बीएचयू के एसएस हॉस्पिटल में 5 महीने की वेटिंग मरीजों का बढ़ रहा दर्द दो शिफ्ट में काम होने के बावजूद नहीं सुधर रही है स्थिति 13 साल पुरानी हो चुकी एमआरआई मशीन कभी भी हो सकती बंद

वाराणसी (ब्यूरो)बनारस में सरकारी अस्पतालों में इलाज के दौरान डॉक्टर ने अगर एमआरआई कराने के लिए कह दिया तो समझ लीजिए कि आपकी मुसीबत बढ़ गई। ऐसा भी हो सकता है कि गंभीर रूप से पीडि़त पेशेंट की एमआरआई रिपोर्ट आने से पहले जान भी चली जाए। बीएचयू के एसएस हॉस्पिटल में इलाज के दौरान या दूसरे अस्पतालों से रेफर पेशेंट के एमआरआई कराने में पसीने छूट रहे हैं। यहां एमआरआई के लिए 5 से 6 महीने की लंबी वेटिंग चल रही है। अगर आज के डेट में कोई पेशेंट यहां एमआरआई के लिए जाता है तो उसे 20 अक्टूबर या उससे आगे की डेट दी जाएगी। ऐसी स्थिति तब है, जब यहां रोजाना दो शिफ्ट में काम हो रहा है.

सिर्फ एक मशीन होने से है समस्या

यहां के रेडियोलॉजिस्ट की मानें तो इस हॉस्पिटल में पेशेंट का दबाव सबसे ज्यादा है। मात्र एक एमआरआरआई मशीन और मैनपावर की कमी होने की वजह से चाह कर भी वेटिंग कम नहीं हो पा रहा। फिर भी डिपार्टमेंट 8-8 घंटे की शिफ्ट में सुबह 8 से रात 10 बजे तक में 50 से ज्यादा पेशेंट का एमआरआई कर रिपोर्ट तैयार करा रहा है। डिपार्टमेंट यहां आने वाले पेशेंट की प्रॉब्लम को अच्छे से समझता है, लेकिन क्या करें उनके हाथ भी बंधे हुए हंै। डिपार्टमेंट के ऑफिसर का कहना है कि अगर गंभीर केस के मामले में डॉक्टर के रिक्वेस्ट पर उनका सेम डे एमआरआई कर दिया जाता है। इसके अलावा यदि कोई काफी दूर या दूसरे प्रदेश से किसी कमजोर पेशेंट को लेकर आता और उसका भी हो जाता है, लेकिन ऐसा हर केस में नहीं हो सकता.

प्राइवेट में तीन गुना ज्यादा शुल्क

एसएस हॉस्पिटल को छोड़ किसी भी सरकारी हॉस्पिटल में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में पेशेंट के पास इंतजार करने के सिवाय कोई दूसरा विकल्प नहीं बचता। हालांकि जिन्हें जल्दी होती है और आर्थिक रूप से सक्षम हैं वेे प्राइवेट लैब में जाकर यहां से तीन गुना ज्यादा शुल्क देकर एमआरआई करा लेते हैं। वहीं बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर में एमआरआई के लिए एक से दो दिन की वेटिंग दी जा रही है। इसके लिए वे पेशेंट को वहीं बैठाए रखते हैैं। जब नंबर आएगा तो एमआरआई किया जाएगा। अब जिसके पास समय है वे यहां बैठे रहते हैं.

एमआरआई मशीन की हालत खराब

ऑफिसर्स का कहना है कि वर्तमान में इस हॉस्पिटल में जिस मशीन पर एमआरआई की जा रही है, वह 13 साल पुरानी हो चुकी है। उसकी हालत भी खराब है। यह कभी भी बंद हो सकती है। क्योंकि सीमेंस ने अब कांट्रैक्ट रिन्यूअल व रिपेयर करने से इंकार कर दिया है। ऐसे में अगर मशीन अक्टूबर से पहले बंद हुआ तो और भी ज्यादा मुसीबत बढ़ जाएगी.

सरकार भेज दे मशीन तो कम हो जाए लोड

हालांकि कुछ माह पहले पीएमएसवाई के तहत एक नई मशीन लगाने का बजट पास हुआ है। लेकिन जिस कंपनी का मशीन लगना है, उनके साथ कुछ इश्यू है, इसलिए वे मशीन नहीं लगा पा रहे हैं। पेशेंट के बढ़ते लोड को देखते हुए एमआरआई सेंटर के लिए अलग बिल्डिंग भी तैयार हो गई है। इंतजार सिर्फ मशीन आने का है। अगर सरकार डायरेक्ट मशीन खरीदकर भेज दे तो समस्या का समाधान हो जाएगा.

फैक्ट फाइल

24

घंटे एमआरआई के लिए डबल स्टाफ की है जरूरत

12

स्टॉफ की टीम काम कर रही वर्तमान में

02

शिफ्ट में की जाती है एमआरआई

8

बजे सुबह से रात 10 बजे तक होता काम

06

महीने आगे की डेट दी जा रही पेशेंट को

50

से 55 एमआरआई डेली हो रहा है बीएचयू के एसएस हॉस्पिटल में

100

के करीब डेली एमआरआई हो रहा बीएचयू ट्रामा सेंटर में

हमारी पूरी कोशिश रहती है है कि पेशेंट को जल्दी रिपोर्ट मिले, लेकिन ओवरलोड होने से लंबी डेट दी जा रही है। अगर तीन सिफ्ट में काम किया जाए तो कुछ लोड कम हो सकता है। लेकिन इसके लिए एक और मशीन होने के साथ मैन पावर की जरुरत है।

प्रोआशिष वर्मा, एचओडी, एमआरआई सेंटर, एसएस हॉस्पिटल बीएचयू

Posted By: Inextlive