एनआईए का छापा, बीएचयू की दो छात्राओं से पूछताछ
वाराणसी (ब्यूरो)। चितईपुर थाना क्षेत्र के महामनापुरी कालोनी में मंगलवार सुबह बिजली विभाग के क्लर्क मिथिलेश्वर प्रसाद शर्मा के घर पर पुलिस के साथ नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) की टीम पहुंची तो हड़कंप मच गया। टीम ने भगत सिंह छात्र मोर्चा के पदाधिकारियों के बारे में जानकारी मांगी। पता चला कि वे तीसरे मंजिल में रहते हैं। ऊपर पहुंचते ही टीम ने घेराबंदी कर ली। कमरे का दरवाजा खुलवाया। अंदर मौजूद मोर्चा की दो पदाधिकारियों को हिरासत में ले लिया। कमरे में तलाशी ली। मोर्चा की बीएचयू इकाई की अध्यक्ष का मोबाइल, लैपटाप के साथ उसके कमरे में रखे साहित्य जब्त कर लिये। दोनों पदाधिकारियों से घंटों पूछताछ की। इसके बाद 12 सितंबर को लखनऊ स्थित एनआईए मुख्यालय में हाजिर होने का नोटिस थमाया.
आठ घंटे तक पूछताछबिजली विभाग के क्लर्क के मकान में बीएचयू की छात्राएं झारखंड के गिरडीह की आकांक्षा कुमारी, बनारस के चौकाघाट स्थित संजय अपार्टमेंट की सिद्धि तिवारी और साउथ दिल्ली की इप्शिता अग्रवाल रहती हैं। तीनों का कनेक्शन भगत सिंह छात्र मोर्चा से है। एनआईए की टीम ने जब छापेमारी की तो उस वक्त कमरे में आकांक्षा व सिद्धि ही मौजूद थीं, जबकि इप्शिता अपने घर दिल्ली गई है। टीम ने तुरंत दोनों छात्राओं को हिरासत में ले लिया। इसके बाद पुलिस की मौजूदगी में पूरे कमरे की तलाशी शुरू की गई। टीम ने कमरे में रखी किताबें, रोजमर्रा के इस्तेमाल के सामान समेत सभी कुछ की जांच-परख की। इस दौरान दोनों से संगठन व उसकी गतिविधियों व उससे जुड़े लोगों के बारे में पूछताछ भी करती रही। इस दौरान किसी को घर में दाखिल होने व बाहर निकलने की अनुमति नहीं थी। दोपहर लगभग एक बजे जांच पूरी करने के बाद एनआईए की टीम वापस लौट गई.
जांच के बाद लैपटाप व मोबाइल जब्त कमरे में संगठन से जुड़े कई साहित्य मिले। संगठन का अखबार मशाल, पत्रिका दस्तक और पंफलेट मिले, जिन्हें जब्त कर लिया गया। साथ ही आकांक्षा का लैपटाप व उसका मोबाइल जांच करने बाद कब्जे में ले लिया गया। उसके द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे दो सिम, एसडी कार्ड व पेन ड्राइव को जब्त कर लिया गया. कैंट पर एक लॉज में रुकी थी टीममहामनापुरी कालोनी में छापेमारी में एनआईए की तीन टीम शामिल थी, जो उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार व झारखंड से आई थी। इसका नेतृत्व लखनऊ से आईं रश्मि शुक्ला कर रही थीं। लखनऊ की टीम सोमवार रात 12 बजे बनारस आ चुकी थी। इसके बाद बिहार, फिर झारखंड की टीम मुगलसराय पहुंची। सभी अफसर कैंट स्थित लाज में रूके। रात तीन बजे तीनों टीमें एक साथ महामनापुरी के लिए रवाना हुईं। झारखंड की टीम थोड़ी देर बाद ही प्रयागराज चली गई.
पुलिस को देखकर लोगों की नींद उड़ी एनआईए की यह कार्रवाई इतनी गोपनीय थी कि स्थानीय पुलिस से लेकर एलआईयू तक को भनक नहीं लगी। टीम की ओर से भोर में तीन बजे स्थानीय पुलिस को सूचना दी गई। उसे साथ लेने के बाद सीधे उस घर में पहुंची जिसमें भगत सिंह छात्र मोर्चा की पदाधिकारी रहती हैं। सुबह कालोनी के लिए लोगों की नींद खुली और मिथिलेश्वर प्रसाद के घर के बाहर भारी संख्या में पुलिस फोर्स देख सकते में आ गए। पुलिसकर्मियों से जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने भी कुछ नहीं बताया, लेकिन धीरे-धीरे लोगों को समझ आने लगा कि मामला तीनों छात्राओं से जुड़ा है. माओवादियों से संबंध के संदेह पर छापाइस कार्रवाई के बारे में एनआईए की टीम कुछ भी कहने को तैयार नहीं थी। स्थानीय पुलिस इतना ही बता पा रही थी कि भगत सिंह छात्र मोर्चा का संबंध माओवादियों से होने के संदेह पर छापेमारी की गई है। आरोप है कि संगठन के पदाधिकारी पत्रिकाओं व इंटरनेट मीडिया के जरिए सरकार की नीतियों का विरोध करते हैं और आंदोलन का माहौल तैयार करते हैं.
क्रांतिकारियों ने नाम पर रखा अपना नाम मोर्चा के पदाधिकारियों ने अपना नाम क्रांतिकारियों ने नाम पर रखा है। बीएचयू से एमफिल करने वाली आकांक्षा भगत सिंह छात्र मोर्चा के बीएचयू इकाई की अध्यक्ष हैं। खुद को आकांक्षा आजाद कहती हैं। वहीं समाज शास्त्र में एमए कर रहीं संयुक्त सचिव सिद्धि बिस्मिल के नाम से जानी जाती हैं। मनोविज्ञान में एमएससी कर रही इप्शिता मोर्चा की सचिव हंै। आकांक्षा वर्ष 2016 से और सिद्धि व इप्शिता 2020 से संगठन से जुड़ी है. सरकार पर लगाया दमन का आरोप एनआईए के लौटने के बाद आकांक्षा और सिद्धि ने मीडिया से बात करते हुए सरकार पर दमन का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि सरकार के खिलाफ जो बोल रहा है, उसे माओवादी या आतंकवादी बताकर जेल में डाल दिया जा रहा है। कुछ दिनों पहले उन्होंने भी आंदोलन के जरिए सरकार की उन नीतियों का विरोध किया था, जिनसे पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। इसका नतीजा है कि उन पर दबाव बनाने के लिए एनआईए का छापा पड़वाया गया.