मच्छोदरी में कमल पर विराजेंगी मां दुर्गा
वाराणसी (ब्यूरो)। मच्छोदरी पार्क में मछोदरनाथ दुर्गोत्सव समिति द्वारा आयोजित दुर्गा पूजा समिति द्वारा आयोजित दुर्गा पूजा में इस बार काशी विश्वनाथ की अनुकृति में पंडाल को तैयार किया जा रहा है। इस बार 11 फीट ऊंची कमल के फूल पर बैठीं मां दुर्गा की मूर्ति का निर्माण पश्चिम बंगाल से आए मूर्तिकार कर रहे हैैं। इस बार माता के वस्त्र मिट्टïी से ही बनाए जाएंगे.
जोरों पर चल रही तैयारी
काशी में कोई पूजा हो और भोले बाबा को न याद किया जाए ऐसा तो हो नहीं सकता। दुर्गा पूजन के लिए ज्यादातर सभी पंडालों में भोले बाबा के मंदिर की अनुकृति बनाई जा रही है। दुर्गा पूजा की तैयारी जोरों पर है। ज्यादातर मूर्ति बनाने के लिए समितियों ने मूर्तिकार बंगाल से ही बुलवाए हैं। काशी की प्रसिद्ध दुर्गा पूजा में से एक मच्छोदरी की मां दुर्गा भी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैैं। हर बार की तरह भी इस बार भी यहां पर दुर्गा पूजा के लिए खास तैयारी चल रही है.
11 फीट की मां दुर्गा की मूर्ति
मछोदरनाथ दुर्गोत्सव समिति द्वारा आयोजित दुर्गा पूजा में इस बार 11 फीट ऊंची मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। मूर्ति बनाने के लिए मूर्तिकार पश्चिम बंगाल से आए हैं और मूर्ति को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। दूसरी तरफ पंडाल को बीएचयू के काशी विश्वनाथ मंदिर की अनुकृति में तैयार किया जा रहा है। कारीगर पंडाल के निर्माण कार्य को पूर्ण करने के लिए देर रात तक कार्य कर रहे हैं और सुबह होते ही फिर से काम में जुट जाते हैैं.
38 वर्ष से सज रहा पंडाल
समिति के अध्यक्ष घनश्याम कहते हैं कि उनकी समिति पिछले 38 वर्ष से दुर्गा पूजा का कार्यक्रम करा रही है। हर बार वह किसी न किसी मंदिर की अनुकृति में ही पंडाल को तैयार करते हैं। इससे पहले वह गुजरात के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर समेत देश के कई अन्य मंदिरों की थीम पर पंडाल को सजा चुके हैैं। बनारस में भोले बाबा के नाम के बिना कोई भी पूजा पूरी नहीं होती है। इसलिए इस बार समिति ने काशी विश्वनाथ मंदिर की थीम पर पंडाल को तैयार करने का सोचा है। दुर्गा पूजा शुरू होते ही यहां असंख्य भक्तों की भीड़ माता के दर्शन करने के लिए उमड़ती है।
जागरण व अन्य प्रोग्राम भी
पांच दिन के दुर्गा पूजा कार्यक्रम में माता का भव्य जागरण, झाकियां और अन्य प्रोग्राम का आयोजन भी किया जाएगा। समिति के सदस्यों ने बताया कि इस बार पंडाल को काशी विश्वनाथ मंदिर की अनुकृति दी जा रही है। मूर्ति और पंडाल निर्माण के लिए कारीगर हर बार की तरह इस बार भी बंगाल से बुलाए गए हैैं.