पहले पिलाई शराब फिर मौत के घाट दिया उतार
- होली की शाम दोस्तों ने पंचगंगा घाट पर मारी युवक को गोली
-खून से लथपथ आधे घंटे तक घाट तड़पता रहा -हत्यारों की तलाश में जुटी पुलिस, खंगाल रही सीसीटीवी फुटेज VARANASI पंचगंगा घाट पर शुक्रवार को होली की शाम शराब पिलाने के बाद दोस्तों ने मनोज यादव (30 वर्ष) को गोली मार दी। राजमंदिर क्षेत्र का रहने वाला युवक खून से लथपथ देर तक घाट पर तड़पता रहा। सूचना पर पहुंची पुलिस ने उसे मंडलीय अस्पताल पहुंचाया लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। पुलिस अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर छानबीन में जुटी हुई है। आसपास के मठों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से पुलिस को सुराग लगने की उम्मीद है। चल रहा था जुआ और शराब का दौरमनोज के साथ चार-पांच युवक शाम से ही पंचगंगा घाट की मढ़ी पर बैठे हुए थे। जुआ और शराब का दौर चल रहा था। अचानक उनके बीच विवाद हुआ और कहासुनी के बीच एक युवक के तमंचा निकालकर मनोज को गोली मार दी। गोली पेट में बाई तरफ लगी और हमलावर भाग निकले। होली की शाम होने के कारण घाट पर लोगों की आवाजाही न के बराबर थी। घाट के ऊपर स्थित संस्कृत विद्यालय में भी किसी ने फायरिंग की आवाज नहीं सुनी। आधे घंटे बाद किसी राहगीर ने लहूलुहान युवक को देखकर पुलिस को सूचना दी। पुलिस मनोज को अस्पताल ले गई मगर तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। मनोज के परिवार ने किसी पर आरोप नहीं लगाया है। वह पांच भाई-बहनों में सबसे छोटा था।
दो दिन पहले छूटा था जेल से मनोज चोरी के एक मामले में चौक थाने से गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। 28 फरवरी को जमानत पर रिहा हुआ। एसपी सिटी दिनेश कुमार सिंह का कहना है कि मामला चोरी के माल में बंटवारे या पुरानी रंजिश का भी हो सकता है। पुलिस सभी बिंदुओं पर जांच कर रही है। इन गलियों में अब पुरानी बात नहीं - घटना के दूसरे दिन पंचगंगा घाट पर पसरा रहा सन्नाटा - घटना की चर्चा से भी बचते रहे'चाची कल यहां कोई घटना हुई थी क्या?' पंचगंगा घाट की तरफ जाने वाली गली के नुक्कड़ पर बैठी फूलमाला बेचने वाली से यह सवाल मामले की तफ्तीश करने पहुंचे दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के रिपोर्टर ने पूछ तो जवाब मिला, 'क्या पता, हम तो अभी आए हैं'। ऐसे ही जवाब कई दुकानदारों और इलाकाई लोगों से भी मिले। दो बच्चे आपस में बात कर रहे थे, 'आज नीचे नहीं जाना, कल वहां ताश खेल रहे थे कई लोग। उसी में एक ने दूसरे को गोली मार दी'। पूछने पर इसी बच्चे ने नीचे पंचगंगा घाट की तरफ इशारा कर दिया।
क्या किसी ने कुछ नहीं देख?बेहद घनी आबादी वाले इलाके में हर वक्त भीड़भाड़ रहती है। पंचगंगा घाट पर भी लोगों की आवाजाही होती है ऐसे में चौंकाने वाली बात यह थी कि क्या किसी ने हत्यारों को नहीं देखा। किसी को नहीं पता था कि घटना कहां हुई, कैसे हुई, कितने लोग थे? काफी कुरेदने पर एक व्यक्ति ने इतना ही कहा कि कल कुछ झगड़ा हुआ था, पुलिस आई थी। पंचगंगा घाट पर घटना के बाद दो पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई थी। पूछने पर उन्होंने भी यही कहा कि घटना के बारे में कोई कुछ नहीं बता रहा। मनोज को गोली मारने वाली जगह के ऊपर ही संस्कृत पढ़ने वाले छात्र रहते हैं। पूछने पर वह भी सीधे नकार गए कि यहां कहीं कुछ हुआ ही नहीं है। ये माहौल तो नहीं हुआ करता था इन पुराने मोहल्लों का। यहां पूरा इलाका एक परिवार की तरह रहता है। कोई किसी को नुकसान नहीं पहुंचा सकता। पड़ोसी के घर शादी पड़े तो पड़ोसी खुशी मनाता है। मोहल्ले में कहीं गमी हो जाए तो कई घरों में चूल्हा नहीं जलता। मगर इन्हीं गलियों के नीचे घाट पर होली की शाम एक युवक गोली से घायल होकर काफी देर तक तड़पता रहा। उसकी मौत हो गई मगर दूसरे दिन भी आसपास के लोग इसकी चर्चा से भी बचते रहे। लगता है इन इलाकों को भी शहर की हवा लग गयी। दूसरों के लिए जीने-मरने अब निजी जिंदगी को तव्वजो देते हैं।