जन्म के एक घंटे के अंदर शिशु के लिए मां का दूध है बेहद जरूरी फिगर मेंटेन करने के चक्कर में बच्चा हो रहा कमजोर

वाराणसी (ब्यूरो)फैशन के दौर में अब अधिकांश मदर्स बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग कराने की बजाय बाहर का दूध पिला रही हैं। इससे बच्चे न सिर्फ मानसिक बल्कि शारीरिक तौर पर भी कमजोर हो रहे हैं। डॉक्टर्स भी सलाह दे रहे हैं कि बाहरी दूध बच्चे के लिए घातक है। ऐसे में बीमारियां बच्चे को घेर रही हैं। तमाम प्रचार-प्रसार के माध्यम से भी स्वास्थ्य विभाग और सरकार इस बात पर जोर दे रही हैं कि शिशु के लिए मां का दूध ही सर्वोत्तम आहार है। इसके बाद भी मदर्स में कोई चेंजेस नहीं आ रहे हैं। अपने फिगर को मेंटेन करने के चक्कर में ये मदर्स अपने ही कलेजे के टुकड़े को कमजोर कर रही हैं। आधुनिकता के दौर में खासकर शहरी मदर्स अब अपने बच्चों को दूध पिलाने से कतरा रही हैं। इसी का नतीजा है कि बनारस के 53 परसेंट नवजात शिशु को उनकी मां का दूध नहीं मिल रहा।

बच्चे भुगत रहे खामियाजा

एक से सात अगस्त के बीच वल्र्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक आयोजित किया गया है। इसमें स्वास्थ्य विभाग की ओर से महिलाओं को अवेयर करने का प्रयास किया जा रहा है। बच्चों को दूध से दूर करने वाली सबसे ज्यादा कामकाजी महिलाएं हैं। आंकड़ों की मानें तो शहर की करीब 53 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं जो ब्रेस्टफीडिंग नहीं कराती हैं। इसकी बड़ी वजह उनकी जॉब है। वर्किंग होने की वजह से वे अपने शिशुओं को ब्रेस्टफीडिंग नहीं करातीं। जबकि बहुत सी महिलाएं फिगर कांशस होने की वजह से ब्रेस्टफीडिंग नहीं कराती हैं। हालांकि अब कुछ गृहणियां भी बच्चों को अपना दूध पिलाने से बच रही हैं। इन मदर्स का खामियाजा बड़े होते उनके बच्चों को भुगतना पड़ता है।

दिमाग व शरीर पर असर

मॉडल दुनिया की कल्पना करने वाली नव विवाहिता आजकल सुंदर दिखने की चाह में मां का फर्ज भूल रही हैं। उनका मानना है कि बच्चे को ज्यादा वक्त तक दूध पिलाने से उनकी सुंदरता पर असर पड़ेगा। करीब दो दशक पहले की दुनिया को देखें तो मां बच्चे को लंबे वक्त तक सिर्फ अपना दूध पिलाती थीं। अब डिलिवरी के बाद बच्चे को जब दूध की जरूरत होती है तो शुरुआत से ही उसको बाहर का दूध देना शुरू कर दिया जाता है। कभी-कभी ङ्क्षसथेटिक दूध या फिर दूध वाले पाउडर की वजह से बच्चे दिमागी और शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो जाते हैं। आंखों के लिए भी यह दूध काफी घातक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तीन से चार साल तक के बच्चों को नजर का चश्मा अब लगने लगा है.

ऐसे कराएं ब्रेस्टफीडिंग

गाइक्नोलॉस्टि की माने तो मां को करवट बदल-बदलकर शिशु को स्तनपान कराना चाहिए। ऐसा करने से मां के खाली स्तन में दूध भर जाता है और दूध पिलाने में परेशानी भी नहीं होती। मां को ब्रेस्टफीडिंग कराने के लिए नियमित चार से 500 कैलोरी अतिरिक्त पोषकतत्व की जरूरत पड़ती है। जिसे पौष्टिक भोजन घी, मक्खन, सौंफ, दलिया, हरी सब्जियों के सेवन से पूरा किया जा सकता हैं.

अमृत है मां का दूध

मां का दूध बच्चे के लिए अमृत है। मां अगर नियमित रूप से छह माह तक बच्चे को अपना दूध पिलाती है तो यह बच्चे को कई बीमारियों से दूर रखने में कारगर है। जन्म के बाद बच्चे को कम से कम छह माह तक मां का दूध ही देना चाहिए। मां के दूध में पाए जाने वाले पोषक तत्व डिब्बे वाले दूध में नहीं होते हैं। बच्चे को स्तनपान कराने से मां की सेहत पर किसी तरह दुस्प्रभाव नहीं पड़ता है। बाहर के दूध से बच्चा शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से कमजोर होता है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के आंकड़ों पर गौर करें तो बनारस में छह माह से कम उम्र के सिर्फ 53 परसेंट मदर्स ही बच्चे को मां का दूध पिलाती हैं। अन्य 47 परसेंट बच्चे बाहर या डिब्बा बंद दूध पी रहे हैं।

मां के दूध में क्या-क्या?

- बच्चे को प्रसव के एक घंटे के अंदर मां का दूध जरूरी

- मां के दूध में सभी तरह के विटामिन होते हैं

- शरीर को मजबूत करने के लिए एनजाइन, एंटी बॉडीज की मात्र ज्यादा होती है.

- शरीर की ग्रोथ बढ़ाने के लिए मां का दूध ही सबसे अच्छा आहार होता है.

- बाहर के दूध से बच्चे की ग्रोथ कम होती है, बच्चे का पेट उम्र भर के लिए सही नहीं रहता.

- बाहर के दूध से वह मानसिक और शारीरिक तौर पर भी कमजोर रहता है.

अब महिलाओं की सोच काफी ब्रॉड हो गई है। वे अपने फिगर को लेकर काफी कांशस हैं। ऐसी महिलाएं शिशुओं को फीडिंग नहीं कराती। यह पूरी तरह से गलत है। मां का पहला दूध शिशु के लिए अमृत होता है। यह बीमारियों से लडऩे की शक्ति देता है। यही इंफेक्शन और डायरिया जैसी बीमारी से भी बचाता है।

डॉनेहा सिंह, स्त्री रोग विशेषज्ञ

शिशु के उचित मानसिक और शारीरिक विकास के लिए ब्रेस्टफीडिंग काफी इंपॉर्टेंट है। यह मां को भी डिलिवरी के बाद होने वाली कई तरह की मुसीबतों से छुटकारा दिलाता है। इसी उद्देश्श्य से वल्र्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक शुरू किया गया है, ताकि मदर्स को अवेयर किया जा सके और वे अपने शिशुओं को दूध से वंचित न न कर पाएं.

डॉसंदीप चौधरी, सीएमओ

Posted By: Inextlive