ज्यादातर चालकों ने कोरोना काल के बाद नहीं लिया फिटनेस सर्टिफिकेट परिवहन विभाग अब संबंधित वाहनों को जब्त करने की तैयारी में


वाराणसी (ब्यूरो)शहर में आए दिन बीच सड़क अचानक ऑटो बंद होने की तस्वीर दिख जाती है। ये ऑटो कभी भी दुर्घटनाग्रस्त हो सकते हैं और सवारियों की जान खतरे में पड़ सकती है। जिले की सड़कों पर तीन हजार से अधिक खतरनाक ऑटो दौड़ रहे हैं। इनमें कई ऑटो की फिटनेस जांच कोरोना काल से चालकों ने नहीं कराई। परिवहन विभाग की ओर से चालकों को नोटिस भेजे गए, लेकिन उन्होंने कोई पहल नहीं की। अब इन ऑटो को जब्त करने का अभियान चलेगा.

20 हजार हैं पंजीकृत

परिवहन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिले में 20 हजार से अधिक ऑटो पंजीकृत हैं। इनमें से करीब 3 हजार ऑटो की फिटनेस खत्म है। इस साल अप्रैल तक खतरनाक ऑटो की संख्या ढाई हजार थी। पांच माह में 5 और ऑटो अनफिट हो गए। परिवहन विभाग की ओर से ऑटो की फिटनेस जांच कराने के लिए चालकों को नोटिस भेजे गए हैं। इन ऑटो को भी जब्त किया जाएगा.

विभाग में होती जांच

ऑटो की फिटनेस जांच परिवहन विभाग कार्यालय परिसर में की जाती है। इसमें ऑटो के हर हिस्से की जांच की जाती है। किसी भी हिस्से में यदि कमी मिलती है तो उसे दुरुस्त कराने के लिए चालक से कहा जाता है। यदि सभी हिस्से दुरुस्त मिलते हैं तो फिटनेस जांच प्रमाणपत्र जारी कर दिया जाता है। चालकों की जिम्मेदारी है कि वे वक्त पर ऑटो की फिटनेस जांच करा लें। अनफिट ऑटो को सड़क पर न दौड़ाएं। इस तरह के ऑटो दुर्घटनाग्रस्त हो सकते हैं और उसमें बैठी सवारियों की जान जोखिम में पड़ सकती है.

ऑटो की उम्र 15 साल

परिवहन विभाग के अनुसार ऑटो की उम्र 15 साल निर्धारित है। चालकों को वक्त पर ऑटो की फिटनेस जांच करा लेना चाहिए। सवारी भी खस्ताहाल ऑटो में न बैठें। यदि ऑटो की स्थिति ठीक नहीं है और सवारियों को संशय होता है तो उसकी पंजीकरण संख्या की जानकारी विभाग में दे सकते हैं। उनका नाम गुप्त रखा जाएगा.

क्या कर रहा एसोसिएशन

ऑटो एसोसिएशन का कहना है कि कोरोना काल में ऑटो चालकों की स्थिति खराब थी। लॉकडाउन के कारण का काम न होने के चलते कई चालक अपने घर चले गए थे और उन्होंने ऑटो की फिटनेस जांच नहीं कराई थी। कई चालक ऐसे में जो घर से लौटे नहीं हैं। इस कारण उन्होंने ऑटो की फिटनेस जांच भी नहीं कराई है। सड़कों पर ऑटो की संख्या भी पहले की तुलना में कम है.

यह है फिटनेस नियम

परिवहन विभाग के अनुसार फिटनेस में ऑटो के हर हिस्से की जांच की जाती है। इसमें ऑटो के ब्रेक, हेड लाइट, बॉडी समेत सभी हिस्से शामिल हैं। यदि किसी भी हिस्से में कमी मिलती है तो उसे दुरुस्त कराकर फिर से फिटनेस जांच के लिए लाने को कहा जाता है। फिटनेस प्रमाणपत्र तब तक जारी नहीं किया जाता है जब तक सभी हिस्से जांच में दुरुस्त नहीं पाए जाते हैं.

यह है जांच की फीस

परिवहन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सीएनजी ऑटो को 15 साल तक चलाने की अनुमति है। नए ऑटो की प्रत्येक दो साल में फिटनेस जांच की जाती है। ऑटो की फिटनेस फीस 600 रुपए है। इसमें 400 रुपए फिटनेस शुल्क और 200 रुपए प्रमाणपत्र की फीस है। यह शुल्क सरकार की ओर से निर्धारित है.

अनफिट ऑटो कभी भी दुर्घटनाग्रस्त हो सकता और सवारियों की जान खतरे में पड़ सकती है। इसलिए सड़क पर दौड़ते पाए जाने पर इन ऑटो को जब्त किया जाएगा। प्रदूषण जांच न होने पर दस हजार रुपये और अनफिट वाहन चलाने के कारण पांच हजार रुपये यानि कुल 15 हजार रुपए का जुर्माना लिया जाएगा.

सर्वेश चतुर्वेदी, एआरटीओ प्रशासन

Posted By: Inextlive