपाथ पर सामान बेचने वालों की लंबी लिस्ट है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की पड़ताल में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई हैं। फुटपाथ पर सामान बेचने वालों से पूछताछ तो दूर, पुलिस इन लोगों का वेरिफिकेशन भी नहीं करती है। अभी तीन दिन पहले 28 नवंबर को डीसीपी काशी ने भीड़भाड़ वाली जगहों पर चेन स्नेचिंग करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया था। गिरोह के 12 लोग पकड़े गए थे, जो बिहार के रहने वाले थे। इसके पहले भी बनारस में कई आपराधिक वारदात में बाहर के लोगों की संलिप्तता सामने आई हैं। ऐसे में बाहरियों का पुलिस वेरिफिकेशन नहीं होना, खतरे की घंटी है.

पुलिस कभी नहीं करती पूछताछ

पुलिस लाइन, शिवपुर, कचहरी, लहरतारा, पांडेयपुर, सारनाथ, पंचक्रोशी, हरहुआ, चित्तईपुर, चांदपुर, रोहनिया, लोहता समेत कई मार्गों पर किनारे अस्थायी दुकानें सजती दिख जाएंगी। कहीं पर कंबल, कहीं मूंगफली, कहीं जैकेट तो कहीं जूता-चप्पल बेचते लोग दिखे, जिसमें युवा, बुजुर्ग और महिलाएं शामिल होती हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की बातचीत में सड़क किनारे दुकान लगाने वाले बताते हैं कि वे लंबे समय से सामान बेच रहे हैं। लेकिन पुलिस या नगर निगम की टीम उन्हें परेशान नहीं करती है। हालांकि वीआईपी मूवमेंट के दौरान ये दुकानें सड़क किनारे नहीं दिखती है। अगर गलती से कहीं दुकानें लगती हैं तो पुलिस या नगर निगम की टीम आकर हटा देती हैं।

इन पर नगर निगम भी मेहरमान

नगर निगम का प्रवर्तन दल नगरीय सीमा में सड़कों पर अवैध रूप से कब्जा करने वालों के खिलाफ हर वक्त अभियान चलाता है। अक्सर दुकानदारों और टीम के बीच विवाद की खबरें भी सामने आती हैं। कई बार दुकानदारों ने प्रवर्तन दल के सदस्यों पर गंभीर आरोप भी लगाया है। बावजूद इसके अभियान चलता है, लेकिन सड़क किनारे अस्थायी दुकान लगाने वाले लोगों के खिलाफ इनका एक्शन नहीं दिखता है।

आपके हाथ में आपकी सुरक्षा

नौकर और किरायेदारों के वैरिफिकेशन को केवल पुलिस ही नहीं यह कानून भी कहता है, आपकी सुरक्षा आपके खुद के हाथ में है। अपनी सुरक्षा नहीं की और कोई अपराधी घर में ठिकाना बनाकर आपको नुकसान पहुंचा जाता है, तो इसके लिए कानून भी आपको ही सजा देगा। हालांकि, कानूनी प्रावधान होने के बावजूद वैरिफिकेशन नहीं कराने वालों के खिलाफ पुलिस ने गिने-चुने मामले ही दर्ज किए हैं.

यूपी पुलिस कॉप पोर्टल पर वेरिफिकेशन

आजकल छोटे-बड़े हर शहरों में किरायेदार का पुलिस वेरिफिकेशन कराना जरूरी हो गया है। यह मकान मालिक और किरायेदार दोनों के हित में है। आमतौर पर वेरिफिकेशन के लिए पुलिस स्टेशन जाना पड़ता है लेकिन अब कई शहरों में पुलिस विभाग यह सुविधा ऑनलाइन भी प्रदान कर रहा है। किरायेदार का पुलिस वेरिफिकेशन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से किया जा सकता है। हालांकि, दोनों ही मामलों में किरायेदार सत्यापन फॉर्म भरना होता है और सभी जरूरी दस्तावेज जमा कराने होते हैं। सबसे पहले पुलिस विभाग ऑनलाइन पोर्टल पर जाएं और किरायेदार सत्यापन फॉर्म डाउनोलड करें। फॉर्म में किरायेदारों के विवरण के साथ अपनी मूल जानकारी भी दें। इस विवरण में नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल पता, वर्तमान पता आदि शामिल है। कई राज्यों में पुलिस विभाग यह सुविधा देता है.

वेरिफिकेशन न कराना कैसे है अपराध

वेरिफिकेशन का प्रावधान सीआरपीसी की धारा 144 के तहत आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत आने वाली धारा 144 यूं तो शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए लगाई जाती है। लेकिन, इसी धारा के तहत ही मकान मालिक व नौकरी दाता को आदेश रहता है, अपने घर में रहने वाले बाहरी लोगों और नौकर या कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन करवाएं.

वैरिफिकेशन नहीं कराने पर आईपीसी की धारा 188 के तहत सजा

आईपीसी धारा 188 के अनुसार अगर वेरिफिकेशन नहीं कराने पर किसी को परेशानी होती है या फिर चोट लगती है तो एक माह का कारावास या 200 रुपए का जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं। इसके अलावा मानव जीवन, सुरक्षा व दंगे होते हैं तो छह माह का कारावास या एक हजार रुपए का जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं.

बनारस में लगातार पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। इसी की आड़ में कई बार गलत लोग भी आ जाते हैं। इसीलिए पुलिस समय-समय पर होटल, लॉज, गेस्ट हाउस और धर्मशाला की जांच करती है। वहां रुकने वालों से पूछताछ और आधार कार्ड भी चेक करती है। इसके अलावा यूपी पुलिस काप के पोर्टल पर अपलोड किरायेदारों का वेरिफिकेशन भी किया जाता है.

आरएस गौतम, डीसीपी, काशी

Posted By: Inextlive