खुले में बंदर, पिंजरे में पब्लिक
वाराणसी (ब्यूरो)। इस समय स्मार्ट शहर बनारस की चर्चा जी-20 देशों में खूब हो रही है। दुनिया के हर हिस्से से यहां आने वाले पर्यटक भी एयरपोर्ट से लेकर गंगा घाट हर खूबसूरत तस्वीर को अपने कैमरे व मोबाइल में कैच करते हैं, लेकिन रपटीली सड़क, सेल्फी प्वाइंट और खूबसूरत इमारतों के पीछे बसी कालोनियां व मुहल्लों की स्थिति देखकर उनके मुंह से एक ही शब्द निकलेगा ओ माई गार्ड। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने कबीर नगर कालोनी और दासनगर कालोनी की पड़ताल की तो कई ऐसी तस्वीर सामने आई, जिसे देखकर आप हैरत में पड़ जाएंगे। कालोनी की सड़कों पर बंदरों का राज। लोहे की जाली से कवर्ड हर बालकनी व खिड़कियां। हर वक्त घरों में हजारों जिदंगियां कैद रहती हैैं। घर से निकलने से पहले आतिशबाजी करते हैैं और अपने गंतव्य को जाते हैैं.
कपड़ा सुखाना भी रिस्कपड़ताल के दौरान कबीर नगर की रहने वाली मधु गुप्ता ने बताया कि सुबह करीब नौ बजे बालकनी में कपड़ा फैला रही थी। इसी बीच अचानक एक बंदर ने उन पर हमला कर दिया। पीछे खड़े मधु के पति ने डंडे से बंदर को भगाकर किसी तरह उन्हें बचाया। महेश गुलाटी बताते हैं कि उनकी रोड पर ही दुकान है। लंच करने के लिए घर के गेट पर पहुंचे, तभी दो बंदरों ने हमला कर दिया। सिर में हेलमेट होने के कारण उन्हें चोट नहीं आई, लेकिन उनकी शर्ट फट गई। ये दो घटनाएं सिर्फ कबीर नगर कालोनी की है, लेकिन इसके अलावा दासनगर कालोनी, जवाहर नगर कालोनी, साकेत नगर कालोनी, शास्त्री नगर कालोनी, दास नगर कालोनी, पक्के महाल, चौक समेत तमाम इलाके हैं, जहां बंदरों के आतंक से हर कोई खौफजदा है।
जगह-जगह लंगूर का कटआउट बंदरों से बचने के लिए लोगों ने घरों की बालकनी व खिड़कियों में लोहे की जाली लगा रखा है। लोग कहते हैं कि बंदर किचन तक पहुंच जाते हैं। फ्रीज खोलकर खाने-पीने की सामग्री निकाल लेते हैं। भगाने पर हमला कर देते हैं। इसके अलावा लंगूर का कटआउट बनाकर जगह-जगह लगवाया गया है। दीवारों पर लंगूर की तस्वीर भी बनाई गई। बावजूद इसके बंदरों का आतंक बना है. बंदरों को पकड़कर किन स्थान पर भेजना है, इसकी जानकारी वन विभाग से मांगी गई है। जैसे ही स्थान का नाम फाइनल होगा। बंदरों को पकडऩे का अभियान फिर से शुरू किया जाएगा. -डा। अजय प्रताप सिंह, पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी नगर निगम