90 दिन बाद जेल से बाहर आए सांसद अफजाल अंसारी
वाराणसी (ब्यूरो)। गैंगस्टर के मामले में जिला जेल में बंद पूर्व सांसद अफजाल अंसारी को जमानत मिलने के बाद गुरुवार की देर शाम रिहा कर दिया गया। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था के तहत काफी संख्या में फोर्स तैनात रही.
गैंगस्टर में मिली थी सजा माफिया मुख्तार अंसारी और उसके भाई पूर्व सांसद अफजाल के खिलाफ कृष्णानंद राय हत्याकांड और नंदकिशोर रूंगटा के अपहरण व हत्याकांड को आधार बनाकर मुहम्मदाबाद पुलिस ने गैंगस्टर अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया था। इसपर सुनवाई करते हुए एमपी-एमएलए कोर्ट ने बीते 29 अप्रैल को माफिया मुख्तार को दस व अफजाल अंसारी को चार वर्ष की सजा सुनाते हुए उसी दिन जेल भेज दिया. हाई कोर्ट में याचिकाइसके बाद अफजाल के स्वजन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 24 जुलाई को सुनवाई करते हुए प्रयागराज हाईकोर्ट ने जमानत अर्जी को मंजूर कर लिया। हालांकि सजा पर रोक नहीं है। गुरुवार की दोपहर जिला जेल प्रशासन को जमानत का पत्र मिला। इसके बाद तुरंत बाद जिला जेल पर सुरक्षा-व्यवस्था बढ़ा दी गई। एक प्लाटून पीएसी के साथ काफी संख्या में फोर्स तैनात रही.
साढ़े सात बजे हुए रिहाशाम को अफजाल के भतीजे व मुहम्मदाबाद विधायक सुहैब अंसारी पहुंचे। देर शाम करीब 7.30 बजे अफजाल अंसारी जेल से रिहा हुए, इसके बाद सुहैब अंसारी की गाड़ी में बैठकर मुहम्मदाबाद अपने आवास के लिए रवाना हो गए। इस दौरान उनके समर्थकों की भी भारी भीड़ लगी रही। प्रभारी जेल अधीक्षक राकेश वर्मा ने बताया कि गुरुवार की दोपहर जमानत पत्र मिलने के बाद देर शाम उनको रिहा कर दिया गया.
गैंगस्टर में पांच अगस्त को होगी बहसअपर सत्र न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट दुर्गेश की अदालत में मुख्तार अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर के मामले में गुरुवार को सुनवाई हुई। मुख्तार के अधिवक्ता लियाकत अली ने कोर्ट में लिखित बहस पेश किया, जिस पर कोर्ट ने बहस के लिए अगली तिथि पांच अगस्त नियत की है। वर्ष 2009 में करंडा के सबुआ निवासी कपिलदेव सिंह हत्याकांड और मुहम्मदाबाद के मीर हसन की हत्या के प्रयास की साजिश के मामले को गैंगचार्ट में शामिल करते हुए मुहम्मदाबाद पुलिस ने मुख्तार अंसारी के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया था। इन दोनों मामलों में मुख्तार अंसारी बरी हो चुका हैं। 20 मई को ही फैसला आने वाले था। उस दिन सुनवाई के दौरान अधिव1ता ने मीर हसन की हत्या के प्रयास के मामले में बरी होने की पत्रावलियों को कोर्ट के समक्ष रखा। अगली तिथि 13 जून को पीठासीन अधिकारी के अवकाश पर होने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। 15 जुलाई को सुनवाई के दौरान मुख्तार अंसारी के अधिव1ता ने पुन: बहस के लिए दलील पेश की थी।